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Faridabad NCR

बादशाह खान अस्पताल का नाम बदला जाना सरकार का अनुचित निर्णय : ए.सी चौधरी

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : प्रदेश सरकार द्वारा फरीदाबाद के 7 दशक पुराने सरकारी अस्पताल बादशाह खान का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल वाजपेयी सिविल अस्पताल किए जाने केे फैसले को पूर्वमंत्री ए.सी. चौधरी ने अनुचित व जल्दबाजी में लिया गया निर्णय बताया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल को शायद इस मामले से सही तरह अवगत नहीं करवाया गया है, अन्यथा वह तरह के निर्णय को कतई मंजूरी नहीं देते। फिर भी इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल से बात करके उन्हें पूरी वास्तुस्थिति से अवगत कराएंगे। उन्होंने कहा कि ख़ान अब्दुल गफ़्फ़़ार ख़ान पूर्व स्वतंत्रता सेनानी रहे थे और उन्होंने महात्मा गांधी के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी अह्म भूमिका निभाई थी इसलिए उन्हें सीमांत गांधी के नाम से भी जाना जाता था, ऐसे महापुरूष की तो अस्पताल में प्रतिमा लगनी चाहिए परंतु उनके नाम पर रखे अस्पताल का नाम बदलना पूरी तरह से गलत है।  श्री चौधरी शुक्रवार को एन.एच.-5 स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 7 दशकों बाद सरकारी अस्पताल का नाम बदला जाना न केवल प्रोटोकॉल के खिलाफ है और यह सीधे तौर पर स्वतंत्रता सेनानी का अपमान है। श्री चौधरी ने ख़ान अब्दुल गफ़्फ़़ार बादशाह ख़ान के बारे में बताते हुए कहा कि वह 7 फुट लम्बे कद के थे और एक सलवार, कमीज व अगौछा अपनी पोटली में लेकर चलते थे और पूरा जीवन उन्होंने संघर्ष में गुजारा और अंग्रेजी हकूमत के खिलाफ जमकर लड़ाई लड़ी, जिसके चलते अंग्रेज उनसे घबराते थे। उन्होंने कहा कि बंटवारे के दौरान पाकिस्तान से आए 6 जिलों के लोगों को यहां बसाया गया था और उनके सम्मान में ही इस अस्पताल का नाम रखा गया था, इस तरह से अस्पताल का नाम बदलना लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ है। उन्होंने कहा कि वह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का पूरा सम्मान करते है और सरकार को चाहिए कि किसी नए प्रोजेक्ट का नाम उनके नाम से रखा जाता तो बहुत ही सराहनीय कदम होता परंतु किसी स्वतंत्रता सेनानी का नाम हटाकर दूसरा नाम रखना अनुचित है।  उन्होंने प्रदेश सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि अगर सरकार चाहे तो अस्पताल की पुरानी जर्जर बिल्डिंग का नवनिर्माण करवाकर उसका नाम बदलकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखे दे, लेकिन 70 सालों से जो अस्पताल स्वतंत्रता सेनानी के नाम से विख्यात है, उसे बदलना नहीं चाहिए।
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