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Faridabad NCR

डीएवी शताब्दी महाविद्यालय में सम्पन्न हुआ 24वां दीक्षांत समारोह  

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : डीएवी शताब्दी महाविद्यालय, फरीदाबाद में 24वें दीक्षांत समारोह का आयोजन हुआ। इस समारोह के मुख्य अतिथि माननीय शिक्षा मंत्री मूलचंद शर्मा रहे। समारोह की अध्यक्षता जे.सी. बोस साइंस एवं तकनीकी विश्वविद्यालय, फरीदाबाद के कुलपति डॉ. एस.के. तोमर ने की विशिष्ट अतिथि के रूप में बड़खल विधायक सीमा त्रिखा व् डीएवी प्रबंधन कमेटी, नई दिल्ली के कोषाध्यक्ष डॉ. डी.वी. सेठी उपस्थित रहे। महाविद्यालय द्वारा संचालित विभिन्न स्नातक व् परास्नातक कार्यक्रमों में उत्तीर्ण हो चुके छात्रों को उनकी डिग्रियाँ इस दीक्षांत समारोह में वितरित की गई। दीक्षांत समारोह का आयोजन कोरोना महामारी के कारण चार वर्ष बाद संपन्न हुआ जिसमें पिछले चार वर्षों के दौरान उत्तीर्ण ग्यारह सौ छात्रों में से बड़ी संख्या में  छात्र उपस्थित रहे।

महाविद्यालय प्राचार्या डॉ. सविता भगत ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। डॉ. भगत ने अपने सम्बोधन में डी.ए.वी. शताब्दी महाविद्यालय के पिछले कुछ वर्षों के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में अर्जित उपलब्धियों को संक्षिप्त में बताया। उन्होंने छात्रों को एक खास सन्देश देते हुए कहा कि जीवन में खुश रहना सबसे जरूरी है। हमें लोभ, मोह, अहंकार, क्रोध एवं अज्ञान का त्याग कर अच्छी बातों को ग्रहण कर खुश रहते हुए आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने छात्रों को एक उज्जवल एवं सफल भविष्य के लिए शुभ कामनाएं व् आशीष दिया।

मुख्य अतिथि मूलचंद शर्मा ने बताया कि डीएवी शताब्दी महाविद्यालय जो चिमनीबाई धर्मशाला से शुरू हुआ था, ने आज एक प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान के रूप में प्रसिद्धि हासिल कर ली है जिसके लिए आप सभी बधाई के पात्र हो। डीएवी संस्था शिक्षा के साथ-साथ छात्रों को भारतीय संस्कृति, संस्कारों एवं सामाजिक क्रियाओं से भी परिचित कराती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आज के छात्रों को शिक्षा के साथ-साथ हुनरमंद होना भी जरूरी है। इसको ध्यान में रखकर हरियाणा सरकार ने रोजगारोन्मुखी शिक्षा देने के लिए दुधौला में श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय की स्थापना की है। उन्होंने कहा कि कोई भी कार्य छोटा नहीं होता है अतः छात्रों को हाथ का हुनर सीखकर मोदी जी के सपनों का आत्मनिर्भर भारत बनाने में सहयोग करना होगा।

दीक्षांत समारोह अध्यक्ष एस.के तोमर ने डीएवी महाविद्यालय की गरिमायी इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि डीएवी संस्थान न केवल शैक्षिक ज्ञान प्रदान करता है अपितु भारतीय संस्कृति के मूल्यों के साथ बौद्धिक विकास करते हुए नवाचार करने के लिए अभिप्रेरित करता है। इन्हीं प्रयासों से आज के युवा कल के राष्ट्र निर्माता बनकर उभरते हैं। किसी भी मंजिल को हासिल करने के लिए हमें पूरी शिद्दत के साथ कोशिश करनी चाहिए। शुरुआत में हमें असफलता व् निराशा का सामना करना पड़ सकता है परन्तु हमें सदैव एक सकारात्मक आशा के साथ आगे बढ़ते रहना चाहिए।

विशिष्ट अतिथि डॉ. डी.वी सेठी ने कहा कि हमें जीवन में अनुसाहित रहने की जरूरत है। ऋषि-मुनियों के समय के दीक्षांत समारोह में अंतिम पाठ के रूप में गुरु अपने शिष्यों से सत्य बोलने, धर्म के मार्ग पर चलने, स्वाध्याय करने, हाथ का हुनर सीखने व् आत्मचिंतन करने का आग्रह करते थे। हम सभी को भी स्वाध्याय व् आत्मचिंतन करते हुए जीवनपथ पर अग्रसित होना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा स्वामी दयानन्द सरस्वती की 200वीं जयंती पर दिए हुए।

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