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पीरियड के कलंक को खत्म करने के लिए लोगों को शिक्षित कर रही हैं युवा समृद्धि बजाज

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New Delhi Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : क्या आप जानते हैं कि 100 करोड़ से अधिक आबादी वाले देश में, केवल 36% महिलाएं सैनिटरी पैड का उपयोग करती हैं। दूरदराज के गाँवों और गरीबी से जूझ रही झुग्गियों में रहने वाली ये महिलाएँ, जो भूख और सुरक्षा जैसे मुद्दों से त्रस्त हैं, मासिक धर्म को लेकर स्वच्छता के अपने मूल अधिकारों की अनदेखी करती हैं।
मुंबई, अमृतसर, लुधियाना और जालंधर में फैले वॉलंटियर्स के साथ यूथ फॉर ग्लोबल पीस एंड ट्रांसफॉर्मेशन (YGPT) की 16 वर्षीय इंटर्न समृद्धि बजाज ने 500 से अधिक वंचित महिलाओं को साथी पैड्स के साथ मिलकर बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी पैड वितरित किए।
भारत में महिलाएं अक्सर सैनिटरी पैड की जगह गंदे कपड़ों का उपयोग करती हैं और कभी-कभी कुछ भी नहीं करती हैं। उन्हें इससे जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों का अंदाजा नहीं होता है। ऐसी दुनिया में जहां मासिक धर्म अभी भी एक सामाजिक कलंक है, 70 प्रतिशत प्रजनन रोग मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता को लेकर लापरवाही के कारण होते हैं।
पीरियड एक विषय के रूप में अभी भी एक निषेध माना जाता है। स्मृद्धि का उद्देश्य जनता को शिक्षित करना है। उन्होंने कहा, “यह कलंक खत्म होना चाहिए। हर महिला को सेनेटरी पैड इस्तेमाल करने का हक होना चाहिए और मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता बरकरार रखने के सम्बंध में शिक्षा का अधिकार होना चाहिए।”
बहुत रिसर्च के बाद, टीम ने गुजरात में स्थित एक वास्तविक और भरोसेमंद बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी पैड मैन्युफैक्चरर साथी की खोज की। उनके समर्थन के साथ, समृद्धि ने 330 आदिवासी महिलाओं को 1320 बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी पैड सफलतापूर्वक वितरित किए। बाकी क्षेत्र की 900 महिलाओं तक यह पैड्स पहुंचे जिसकी प्रतिक्रिया शानदार थी।
समृद्धि सैनिटरी पैड वितरित करना और मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता पर महिलाओं को शिक्षित करना जारी रखेगी। दुनिया में बदलाव लाने के दृढ़ संकल्प के साथ, वह लगातार कई सामाजिक सेवा गतिविधियों जैसे भोजन वितरण, कंबल वितरण आदि के साथ मानवता की बेहतरी की दिशा में काम कर रही हैं।
समृद्धि का लक्ष्य आने वाले महीनों में अधिक वंचित महिलाओं तक पहुँचना है, जिससे खुशियाँ फैलें और बीमारियाँ दूर हों। 2 अगस्त 2004 को जन्मी टीन एजर समृद्धि फिलहाल आदित्य बिड़ला वर्ल्ड अकेडमी में पढ़ रही हैं। समृद्धि ने बताया “जब मैं 10 साल की थी, तभी से मैं समाज में बदलाव लाना चाहती थी, महिलाएं समाज का सबसे अभिन्न हिस्सा हैं और उनका ध्यान रखा जाना चाहिए कि उनका विकास देश का विकास है।”
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