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Faridabad NCR

कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा ने निजी की नौकरियों में जिलावार 10 फीसद आरक्षण के विरोध में राज्यपाल को भेजा ज्ञापन

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Chandigarh Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : निजी क्षेत्र के संस्थानों में स्थानीय युवाओं को 75 फीसद आरक्षण दिए जाने के विधेयक में जिलावार 10 फीसद आरक्षण को कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा ने अनुचित बताया है। नीरज शर्मा का कहना है कि सरकार ने वोट की राजनीति में प्रदेश हित को दरकिनार कर दिया है। इस विधेयक के कानून के रूप में लागू होने के बाद प्रदेश में नया उद्योग नहीं आएगा। प्रदेश में बना बेहतर औद्योगिक माहौल भी प्रभावित होगा।
नीरज शर्मा के अनुसार गत दिवस विधानसभा सत्र के दौरान राज्य सरकार द्वारा पारित कराए गए स्थानीय उम्मीदवार नियोजन विधेयक-2020 में यह प्रावधान गैर संवैधानिक है कि एक जिला से एक संस्थान में 10 फीसद से ज्यादा उम्मीदवारों को नौकरी नहीं दी जा सकती। शर्मा का कहना है कि इस प्रावधान को करते हुए सरकार ने फरीदाबाद, गुरुग्राम जैसे बड़े और चरखी दादरी जैसे छोटे जिला का अंतर भी नहीं सोचा। इसके अलावा जिस जिला में कंपनी या संस्थान है उस जिला को भी इस आरक्षण में वरीयता नहीं दी गई है। शर्मा का कहना है कि राज्य सरकार अभी तक फरीदाबाद और गुरुग्राम से एकत्र राजस्व ही प्रदेश के दूसरे हिस्सों में बांटती थी, अब सरकार ने इस क्षेत्र की नौकरियां भी छीन लीं।
शर्मा को स्थानीय उम्मीदवार नियोजन विधेयक-2020 में प्रवासी मजदूरों के खिलाफ की गई टिप्पणी पर भी घोर आपत्ति है। इसमें लिखा गया है कि यह विधेयक इसलिए बनाया जा रहा है कि प्रवासी श्रमिकों की एक बड़ी संख्या विशेषत कम वेतन पर कार्यरत रोजगारों के लिए प्रतिस्पर्धा के चलते स्थानीय अाधारभूत संरचना, मूलभूत ढांचे व आवास संबंधी सुविधाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। इसके अलावा प्रवासी मजदूर मलिन बस्तियों का प्रसार करते हैं। नीरज के अनुसार प्रवासी मजदूरों जिन्होंने हरियाणा में उद्योग, कारखाने, छोटी वर्कशाप दुकान से लेकर अब खेत-खलियान तक अपना खून-पसीना बहाकर पारिश्रमिक अर्जित किया है, के बारे में इस विधेयक के प्रारूप में और ऐसी ही आपत्तिजनक बातें लिखी गई हैं।
नीरज ने इसके खिलाफ राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य को भी पत्र लिखकर मांग की है कि वे इस कानून को सरकार को पुनर्विचार के लिए लौटा दें। उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र, एक कानून और अखंड भारत की परिकल्पना करने वाले महापुरुषों के लिए यह विधेयक कष्टदायी होगा।
विधानसभा में पंचायती राज संस्थाओं के लिए पारित विधेयक में महिला आरक्षण और सरपंचों को 33 फीसद मतदाताओं द्वारा वापस बुलाए जाने (राइट टू रिकाल) के प्रावधान पर नीरज शर्मा ने कहा कि सरकार को पहले यह नियम विधानसभा चुनाव के लिए लागू करने चाहिए थे। शर्मा के अनुसार पंचायती राज व्यवस्था चुने हुए प्रतिनिधियों की पहली कड़ी है मगर जब सरपंच तो दसवीं पास होगा मगर उसका मंत्री अनपढ़ होगा तो फिर कानून बनाने वालों को शर्म नहीं आएगी।
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