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Faridabad NCR

छात्रों के भविष्य व कानूनों की अनदेखी में जे सी बोस यूनिवर्सिटी पहले पायदान पर : विकास फागना

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : जे सी बोस यूनिवर्सिटी (वाईएमसीए) फरीदाबाद केनामी शिक्षण संस्थानों में गिना जाता है, लेकिन अपनी कार्यशैली के कारण हमेशा विवाद व चर्चा में बना रहता है। (एनएसयूआई) के जिलाउपाध्यक्ष विकास फागना ने प्रेस नोट के माध्यम से बताया कि जे सी बोस यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आने वाले कई कॉलेजों से यूनिवर्सिटी का पिछले काफी समय से विवाद चल रहा है जो कि न्यायालय में विचाराधीन है।
उन्होंने बताया कि कई वर्षों में यूनिवर्सिटी ने कभी भी माननीय सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइंस का पालन नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2013 में दिए गए पाश्र्वनाथ जजमेंट के आदेशानुसार प्रत्येक वर्ष की 15 मई तक कॉलेजों को एफिलिएशन देना होता है जबकि यूनिवर्सिटी ने जबसे यह एफिलिएटिंग यूनिवर्सिटी बनी है तब से आज तक किसी भी कॉलेज को तय समय सीमा के अनुसार एफिलिएशन नहीं दिया और न ही संबधित अधिकारियों के खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाही की। श्री फागना ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यूनिवर्सिटियों की मनमनियों को रोकने व भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने एवं उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को स्थापित करने के लिए निर्धारित समय सीमा और एक कानून भी बनाया था। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने एफिलिएशन से लेकर एडमिशन तक की समय सीमा को भी तय किया था।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने उच्च शिक्षा मे भर्ती के समय परेशानी व अनिश्चित्ता पर रोक लगने के लिए यह क ानून बनाया था। जबकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाए गए क ानून की अवहेलना करते हुए यूनिवर्सिटी अपनी मनमानी कर रही है इससे प्रतीत होता है कि उक्त मामला यूनिवर्सिटी के चांसलर (राज्यपाल- हरियाणा) के संज्ञान में भी नहीं है या यूनिवर्सिटी द्वारा उन से यह तथ्य छिपाए जा रहे हैं। सभी एफिलिएटिड संस्थानों और उनके बच्चों का भविष्य अब न्यायालय के हाथ में है।
उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी द्वारा समय पर एफिलिएशन न देने के कारण कई हजार बच्चों का भविष्य अधर में लटकता हुआ नजर आ रहा है। लेकिन यूनिवर्सिटी अपनी मनमानी करने से बाज नहीं आ रही हैं। श्री फागना ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसे सभी सरकारी पदाधिकारियों और यूनिवर्सिटियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाही की जानी चाहिए। जबकि  न्यायालय की अवमानना व लापरवाहियों के कारण इन्हें न्यायालय  द्वारा फटकार भी लगाई जा चुकी है। जे सी बोस यूनिवर्सिटी देश के सर्वोच्च न्यायालय, केंद्र सरकार और यहाँ तक की यूजीसी के नियमों का भी पालन नहीं करती और जान बूझकर देरी करती है। चूंकि अभी केंद्र सरकार, यूजीसी और (एआईसीटीई) की गाइड लाइंस के मुताबिक 30 नवम्बर तक एडमिशन किये जाने हैं। इस संर्दभ में जे सी बोस यूनिवर्सिटी का कहना है कि वह 31 अक्टूबर तक ही एडमिशन करेगी। ऐसे में यहाँ के छात्रों में अपने भविष्य को लेकर डर बना रहता है।

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