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मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने दो परिवारों के बीच किया ‘पहला स्वैप लिवर ट्रांसप्लांट’

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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 21 नवंबर। नई उपलब्धि के रूप में मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने एक दुर्लभ और जटिल स्वैप लिवर ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक किया है और ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन एवं हेल्थकेयर एक्सीलेंस में एक नई मिसाल कायम की है। इस जटिल प्रक्रिया में दो अनजान परिवारों के बीच डोनर अंगों का आदान-प्रदान किया जाता है ताकि मैचिंग की समस्या को दूर किया जा सके, यह हॉस्पिटल की इनोवेशन और रोगी-केंद्रित देखभाल के प्रति अटूट समर्पण को दिखता है। इस सर्जरी का नेतृत्व लिवर ट्रांसप्लांट और सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के क्लिनिकल डायरेक्टर और एचओडी डॉ. पुनीत सिंगला के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक टीम ने किया, जिन्होंने सावधानीपूर्वक योजना बनाकर ट्रांसप्लांट सर्जरी को अंजाम दिया। यह चिकित्सा उपलब्धि हॉस्पिटल की अत्याधुनिक सुविधाओं, एडवांस्ड तकनीक और मल्टीडिसीप्लिनरी सहयोग को प्रमुखता से दिखाती है।

स्वैप ट्रांसप्लांटेशन करवाने वाले दो परिवार क्रमशः पंजाब और हिमाचल प्रदेश से थे। पंजाब वाले मामले में, डोनर प्राप्तकर्ता (रिसिपिएंट) की पत्नी थी जिसका ब्लड ग्रुप बी था, जबकि उसके प्राप्तकर्ता (रिसिपिएंट) पति का ब्लड ग्रुप ए था। कुल्लू, हिमाचल प्रदेश के परिवार के मामले में, डोनर प्राप्तकर्ता की बेटी थी और उसका ब्लड ग्रुप ए था, जबकि प्राप्तकर्ता पिता का ब्लड ग्रुप बी था। दोनों ही मामलों में डोनर और मरीजों के ब्लड ग्रुप बेमेल थे। इसलिए दोनों परिवारों को ध्यान से परामर्श दिया गया और लिवर ट्रांसप्लांट के लिए ब्लड ग्रुप के मिलान के लिए परिवार के सदस्यों की अदला-बदली के लिए सहमत किया गया।

45 वर्षीय शशि पाल सिंह और उनके परिवार को लिवर खराब होने की चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसके लिए तुरंत ट्रांसप्लांट (प्रत्यारोपण) की आवश्यकता थी। दो साल पहले, प्लेटलेट्स की कम संख्या की नियमित जांच के दौरान, उन्हें लीवर सिरोसिस होने का पता चला था। उसकी हालत खराब हो गई और उसका वजन बढ़ने लगा। अन्य लक्षणों और टेस्ट रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए, उन्हें लिवर प्रत्यारोपण की सलाह दी गई और उनकी बेटी सोनल सिंह, जो सिर्फ 23 वर्ष की थी और आईएएस की तैयारी कर रही थी, ने फैसला किया कि वह अपने लिवर का एक हिस्सा दान करेगी। शशि पाल में उनकी बेटी के ब्लड ग्रुप के खिलाफ एंटीबॉडी का स्तर बहुत अधिक पाया गया, और इससे बेमेल प्रत्यारोपण की संभावना बढ़ गई। दूसरे मरीज अभिषेक शर्मा और उनके परिवार ने इसी तरह की समस्या के लिए डॉ. पुनीत सिंगला से संपर्क किया। अभिषेक 32 साल के हैं और डेढ़ साल पहले हेपेटाइटिस के बाद उनमें सिरोसिस का पता चला था। एक दिन वह बेहोश हो गए, उनका वजन लगातार कम होता गया और वे बहुत कमजोर हो गए। टेस्ट और रिपोर्टों से पता चला कि उन्हें लीवर प्रत्यारोपण की आवश्यकता है। उनकी पत्नी अपने लीवर का हिस्सा दान करने के लिए तैयार थीं, लेकिन उनका ब्लड ग्रुप अलग था, जिससे दूसरे मरीज के लिए भी वही खतरा पैदा हो गया।

लिवर, शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने, मेटाबॉलिज्म (भोजन को एनर्जी में बदलने की प्रक्रिया) को नियंत्रित करने और महत्वपूर्ण प्रोटीन पैदा करने जैसे आवश्यक शारीरिक कार्य करता है। यह शरीर का सबसे बड़ा अंग है और पूरे शरीर में खून को प्रसारित करने से पहले उसे शुद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, लिवर के स्वास्थ्य को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप दुनिया भर में लगभग 1.5 बिलियन लोग हर साल फैटी लीवर रोग सहित विभिन्न लिवर रोगों से पीड़ित होते हैं।

