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दिव्यांगता को अपनी कमजोरी नहीं बल्कि ताकत बना बढ़ाएं कदम : डॉ. सिंगला

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : हर वर्ष तीन दिसंबर का दिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिव्यांग व्यक्तियों को समर्पित है। वर्ष 1981 से अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस मनाने की विधिवत शुरुआत हुई। गामा फिजीयोथेरीपी क्लीनिक में आज लोगों की फिजीयोथेरीपी से कॉउंसलिग कर उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने और उत्साहवर्धन करने का कार्य किया गया । ये बातें प्रभारी डॉ. जितेंद्र सिंगला ने कही। संचालक ने कहा कि दिव्यांगों के प्रति सामाजिक सोच को बदलने और उनके जीवन के तौर-तरीकों को और बेहतर बनाने एवं उनके कल्याण की योजनाओं को लागू करने के लिए इस दिवस की महत्वपूर्ण भूमिका है। इससे न केवल सरकारें बल्कि आम जनता में भी दिव्यांगों के प्रति जागरूकता का माहौल बना है। समाज में उनके आत्मसम्मान, प्रतिभा विकास, शिक्षा, सेहत और अधिकारों को सुधारने के लिए और उनकी सहायता के लिए एकसाथ होने की जरूरत है।
ड़ॉ सिंगला ने कहा की विकलांगता के मुद्दे पर पूरे विश्व की समझ को नया आयाम देने एवं इनके प्रति संकीर्ण दृष्टिकोण को दूर करने के लिए इस दिन का महत्वपूर्ण योगदान है। यह दिवस विकलांग लोगों के अलग-अलग मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है। और जीवन के हर क्षेत्र में चाहे वह राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कोई भी हो- सभी विकलांग लोगों को शामिल करने और उन्हें अपने प्रतिभा प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाता है।
दिव्यांग दिवस मनाने के उद्देश्य
दिव्यांग दिवस मनाने के पीछे दिव्यांगता को सामाजिक कलंक मानने की धारणा से लोगों को दूर करने का प्रयास है। इसे समाज में दिव्यांगों की भूमिका को बढ़ावा देने, उनकी गरीबी को कम करने, उन्हें बराबरी का मौका दिलाने तथा उनके स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक प्रतिष्ठा पर ध्यान केंद्रित करने जैसी कोशिशों के लिए भी मनाया जाता है। इस दिन कला प्रदर्शनी, खेल प्रतियोगिताओं तथा विभिन्न कार्यक्रमों के द्वारा दिव्यांगों के प्रति जागरूकता फैलाने की कोशिश की जाती है।
विकलांगता अभिशाप नहीं वरदान
डॉ जितेंद्र सिंगला ने कहा कि विकलांगता एक ऐसी परिस्थिति है। जिससे हम चाहकर भी पीछा नहीं छुड़ा सकते। एक आम आदमी छोटी-छोटी बातों पर झुंझला उठता है, तो जरा सोचिए उन बदकिस्मत लोगों को जिनका खुद का शरीर उनका साथ छोड़ देता है, फिर भी जीना कैसे है। कोई इनसे सीखे। कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने दिव्यांगता को अपनी कमजोरी नहीं, बल्कि अपनी ताकत बनाया है। ऐसे लोगों ने दिव्यांगता को अभिशाप नहीं वरदान साबित किया है। दिव्यांगों में बौनापन, अम्ल हमले की पीड़ित, कम दृष्टि, दृष्टिहीनता, श्रवण क्षति, सुनने में कठिनाई, वाक एवं भाषा दिव्यांगता, बौद्धिक दिव्यांगता, विशिष्ट शिक्षण दिव्यांगता, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर, मानसिक रुग्णता, क्रोनिक स्त्रायविक स्थिति, बहुल काठिन्य, पार्किंसन रोग, हीमोफीलिया, थैलेसीमिया व सिकल सेल रोग सभी दिव्यांगता की श्रेणी में आते हैं।
मिलती है बहुत सारी सुविधाएं- ड़ॉ जितेंद्र ने बताया कि दिव्यांग को बहुत सारी सुविधा सरकारी स्तर पर उपलब्ध कराई जाती है ताकि उनका उत्साहवर्धन हो सकें। उन्होंने कहा कि 21 प्रकार के दिव्यांग होते हैं उसकी पहचान कर उसे दिव्यांगता प्रमाणपत्र, जॉब कार्ड, प्रधानमंत्री आवास योजना, पेंशन योजना, अंत्योदय योजना, कौशल विकास, ट्राय सायकिल व रोजगार के प्रावधान आदि किया गया।
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