Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 16 अक्टूबर। ईश्वर की रहमत में कभी कोई कमी नहीं आती। दुनिया में हम किसी भी वस्तु को देखें तो पाते हैं कि प्रत्येक वस्तु जन्म लेती है, फूलती-फलती है और विनाश होती है लेकिन संसार जगत में एक ऐसी ताकत है, जिसने धरती, जल, वायु, अग्नि, आकाश, करोड़ों देवी-देवताओं, चैरासी लाख योनियों और न जाने क्या-क्या उत्पन्न किया, फिर भी वह सर्व कला भरपूर है।
ये आध्यात्मिक प्रवचन महाराज दर्शन दास धर्मार्थ ट्रस्ट के गद्दीनशीन महाराज ‘कंत’ अपने भक्तों के बीच करते हुए आगे कहते हैं कि सतयुग, त्रैता, द्वापर या फिर कलियुग ही क्यों न हो। उसकी कृपा, उसकी रहमत में कोई कमी नहीं आती, जिसमें कोई कमी नहीं आती है, वह केवल एक ईश्वर है। यदि हम अपने जीवन के बारे में सोचें तो हम कई कारणों से दुखी हैं, कि हमारे पास अमुक वस्तु की कमी है, हमारे पड़ोसी के पास वह वस्तु है, हमारे पास से कहीं अमुक वस्तु छीन न जाए। हम यह सोच-सोचकर परेशान हो जाते हैं, दुखी हो जाते हैं और जो व्यक्ति हमें किसी गुण, कला, धन दौलत, शोहरत व व्यापार आदि में अपने से आगे अथवा ऊपर दिखता है तो हमें अपने अन्दर कमी महसूस होने लग जाती है और वह हम सहन नहीं कर पाते और कहते हैं हे ईश्वर वह हमारे से ऊपर क्यों हो गया।
कंत महाराज उपस्थित भक्तगणों को समझाते हुए कहते हैं, गुरु नानक जी ने कहा है ‘नानक दुखिया सब संसार’ अर्थात यह संसार ही दुखी है। ईश्वर न्यायकारी है, वह सबको एक ही तराजू में तोलता है, वह न तो किसी को एक पैसा कम देता है न ही एक पैसा अधिक देता है। यह प्रत्येक जीव को उसके कर्मानुसार फल प्रदान करता है। मनुष्य अपने अन्दर बसी आत्मा से ही महान बन सकते हंै। रिद्धि सिद्धि प्राप्त कर सकते हैं। मानव दैवी शक्तियां प्राप्त कर सकते हंै, लेकिन उनका गलत प्रयोग करके आप रावण, कंस, भस्मासुर, दुर्योधन आदि बन सकते हैं और दूसरी ओर भक्त कबीर, बुल्लेशाह, बाबा फरीद आदि भी बन सकते हैं, भले ही ये भक्त अवतार नहीं फिर भी ये अवतारों की पक्ति में आकर खड़े हो गए अर्थात प्रत्येक जीवन को कुकर्मों से बचकर सुकर्मांं द्वारा अपना जीवन सफल बनाना चाहिए।