Connect with us

Faridabad NCR

सोशल मीडिया पर वायरल झूठी खबरें पत्रकारिता व समाज के लिए चुनौती : रचना कसाना

Published

on

Spread the love

Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : सोशल मीडिया (फेसबुक तथा वट्सएप) में आए दिन वायरल हो रही झूठी खबरें पत्रकारिता तथा समाज के लिए आज चुनौती बन चुकी है। पिछले कुछ सालों में सोशल मीडिया पर फैली झुठी खबरों की वजह से देश में कई जगहों पर दंगें हुए हैं। जब तक खबरों की प्रमाणिकता का सही प्रकार से मूल्याकंन नहीं किया जाएगा, तब तक इस प्रकार की घटनाओं पर अंकुश लगना संभव नहीं है। उक्त शब्द डीएवी सेटेनरी कॉलेज फरीदाबाद के जनसंचार विभाग अध्यक्ष एवं फैक्टसशाला ट्रेनर रचना कसाना ने कहे। डीएवी कॉलेज यमुनानगर के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की ओर से ऑन लाइन फैक्टस चैकिंग विषय पर वर्कशाप का आयोजन किया गया। कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. आभा खेतरपाल व जनसंचार विभाग अध्यक्ष परमेश कुमार ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम की अध्यक्षता की।

रचना कसाना ने कहा कि लोगों की सोच में तब्दीली करने के लिए आज सोशल मीडिया को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल झूठी फोटोज़ व विडियों को हम वैरीफाई किए बैगर आगे फॉरवर्ड कर देते हैं। जिसकी वजह से कई बार देश में दंगें भी भडक़ चुके हैं। बाबा राम रहीम के एक्सीडेंट का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर वर्ष २०११ में हुई घटना को २०१७ में वॉयरल किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर विडियो के साथ जो कैप्शन लिखा जाता है, वह सब प्लानिंग का हिस्सा है। जिस कारण किस बात को किस संदर्भ में प्रस्तुत किया जा रहा है, इसके बारे में जानकारी नहीं मिलती। आम आदमी व युवा विश्वास कर लेते हैं कि सोशल मीडिया से उन्हें जो खबरें मिल रहीं हैं, वे सब सही है। टेक्नोलॉजी की वजह से आज युवाओं के विचारों में तब्दीली आ चुकी है। गलत जानकारी की वजह से लोग गुमराह हो रहे हैं।

एक सर्वे के मुताबिक देश का ४४ प्रतिशत युवा फेसबुक से जानकारी प्राप्त कर रहा है। जबकि वट्सएप पर २४ प्रतिशत निर्भर है। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनकी सोच का स्तर किस प्रकार का होगा। आज टेक्टनोलॉजी के जरिए भीड़ को भडक़ाने का काम किया जा रहा है। झूठी व सच्ची खबर में क्या अंतर है, आज इसे समझने की बेहद जरूरत है।

आज सोशल मीडिया पर जानकारी को मनोरंजन के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। विडियो व फोटो बाहर के देशों की होती है और उन्हें भारत का बता कर वायरल कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि गुलग क्रोम में गुगल रिवर्स इमेज सर्च, सर्च बाई इमेज, टीनआई इत्यादि के जरिए फोटो व विडियो को वैरीफाई किया जा सकता है। टाइम टूल के जरिए पता लगाया जा सकता है कि वह फोटो कब खिंची गई। ऑब्जर्वेशन के जरिए सही गलत का पता लगाया जा सकता है। कार्यक्रम को सफल बनाने में पत्रकारिता विभाग की प्राध्यापिका सुखजीत कौर, कंप्यूटर साइंस विभाग के टेक्निशियन अनिल नंदा व इंद्रजीत कथूरिया ने सहयोग दिया।

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © 2024 | www.hindustanabtak.com