Faridabad NCR
पंच-सरपंचों ने विधायक को ज्ञापन सौंप गांवों को निगम में शामिल न करने की मांग
Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : हरियाणा सरकार द्वारा फरीदाबाद की तीन विधानसभाओं के 26 गांवों को नगर निगम में शामिल किए जाने के प्रस्ताव का अब गांवों के पंच-सरपंचों व मौजिज लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया है। इस प्रस्ताव के खिलाफ गुरूवार को पृथला विधानसभा एवं तिगांव क्षेत्र के कई गांवों के सरपंच, पंच व मौजिज लोगों ने सरपंच एसो. फरीदाबाद, हरियाणा के अध्यक्ष सरपंच महीपाल आर्य के नेतृत्व में पृथला क्षेत्र के विधायक एवं चेयरमैन नयनपाल रावत से उनके सेक्टर-15ए स्थित निवास पर मुलाकात की और उन्हें एक ज्ञापन सौंपतें हुए इन 26 गांवों के नगर निगम में शामिल किए जाने के प्रस्ताव को रद्द करने की मांग की। ग्रामीणों ने विधायक नयनपाल रावत को बताया कि प्रदेश सरकार का यह प्रस्ताव पूरी तरह से गलत है क्योंकि इस प्रस्ताव के पास होने से गांवों का विकास बाधित होगा और इससे किसानों को भी परेशानियां पेश आएगी और इन 26 गांवों में रहने वाले ग्रामीण नहीं चाहते कि उनके गांव नगर निगम में शामिल किए जाए। ग्रामीणों की बात गंभीरता से सुनने के बाद विधायक नयनपाल रावत ने कहा कि प्रदेश सरकार में बैठे अधिकारियों व नेताओं के द्वारा जल्दबाजी में यह निर्णय लिया गया है क्योंकि नगर निगम मेें पहले से 40 वार्ड है, इनमें कई गांव शामिल है, जिनमें सारन, दौलताबाद, सीही व अजरौंदा गांवों के विकास की हालत बुरी तरह से बदहाल है, यहां के किसान न तो खेती करते है और न ही पशुधन पालते है, वह छोटी मोटी दुकान करके अपनी रोजी रोटी चला रहे है, पहले नगर निगम अपने अधीन आने वाले 40 वार्डाे का उचित रखरखाव करें वहां बुनियादी सुविधाएं लोगों को मुहैया करवाएं, उसके बाद अन्य गांवों को निगम में शामिल करने पर विचार होना चाहिए। श्री रावत ने कहा कि इससे पूर्व पृथला क्षेत्र के चार गांवों आलापुर, अगवानपुर, नया गांव (फजलपुर), फिरोजपुर को पलवल नगरपालिका क्षेत्र में शामिल किया गया था और आज यह गांव भी विकास के मामले में पीछे छूट गए है। उन्होंने कहा कि बहुत सी पंचायतों के प्रतिनिधि मुख्यमंत्री के इस निर्णय से राजी नहीं है, वह स्वयं इसके लिए राजी नहीं है कि नगर निगम की परिधि में गंावों को लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव को लेकर न तो जनप्रतिनिधियों, गांव के सरपंचों व मौजिज लोगों से कोई राय नहीं ली गई इसलिए यह प्रस्ताव लोगों के गले नहीं उतर रहा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल किसी भी सूरत में प्रदेश की पौने तीन करोड़ की जनता का अहित बर्दाश्त नहीं कर सकते, वे संत प्रवृत्ति के व्यक्ति है और पारदर्शी राजनीति करते है और समाज के लोगों पर कोई गलत निर्णय नहीं थोपते। उन्होंने कहा कि पृथला क्षेत्र के भी दस गांव इस दायरे में शामिल किए गए है और इस मुद्दे को लेकर वह स्वयं मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मिलेंगे और उन्हें वास्तविक स्थिति से अवगत करवाएंगे और उन्हें उम्मीद है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल इस प्रस्ताव पर रोक लगाकर ग्रामीणों को राहत देने का काम करेंगे। इस अवसर पर नंगला जोगियान के सरपंच गुलशन कीना, नवादा के सरपंच बेगराज, खंदावली के सरपंच निसार खान, जाजरू के सरपंच प्रेम सिंह, बाबूराम, नारायण सिंह, वेदप्रकाश, सिब्बी, तेजपाल, राजबीर सिंह, सतपाल सिंह, राजकुमार गोरा सहित अनेकों गांवों के पंच-सरपंच व मौजिज लोग मौजूद थे।