Faridabad NCR
हरित प्रौद्योगिकी और पर्यावरणीय स्थिरता” पर एक सप्ताह का कार्यक्रम प्रारंभ
Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 8 सितम्बर जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद में “हरित प्रौद्योगिकी और पर्यावरणीय स्थिरता” विषय एक सप्ताह का फैकल्टी डेवलेपमेंट कार्यक्रम आज प्रारंभ हो गया। टीईक्यूआईपी-3 के अंतर्गत प्रायोजित इस कार्यक्रम में देश के 18 राज्यों से करीब 200 प्रतिभागी हिस्सा ले रहे है।
कार्यक्रम का उद्घाटन कुलपति प्रो दिनेश कुमार ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रस्तावित नीले आसमान लिए प्रथम अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस को चिह्नित करते हुए किया, जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य, जीवन और पर्यावरण के लिए शुद्ध वायु के महत्व को लेकर जागरूकता लाना है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पर्यावरण विभाग के राष्ट्रीय संयोजक गोपाल आर्य, विज्ञान भारती के उपाध्यक्ष और भारतीय मौसम विभाग, नई दिल्ली के पूर्व महानिदेशक डॉ. एल.एस. राठौड़ और सोलर एनर्जी सोसाइटी ऑफ इंडिया (एसईएसआई) के अध्यक्ष, नई दिल्ली डॉ. प्रफुल्ल पाठक सत्र में विशिष्ट अतिथि रहे। कार्यक्रम का समन्वय सिविल इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष प्रो. एम.एल. अग्रवाल और पर्यावरण विज्ञान विभाग की अध्यक्षा डॉ. रेनूका गुप्ता द्वारा किया जा रहा है।
इस अवसर पर बोलते हुए कुलपति प्रो दिनेश कुमार ने स्वच्छ और हरित पर्यावरण के महत्व को रेखांकित किया। कोरोना महामारी के प्रभाव का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के सभी नकारात्मक प्रभावों के अलावा इस महामारी ने हमें प्रकृति के महत्व को महसूस करने का अवसर भी दिया है। लॉकडाउन अवधि के दौरान प्रदूषण के स्तर में कमी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि फरीदाबाद ने 50-100 के बीच वायु गुणवत्ता सूचकांक दर्ज किया है जो महामारी से पहले 400-600 था। उन्होंने इस सूचकांक स्तर को बनाए रखने के लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया और विद्यार्थियों से पर्यावरण को बनाये रखने के लिए पेड़ लगाने और अपनाने का आह्वान किया।
सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पर्यावरण विभाग के राष्ट्रीय संयोजक गोपाल आर्य ने कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल फरीदाबाद जैसे शहरों में हरित प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने की जरूरत पर बल दिया। श्री आर्य ने सतत विकास और पर्यावरण के अनुकूल उद्योगों की आवश्यकता को जरूरी बताया। उन्होंने पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सभी शैक्षणिक संस्थानों में इको-क्लबों गठित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
सोलर एनर्जी सोसाइटी ऑफ इंडिया (एसईएसआई), नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ प्रफुल्ल पाठक ने अपने संबोधन में भारत में सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकी की उन्नति और नवीकरणीय ऊर्जा के प्रसार के लिए सरकार द्वारा की गई पहल के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ऊर्जा भंडारण प्रणाली के विकास ने सौर ऊर्जा उद्योग में क्रांति ला दी है। उन्होंने कहा कि जन परिवहन प्रणाली के लिए ई-वाहन अब समय की मांग है।
विज्ञान भारती के उपाध्यक्ष डॉ. एल.एस. राठौड़ ने पर्यावरण संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए ऊर्जा संसाधनों की दक्षता में वृद्धि के साथ उत्पादन पैटर्न, खपत पैटर्न, परिवहन पैटर्न को बदलने की आवश्यकता पर बल दिया।
इससे पहले अपने स्वागत भाषण में सिविल इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष प्रो. एम.एल. अग्रवाल ने कार्यक्रम तथा इसके उद्देश्य के बारे में एक संक्षिप्त परिचय दिया। पर्यावरण विज्ञान की विभागाध्यक्ष डॉ. रेनूका गुप्ता ने कार्यक्रम के प्रमुख विषय पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम को विभिन्न विशेषज्ञता के अंतःविषय विषयों में काम करने वाले संकाय सदस्यों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है और कार्यक्रम में मेलबर्न युनिवर्सिटी, पार्कविले, ऑस्ट्रेलिया, डेल्टा स्टेट यूनिवर्सिटी, अब्राहका (नाइजीरिया) सहित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के अलावा पर्यावरण प्रबंधन के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले गैर सरकारी संगठनों और कॉर्पोरेट क्षेत्रों के विशेषज्ञ अपने व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे।
सत्र का समापन पर कुलसचिव डॉ. एस के गर्ग ने अतिथि वक्ताओं का धन्यवाद किया। उन्होंने कार्यक्रम की सफलता के लिए आयोजक विभागों को शुभकामनाएं दीं। डॉ. विशाल पुरी और डॉ. सोमवीर बाजड़ कार्यक्रम के आयोजन सचिव हैं।