Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 6 अप्रैल। गर्भधारण पूर्व और प्रसवपूर्व निदान-तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम (पीसीपीएनडीटी) गर्भधारण पूर्व और प्रसवपूर्व निदान-तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम ऐसा अधिनियम है। जो कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिये लागू किया गया है। जिसकी किसी भी रूप में उल्लंघना करने पर सम्बंधित कानून के अंतर्गत सजा का प्रावधान है। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी रणदीप सिंह पुनिया ने आज अपने कार्यालय में इस सम्बंध में जिला स्तरीय बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि इस अधिनियम ने प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध है। अधिनियम को लागू करने का मुख्य उद्देश्य गर्भाधान के बाद भ्रूण के लिंग निर्धारण करने वाली तकनीकों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाना और लिंग आधारित गर्भपात के लिये प्रसव पूर्व निदान तकनीक के दुरुपयोग को रोकना है। उन्होंने बताया कि यह अधिनियम गर्भाधान से पहले या बाद में लिंग की जाँच पर रोक लगाने का प्रावधान करता है। कोई भी प्रयोगशाला या केंद्र या क्लिनिक भ्रूण के लिंग का निर्धारण करने के उद्देश्य से अल्ट्रासोनोग्राफी सहित कोई परीक्षण नहीं करेगा। गर्भवती महिला या उसके रिश्तेदारों को शब्दों, संकेतों या किसी अन्य विधि से भ्रूण का लिंग नहीं बताया जा सकता। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति जो प्रसव पूर्व गर्भाधान लिंग निर्धारण सुविधाओं के लिये नोटिस, परिपत्र, लेबल, रैपर या किसी भी दस्तावेज के रूप में विज्ञापन देता है, या इलेक्ट्रॉनिक या प्रिंट रूप में आंतरिक या अन्य मीडिया के माध्यम से विज्ञापन करता है या ऐसे किसी भी कार्य में संलग्न होता है तो उसे तीन साल तक की कैद और जुर्माना राशि देने दोनों की सजा हो सकती है। इस अवसर जिला पीसीपीएनडीटी कमेटी सदस्यों से विचार विमर्श करते हुए कमेटी को प्राप्त जिले के एक नामी अल्ट्रासाउंड सेंटर के खिलाफ आई शिकायत पर जल्द और सख्त प्रशासनिक कार्यवाही करने के भी निर्देश दिए और जिले में अन्य अल्ट्रासाउंड सेंटरों की भी नियमित जाँच करने के सम्बंधित अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए।