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वैष्णोदेवी मंदिर में सातवें नवरात्रे पर की गई मां कालरात्रि की पूजा, जानें कैसे हुआ मां कालरात्रि का जन्म

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : नवरात्रों के सातवें दिन सिद्धपीठ मां वैष्णोदेवी मंदिर तिकोना पार्क में मां कालरात्रि की भव्य पूजा अर्चना की गई। इस अवसर पर मंदिर में प्रातकालीन आरती के दौरान मां कालरात्रि की पूजा और हवन यज्ञ किया गया। श्रद्धालुओं ने मां कालरात्रि से मन की मुराद मांगी। इस अवसर पर मंदिर में विशेष पूजा के लिए पधारे श्रद्धालुओं ने मां से आर्शीवाद मांगा।
इस मौके पर  सुबह से ही मंदिर में भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया। काफी अधिक संख्या में श्रद्धालुओं ने मंदिर में पहुंचकर मां कालरात्रि की पूजा की और अर्शीवाद ग्रहण किया। इस अवसर पर विशेष तौर पर मंदिर में मौजूद प्रधान जगदीश भाटिया ने मंदिर में आने वाले भक्तों से कोरोना वैक्सीन लगवाने की अपील की।
बता दें कि नवरात्रों के विशेष पावन अवसर पर मंदिर में कोरोना वैक्सीन का कैंप लगाया गया है। श्री भाटिया ने कहा कि कोरोना से लड़ाई लडऩे के लिए सभी लोगों को वैक्सीन अवश्य लगवानी चाहिए। तभी हम इस जानलेवा बीमारी से जीत पाएंगे। उन्होंने मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं से सोशल डिस्टेंस और मास्क लगाने के  नियमों का पालन करने की भी अपील की।
पूजा अर्चना के अवसर पर श्री भाटिया ने श्रद्धालुओं को मां कालरात्रि के धार्मिक एवं पुरौणिक इतिहास की भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मां कालरात्रि को पंचमेवा  और जायफल का प्रसाद अतिप्रिय है। इसलिए जो भक्त सच्चे मन से मां मां कालरात्रि  को पंचमेवा और जायफल का भा्रग लगाता है , उसके मन की मुराद अवश्य होती है। मां को नीला और जामुनी रंग भी बहुत पसंद है।
श्री भाटिया ने भक्तों को बताया कि मां कालरात्रि का जन्म कैसे और किन हालातों में हुआ। जब देवी पार्वती ने शुंभ और निशुंभ नाम के राक्षसों का वध लिए तब माता ने अपनी बाहरी सुनहरी त्वचा को हटा कर देवी कालरात्रि का रूप धारण किया। कालरात्रि देवी पार्वती का उग्र और अति-उग्र रूप है। देवी कालरात्रि का रंग गहरा काला है। अपने क्रूर रूप में शुभ या मंगलकारी शक्ति के कारण देवी कालरात्रि को देवी शुभंकरी के रूप में भी जाना जाता है।
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