Faridabad NCR
शब्द यात्रा गुरुग्राम एवं लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा हिंदी साहित्य एवं सांस्कृतिक सम्मेलन का भव्य आयोजन
Gurugram Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 5 दिसंबर। शब्द यात्रा गुरुग्राम की अध्यक्ष शारदा मित्तल और महासचिव प्रीति मिश्रा के नेतृत्व में तथा लखनऊ विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में ए.पी. सेन सभागार में हिंदी साहित्य एवं सांस्कृतिक सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम में शब्द यात्रा के लगभग 30 सदस्यों ने भाग लेकर उत्कृष्ट मंचीय प्रस्तुतियाँ दीं। देश–विदेश से आए साहित्यकारों और लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रों की सहभागिता ने इस आयोजन को विशेष रूप से यादगार बना दिया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सांस्कृतिकी विभाग की निदेशक प्रोफेसर अंचल श्रीवास्तव उपस्थित रहीं, जबकि अध्यक्षता प्रोफेसर पवन अग्रवाल ने की। विशिष्ट अतिथियों में प्रसिद्ध ग़ज़लकार श्री विनय कुमार तथा शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आर.के. श्रीवास्तव शामिल रहे। लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रोफेसर अलका मिश्रा, प्रोफेसर अलका पांडेय सहित अनेक शिक्षक गण भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रोफेसर हिमांशु सेन तथा शब्द यात्रा की प्रोफेसर डॉ. मीनाक्षी पांडेय ने किया।
शुरुआत में प्रीति मिश्रा ने सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत और अभिनंदन किया। इसके बाद शारदा मित्तल ने शब्द यात्रा के उद्देश्य, गतिविधियों और उपलब्धियों पर विस्तृत प्रकाश डाला।
साहित्यिक प्रस्तुतियों का क्रम अत्यंत प्रभावशाली रहा। प्रसिद्ध ग़ज़लकार विनय कुमार ने अपनी ग़ज़लों से उपस्थित श्रोताओं की भरपूर वाहवाही प्राप्त की। संगीता सिंह की ग़ज़ल, अपर्णा सिंह के लोकगीत एवं ठुमरी, और अलका पांडेय की ग़ज़ल ने समाँ बाँध दिया।
वीणा अग्रवाल द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना ने कार्यक्रम में दिव्यता का संचार किया। सुधा मिश्रा ने अपनी रचनाओं से सभी को हँसी से भर दिया।
इसके पश्चात कमलेश पांडेय, पुनीत चंद्र, राकेश रायज़ादा, गीता जयसिंह, सरोजिनी चौधरी, रेखा मित्तल, उमा लखनवी, तारिका सिंह और मनोरमा श्रीवास्तव ने भी प्रभावशाली प्रस्तुतियाँ दीं।
रेखा मित्तल द्वारा तलाक़ पर आधारित भावुक कहानी ने कई श्रोताओं की आँखें नम कर दीं।
विद्यावती कालरा द्वारा दिया गया प्रेरक संदेश दर्शकों को गहराई तक प्रभावित कर गया। कार्यक्रम के अंत में विद्यावती कालरा ने धन्यवाद ज्ञापन भी प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने सभी अतिथियों, प्रतिभागियों और आयोजकों के प्रति आभार व्यक्त किया।
जब लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रों ने काव्य–पाठ और ग़ज़लें प्रस्तुत कीं, तो पूरा सभागार साहित्यिक ऊर्जा से गूंज उठा। हॉल खचाखच भरा हुआ था और अंत तक कोई भी अपनी जगह से उठने को तैयार नहीं था। अतिथियों और प्रबुद्ध जनों ने कार्यक्रम को अत्यंत सफल, ऊर्जावान और अविस्मरणीय बताया।
