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कोविड -19 के कारण भविष्य में स्वास्थ्य क्षेत्र में हो सकता है व्यापक सुधार

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New Delhi Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : कोविड -19 की वर्तमान महामारी के कारण जन जीवन और अर्थव्यवस्था को अभूतपूर्व नुकसान पहुंचा है लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले समय में इस महामारी का स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सहित अनेक क्षेत्रों में दीर्घकालिक सकारात्मक प्रभाव पडेंगे जिसके कारण स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर होगी।

कोविड-19 के कारण हालांकि दुनिया भर में जन जीवन अस्त–व्यस्त हो गया और स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई। कोविड –19 और उसके कारण लागू लॉकडाउन के कारण अन्य बीमारियों के मरीजों को जरूरी इलाज से बंचित रहना पडा लेकिन चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले समय में कोविड –19 का चिकित्सा के क्षेत्र में कई साकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे। इनमें चिकित्सा के क्षेत्र में निवेश को बढाया जाना, संक्रमण के नियंत्रण की बेहतर प्रणालियों को लागू किया जाना, टेलीमेडिसीन का व्यापक उपयोग और व्यक्तिगत साफ – सफाई को अधिक महत्व दिया जाना आदि प्रमुख है।

इस विषय पर अध्ययन करने वाले शोधकर्ताओं की टीम के प्रमुख नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ आर्थोपेडिक सर्जन प्रो़. (डा.) राजू वैश्य ने कहा कि आने वाले समय में सरकारें स्वास्थ्य सेवा के ढांचे में सुधार और निवेश पर अधिक ध्यान देगी जिसके कारण स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार होगा। इसके अलावा चिकित्सा के क्षेत्र में टेलीमेडिसीन क्रांति की शुरूआत हो रही है और भविष्य में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रसार में इसकी अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इसके अलावा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के क्षेत्र में शोध एवं अनुसंधान को अधिक बढावा मिलेगा।

डा़ राजू वैश्य एवं उनके सहयोगी शोधकर्ताओं ने स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर कोविड -19 के परिणामों का विश्लेषण किया और उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि कोविड -19 स्वास्थ्य देखभाल की सुविधाओं को सुलभ बनाने में’ गंभीर मरीजों के इलाज की व्यवस्था को बेहतर बनाने में’ ओपीडी सेवा में सुधार करने में’ स्वास्थ्य ढाचे में सुधार तथा स्वास्थ्य निवेश में सुधार जैसे कई सकारात्मक बदलाव लाएगा। इन शोधकर्ताओं के अनुसार कोविड –19 की मौजूदा महामारी ने इस तथ्य को उजागर किया है कि भारत सहित कई देशों में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के लिख होने वाला खर्च बहुत कम है और इन देशों में खासकर भारत में स्वास्थ्य के लिए अधिक निवेश किए जाने की जरूरत है तथा सार्वजनिक एवं निजी स्वास्थ्य क्षेत्र को को सही तरीके से संचालित एवं सुव्यवस्थित किए जाने की जरूरत है।

इन शोधकर्ताओं में प्रो़. (डॉ.) राजू वैश्य के अलावा डा़. कार्तिकेयन आयंगर, डा़. विजय जैन, डा़. अभिषेक वैश्य, डा. अहमद मब्रोक, और डा. अकाश वेंकटेशन शामिल हैं। डा़ आयंगर नई दिल्ली के डा़. राममनोहर लोहिया अस्पताल के अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीच्यूट आफ मेडिकल साइंसेस में वरिष्ठ आर्थोपेडिक सर्जन हैं’ डा़. अहमद माब्रौक एवं डा़. विजय कुमार ब्रिटेन के साउथपोस्ट एंड ऑर्म्सकिर्क एनएचएस ट्रस्ट के शोधकता हैं, डा. आकाश वेंकटेश ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी हास्पीटल लंडोफ और वेले यूनिवर्सिटी हेल्थ बोर्ड’ कोर्डिफ’ वेल्स में क्लिनिक फेलो हैं तथा डा़. अभिषेक वैश्य नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में आर्थोपेडिक सर्जन हैं।

इन शोधकर्ताओं ने कहा है कि भारत में सरकार की ओर से स्वास्थ्य पर जीडीपी के करीब 1.3 प्रतिशत हिस्से के बराबर का खर्च किया जाता है जो कि कोविड 19 जैसी महामारियों से लडने के लिहाज से काफी कम है और ऐसे में कोविड – १९ के कारण उत्पन्न स्थितियों ने भारत एवं अन्य देशों मे स्वास्थ्य के क्षेत्र में दीर्घकालिक परिवर्तन किए जाने की आवश्यकता को रेखाकित किया है। हाल ही में महामारी के दौरान भारत सरकार ने सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली सुधार के लिए खर्च को बढाया है। सरकार ने पीपीई, वेंटिलेटर, अस्पताल के बुनियादी ढांचे का निर्माण, आईसीयू बेड, अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति और प्रयोगशालाओं को मजबूत करने जैसे जीवन रक्षक उपकरण बनाने और निवेश करने के साथ अधिक आत्मनिर्भर बनने के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना ‘आत्म निर्भर भारत’ की शुरूआत की है।

डायबिटीज एंड मेटाबोलिक सिंड्रोम: क्लिनिकल रिसर्च एंड रिव्यूज़ में हाल ही में प्रकाशित अपने शोध पत्र में इन शोधकर्ताओं ने कहा कि दुनिया भर में कोविड –19 के दौरान दुनिया भर के मेडिकल जर्नलों में शोध पत्रों को प्रकाशन के लिए भेजे जाने की संख्या में तीन से चार गुना वृद्धि हुई और यह सकारात्मक प्रवृत्ति भविष्य में जारी रह सकती है और इन अनुसंधानों से भविष्य में महामारी से निपटने के प्रभावी साधनों को खोजने तथा विभिन्न बीमारियों के लिए कारगर उपचार विकसित करने में काफी मदद मिल सकती है।

इन शोधकर्ताओं ने पाया कि वायरस के संक्रमण से लोगों को बचाने’ वायरस संक्रमण के इलाज ‘ हाथों की साफ–सफाई’ संक्रमणों के नियंत्रण और स्वास्थ्य के विभिन्न् विषयो के बारे में जानकारियों को साझा किए जाने की दर में काफी वृद्धि हुई। साथ ही साथ स्वास्थ एवं चिकित्सा के क्षेत्र में वर्चुअल एवं रिमोट तकनीकों के उपयोग में भी अभूतपूर्व तेजी आई है।

डा़ राजू वैश्य ने कहा कि कोविड –19 की महामारी के कारण स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में कुछ महत्वपूर्ण संभावनाओं और अवसरों का उदय हुआ है। इस महामारी के कारण हमने कई महत्वपूर्ण सबक सीखें हैं। ऐसे संकट के दौरान हमने सीखा है कि अपने संसाधनों का तर्कसंगत एवं अधिकाधिक उपयोग कैसे किया जा सकता है।

डा़ राजू वैश्य ने कहा कि कोविड –19 की महामारी के कारण दुनिया में लागू लॉकडाउन ने शोधकर्ताओं और चिकित्सकों को अपने लंबित पेपर प्रकाशनों और शोध कार्यों को पूरा करने का एक अनूठा अवसर दिया है। कोविड–19 महामारी के दौरान चिकित्सा अनुसंधान से जुडे शोध पत्रों के प्रकाशन में ३०० गुना की बढोतरी देखी गई। डा़ राजू वैश्य के कोविड–19 की महामारी के दौरान विभिन्न प्रतिष्ठित राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्टीय शोध पत्रिकाओं में 100 से अधिक शोध पेपर प्रकशित हुए हैं।

प्रो़. राजू वैश्य ने बताया कि कोविड -19 भविष्य में टेलीमेडिसिन क्रांति को जन्म देगा। कोविड -19 के दौरान स्वास्थ्य संगठनों ने स्वीकार किया कि टेलीमेडिसिन की एक महत्वपूर्ण भूमिका है और कई अस्पतालों ने टेलीमेडिसिन की सुविधा के लिए अलग विभाग बनाए हैं। वर्तमान समय में विकसित दूरसंचार प्रौद्योगिकियां बीमारियों के निदान एवं प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। रिमोट परामर्श के लिए टेलीफोन परामर्श, वर्चुअल फ्रैक्चर क्लीनिक और वीडियो परामर्श शामिल आदि का उपयोग तेजी से बढा है।

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