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Faridabad NCR

बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रति जागरूकता बहुत महत्वपूर्णः कुलपति प्रो. एस.के तोमर

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 26 अप्रैल। बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) के महत्व को लेकर जागरूकता लाने के उद्देश्य से जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद की इंस्टीट्यूशन्स इनोवेशन काउंसिल (आईआईसी) तथा कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग द्वारा विश्व बौद्धिक संपदा दिवस के उपलक्ष में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम कलाम प्रोग्राम फॉर आईपी लिटरेसी एंड अवेयरनेस (कपिला) और राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा जागरूकता मिशन के तहत आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में 300 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
कार्यक्रम का उद्घाटन कुलपति प्रो. एस.के. तोमर ने किया। इस अवसर पर भारतीय पेटेंट कार्यालय में पेटेंट और डिजाइन के परीक्षक श्री राज कुमार मीणा अतिथि वक्ता रहे। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. एस. के. गर्ग, इंफॉर्मेटिक्स एंड कंप्यूटर इंजीनियरिंग के डीन प्रो. कोमल कुमार भाटिया और आईआईसी के अध्यक्ष प्रो लखविंदर सिंह भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सपना गंभीर और डॉ. पारुल तोमर ने किया।
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रो. तोमर ने बौद्धिक संपदा अधिकारों के महत्व पर प्रकाश डाला। भारतीय पारंपरिक ज्ञान तथा हल्दी एवं नीम की पेटेंटिंग के मामलों का उल्लेख करते हुए कुलपति ने कहा कि प्राचीन समय में भारत में पारंपरिक ज्ञान पीढ़ी दर पीढ़ी मौखिक रूप में हस्तांतरित होता रहा है, जिसका कारण ऐसे ज्ञान का दस्तावेजीकरण न होना रहा। इसके बाद भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाया, जिसके बाद भारत के पारंपरिक ज्ञान से संबंधित कई पेटेंट आवेदन या तो रद्द किये गए या वापस ले लिए गए या कई अंतरराष्ट्रीय पेटेंट कार्यालयों में दावों में संशोधन किया गया। उन्होंने कहा कि वर्तमान युग में जब सब कुछ प्रौद्योगिकी और नवाचार से प्रेरित है, बौद्धिक संपदा अधिकारों के बारे में जागरूकता होना महत्वपूर्ण है। उन्होंने आईपीआर पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने के लिए विश्वविद्यालय के आईआईसी द्वारा की गई पहल की सराहना की।
कार्यक्रम के दौरान, शिक्षा मंत्रालय में इनोवेशन सेल के निदेशक डॉ मोहित गंभीर ने बौद्धिक संपदा में महत्व पर व्याख्यान दिया, जिसमें उन्होंने बौद्धिक संपदा साक्षरता, विशेष रूप से शिक्षा के क्षेत्र में बौद्धिक संपदा अधिकारों के दायरे के बारे में बताया। उन्होंने आईपीआर और पेटेंटिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकार की विभिन्न पहलों को लेकर भी चर्चा की।
इससे पहले, स्वागतीय संबोधन में डॉ सपना गंभीर ने विश्व बौद्धिक संपदा दिवस के महत्व के बारे में बात की और कहा कि पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क और डिजाइन हमारे दैनिक जीवन को कैसे प्रभावित करते हैं, इसके बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व आईपी दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकारों की भूमिका का उपयोग दुनिया भर में नवाचार और रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने के लिए किया जाता है।
इसके उपरांत श्री राजकुमार मीणा ने बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रति जागरूकता पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला के दौरान, आईपीआर के महत्व और उनके संरक्षण, पेटेंट प्रक्रिया और पेटेंट जानकारी, पेटेंट खोज, शिक्षा जगत में नवाचार और आविष्कार की भूमिका, उद्योग सहयोग, ट्रेडमार्क और कॉपीराइट संरक्षण इत्यादि पर चर्चा की गई। कार्यशाला में विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों और छात्रों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम के अंत में डॉ. पारुल तोमर ने धन्यवाद ज्ञापित किया। सत्र का संचालन डॉ. अश्लेषा गुप्ता और डॉ. मानवी एवं स्टूडेंट वालंटियर्स की टीम ने किया।

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