Faridabad NCR
त्याग, प्रेम और जज़्बे की मिसाल, मां ने बेटे को दी जीवन की दूसरी सौगात, किडनी ट्रांसप्लांट के बाद मनोज तोमर की घर वापसी, मां का त्याग बना प्रेरणा
Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : पत्रकारिता जगत से जुड़े मनोज तोमर अपने संघर्ष और साहस के लिए पहचाने जाते हैं, और अब एक बार फिर उन्होंने जीवन की कठिन परीक्षा को जीतकर नई कहानी लिखी है। दस दिन पहले हुए सफल किडनी ट्रांसप्लांट के बाद जब वे घर लौटे, तो माहौल भावनाओं और कृतज्ञता से भरा हुआ था। यह सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं था, बल्कि मां-बेटे के अटूट रिश्ते और मातृत्व की विराट शक्ति का जीवंत प्रमाण भी बना।
मनोज तोमर की मां जयंती देवी ने बिना पल भर सोचे अपनी किडनी अपने बेटे को डोनेट कर दी। मनोज तोमर ने घर लौटने के बाद कहा कि “ईश्वर ने मां को सचमुच विराट हृदय दिया है। मेरी मां देवी ने मुझे दूसरी बार जीवन दिया है। मैं जो भी हूँ, उनकी बदौलत हूँ। थैंक यू मॉम।” मनोज ने उन सभी साथियों, शुभचिंतकों और मित्रों का भी विशेष आभार व्यक्त किया जिन्होंने इस कठिन समय में प्रार्थनाओं, संदेशों और सहयोग से उनका हौसला बढ़ाया।
मनोज तोमर के बेहद करीबी मित्र और पत्रकार खेमचंद गर्ग ने बताया कि मनोज का बीमारी से जूझना और फिर इस तरह मजबूत होकर लौटना हम सभी के लिए प्रेरणा है। उन्होंने कहा, “मनोज सिर्फ दोस्त नहीं, भाई हैं। जब उन्होंने बताया कि उनकी मां किडनी देने को तैयार हैं, मैं शब्दहीन हो गया था। यह वह प्रेम है जो दुनिया में किसी और रिश्ते में नहीं मिलता। आज मनोज को फिर से स्वस्थ लौटते देख मेरा मन गर्व और खुशी से भर उठा है।”
मनोज के छोटे भाई मनीष तोमर ने भी अपने बड़े भाई के स्वस्थ होने पर राहत व्यक्त की। उन्होंने कहा कि परिवार के लिए यह समय बेहद चुनौतीपूर्ण था। ऑपरेशन के दिन से लेकर अब तक, हर पल मन में दुआ ही चल रही थी। उन्होंने कहा, “भैया की तबीयत खराब होने के बाद घर का हर सदस्य मानसिक रूप से टूट गया था, लेकिन मां के साहस ने हमें संभाला। भैया को घर लौटते देख ऐसा लगा जैसे हमारे जीवन में फिर से रोशनी आ गई है।”
सबसे विशेष रहा मनोज की मां जयंती देवी का बयान, जिन्होंने बहुत शांति और सहजता से कहा कि “मां का कर्तव्य होता है कि वह अपने बच्चे के लिए हर हद तक जाए। मेरे लिए यह कोई त्याग नहीं, बल्कि मेरा धर्म था। जब डॉक्टर ने कहा कि मेरी किडनी मैच हो रही है, तब मेरे मन में सिर्फ एक ही बात थी मेरे बेटे को जीना चाहिए।” उनकी बातों ने वहाँ मौजूद हर व्यक्ति को भावुक कर दिया।
मनोज की घर वापसी ने परिवार, दोस्तों और शुभचिंतकों के जीवन में नई उम्मीद और गहरी राहत दी है। उनका संघर्ष, मां का त्याग और सभी का साथ यह कहानी उन अनगिनत लोगों के लिए प्रेरणा है जो ऐसी ही चुनौतियों से गुजर रहे हैं। चिकित्सा टीम ने भी मनोज की तेजी से हो रही रिकवरी को सकारात्मक संकेत बताया है।
इस भावनात्मक सफर में सबसे बड़ा संदेश यही है कि कठिन समय में परिवार, प्रेम और विश्वास किसी भी इंसान को हर चुनौती से निकाल सकता है। मनोज तोमर अपनी नई जिंदगी के साथ अब फिर से सामान्य दिनचर्या की ओर लौट रहे हैं और उनके सभी शुभचिंतक उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना कर रहे हैं।