स्वैप लिवर ट्रांसप्लांट उन मरीजों के लिए आशा की किरण है जो अपने परिवार में अंग मैचिंग संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं। इस मामले में, [गोपनीयता सुनिश्चित करते हुए, शामिल दोनों परिवारों का संक्षिप्त विवरण]। सावधानीपूर्वक मैचिंग और कोऑर्डिनेशन के माध्यम से, टीमों ने दोनों प्राप्तकर्ताओं के लिए बेहतरीन परिणाम सुनिश्चित किए, जिससे उन्हें ठीक होने का अपना सफ़र शुरू करने में मदद मिली। यह कार्य अंग दान जागरूकता को बढ़ावा देने की दिशा में काम करता है और अंग दान के महत्व को सामने लाता है। इस स्वैप लिवर ट्रांसप्लांट को सफलतापूर्वक करके, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद का उद्देश्य अंग दाताओं की तुरंत आवश्यकता और ऐसी पहलों के जीवन बदल देने वाले प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।

डॉ. पुनीत सिंगला, क्लीनिकल डायरेक्टर एवं एचओडी, लिवर ट्रांसप्लांट और सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद कहते हैं, “स्वैप लिवर ट्रांसप्लांट अंग प्रत्यारोपण में एक अत्यधिक बदलाव लाने वाला तरीका है, जो उन मरीजों के लिए अंतर को पाटता है, जहां डोनर मेल होने से जुड़ी चुनौतियों का सामना करते हैं। यह मेडिसिन में सहयोग और इनोवेशन की शक्ति की मिसाल देता है और मरीजों को जीवन में एक नया मौका देता है। हालाँकि, स्वैप लिवर ट्रांसप्लांट करने से पहले डॉक्टरों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। डोनर और मरीज के सहमत होने के लिए सब कुछ विस्तार से समझाया जाता है। हमें किसी भी तरह के जोखिम को खत्म करना था और यह सुनिश्चित करना था कि मरीज अपने लिवर का हिस्सा दान करने के लिए चिकित्सकीय रूप से स्वस्थ हों, वहीँ प्राप्तकर्ता भी अपने शरीर में ट्रांसप्लांट के लिए चिकित्सकीय रूप से स्वस्थ हों। हमारे पास चुनौती से निपटने के लिए चिकित्सकीय रूप से एक्सीलेंट टीमें, बेहतरीन इन्फ्रास्ट्रक्चर था, तथा एक साथ की गई दो ट्रांसप्लांट सर्जरी के लिए एडवांस्ड उपकरण थे, तथा सावधानीपूर्वक और नैतिक रूप से तैयारियां भी थीं। फरीदाबाद में यह अपनी तरह का पहला स्वैप लिविंग डोनर लिवर ट्रांसप्लांट था, जो टीम के दृढ़ संकल्प का प्रमाण है कि वे लगातार अद्भुत कार्य कर रहे हैं। एक कानूनी समिति ने स्वैप सर्जरी के लिए आवश्यक अनुमतियाँ दीं।”

सत्यम धीरज, फैसिलिटी डायरेक्टर, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद कहते हैं, “यह हमारे लिए गर्व का क्षण है क्योंकि हम फरीदाबाद में पहली बार स्वैप लिवर ट्रांसप्लांट करने वाले हेल्थ केयर प्रोवाइडर (स्वास्थ्य सेवा प्रदाता) के रूप में उभरे हैं। मारेंगो एशिया हॉस्पिटल्स ने ब्लडलेस (रक्तहीन) तकनीक का उपयोग करके और सबसे कम समय में अपने मरीजों को छुट्टी देकर लिवर ट्रांसप्लांट के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। ब्लडलेस ट्रांसप्लांट की इस अत्यंत एडवांस्ड विधि में, मरीज के स्वयं के खून को सुरक्षित रखा जाता है और बाद में उसके शरीर में वापस चढ़ा दिया जाता है जिससे डोनर से बाहरी रक्त चढ़ाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद और गुरुग्राम में 15 से अधिक लिवर ट्रांसप्लांट किए गए हैं। मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स ने न केवल भारत में बल्कि एशिया में भी पहली बार ब्लडलेस ऑर्गन ट्रांसप्लांट, हार्ट ट्रांसप्लांट करने की तकनीक में अग्रणी भूमिका निभाई है। हम अपनी बाहरी समितियों को उनके सहयोग और समर्थन के लिए धन्यवाद देते हैं।”

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