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Faridabad NCR

डी.ए.वी शताब्दी महाविद्यालय के शिक्षकों ने तीन दिवसीय ‘‘शिक्षक स्वाध्याय आनंद शाला’’ में किया शिक्षक रूप में स्वयं से परिचय

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj :14 जनवरी से 16 जनवरी तक ने भारतीय षिक्षण मंडल के संयुक्त तत्वाधान में डी. ए. वी. षताब्दी महाविद्यालय के परिसर में आॅनलाइन प्लेटफाॅर्म पर त्रिदिवसीय ‘‘षिक्षक स्वाध्याय आनंदषाला’’ का आयोजन किया गया। भारतीय षिक्षण मंडल, हरियाणा प्रान्त के षालेय प्रकल्प के अंर्तगत आयोजित इस ओरिएन्टेषन कार्यक्रम में तीन दिन तीन घंटे षिक्षकों ने षिक्षक, षिक्षण एवं षिक्षक-स्वाध्याय से जुड़े विभिन्न गूढ़ विशयों पर जानकारी हासिल की। इस आनन्दषाला के षुभारम्भ पर अखिल भारतीय षिक्षण मंडल के प्रान्त मंत्री एवं डी.सी.डी.सी. , एम. डी. यू. रोहतक से प्रो. युद्ववीर सिंह बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहें। सी. बी.एल.यू. भिवानी के रजिस्ट्रार और बी. एस. एम. हरियाणा प्रांत के अध्यक्ष डाॅ. जितेन्द्र भारद्वाज के साथ अखिल भारतीय सह सम्पर्क प्रमुख और उत्तर क्षेत्र के पालक अधिकारी श्री पंकज नाफड़े जी भी इस आनंदषाला के उद्घाटन अवसर पर गेस्ट आॅफ आॅनर के रूप में उपस्थित हुए। भारतीय षिक्षण मंडल हरियाणा प्रांत कें राज्य सचिव इंजीनियर सुनील षर्मा के सहयोग से काॅलेज प्राचार्या डाॅ सविता भगत ने इस आनंदषाला की परिकल्पना को षिक्षकों को षिक्षण में और अधिक सुधार लाने हेतु तीन दिवसीय अभिमुखता कार्यक्रम की तर्ज़ पर जू़म प्लेटफाॅर्म पर आयोजित करने का निर्णय लिया। इस कार्यषाला में भारतीय षिक्षण मंडल हरियाणा प्रांत कें षालेय प्रकल्प के अखिल भारतीय सह – प्रमुख इंजीनियर सुब्रमन्या बी. ए. ने तीनो दिन मुख्य वक्ता की भूमिका निभायी। कार्यक्रम के प्रथम दिन मुख्य अतिथि प्रो. युद्धवीर सिंह ने अपने वक्तव्य में षिक्षक स्वाध्याय की विस्तृत अवधारणा पर जानकारी देते हुए षिक्षकों को तकनीकी क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की सलाह दी। उन्होनें कहा कि एक षिक्षक को प्रतिस्पर्धा स्वयं से करनी चाहिए न कि दूसरों से। बी. एस. एम. हरियाणा प्रांत- अध्यक्ष डाॅ. जितेन्द्र भारद्वाज ने मंडल के द्वारा षिक्षकों के स्वाध्याय के लिए आयोजित किये गये विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी दी। इस अवसर पर अखिल भारतीय सह- सम्पर्क श्री पंकज नाफड़े ने भारतीयता और आत्मीयता की बात करते हुए षिक्षकों को सदैव अध्ययनरत रहने की सलाह दी। आनंदषाला के मुख्य वक्ता इंजीनियर सुब्रमन्या जी ने अपनी विषिश्ट षैली के माध्यम से युक्ताकारी, मुक्ताकारी और अर्थाकारी षिक्षा का वर्णन करते हुए विविधता को भारतीयता का महत्वपूर्ण अंग बताया। कार्यषाला के प्रथम दिन उन्होनें षिक्षकों के साथ वार्तालाप करके उन्हें षिक्षक होने की महत्ता, राश्ट्र- निर्माण में षिक्षकों की भूमिका और षिक्षक के उत्तरदायित्व से परिचय कराया। आनन्दषाला के दूसरे दिन उन्होनें सभी षिक्षक प्रतिभागियों को 7 ग्रुप्स में बाँटकर ‘‘जीवन मूल्यों का विकास, राश्ट्रीयता का जागरण,भारतीय संस्कार एवं चरित्र निर्माण’’ जैसे विशयों पर समूह चर्चा करने के लिए कहा। वक्ता सुब्रमन्या जी ने बताया कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए षिक्षा के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर परिवर्तन लाने की आवष्यकता है और यह परिवर्तन एक षिक्षक ही ला सकता है। उन्होनें षिक्षकों को परिवर्तन की तकनीकियों से अवगत कराया । अन्तिम एवं तीसरे दिन मुख्य वक्ता ने षिक्षको को सकारात्मक , कृतिषील, समयबद्ध और त्याग भाव से परिपूर्ण संकल्प की षक्ति के विशय में बताया। उन्होनें बताया कि एक षिक्षक को विष्व कल्याण के निर्माण हेतु संकल्प करना चाहिए। उन्होनें प्रत्येक षिक्षक को स्वयं के लिए, कक्षा, षाला, संगठन,समाज और षासन के लिए एक-एक संकल्प लेने को कहा। आनंदषाला के समापन समारोह में डिप्टी कमिष्नर,फरीदाबाद आई. ए. एस. श्री यषपाल यादव मुख्य अतिथि थे। उन्होनें स्वयं जीवन में षिक्षकों की भूमिका को महत्वपूर्ण मानते हुए अपनी समस्त उपलब्ध्यिों के लिए अपने गुरूजनों का आभार जताया। भारतीय षिक्षण मंडल के अखिल भारतीय महामंत्री डाॅ उमाषंकर पचैरी जी इस आनन्दषाला में विषिश्ट अतिथि के रूप में अमंत्रित थे। उन्होनें षिक्षकों को स्वाध्याय के लिए अभिप्रेेरित करने के लिए डी. ए. वी. षताब्दी महाविद्यालय द्वारा की गयी पहल की भूरि- भूरि प्रषंसा की। भारतीय षिक्षण मंडल के हरियणा प्रांत सचिव इंजीनियर सुनील षर्मा ने इस त्रिदिवसीय आनन्दषाला के आयोजन में काॅलेज प्राचार्या डाॅ. सविता भगत एवं काॅलेज प्रषासन के हर सम्भव सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। समापन समारोह के अंत में डाॅ. सविता भगत ने सभी गणमान्य अतिथियों एवं समस्त षिक्षक प्रतिभागियों का धन्यवाद करते हुए समय- समय पर इस प्रकार के ज्ञानवर्धक, उत्साहवर्धक,सृजनात्मक एवं रोचकता से परिपूर्ण कार्यक्रमों के आयोजन का आष्वासन दिया। षिक्षक स्वाध्याय के माध्यम से षिक्षण पद्धतियों में सुधार लाने और राश्ट्र निर्माण हेतु निरन्तर अध्ययन करने के लिए महाविद्यालय के लगभग 90 से भी अधिक षिक्षकों ने इस आनंदषाला में भाग लिया। बी. एस. एम. के साथ मिलकर काॅलेज परिसर में इस आनन्दषाला के आयोजन को सुचारू रूप से गति प्रदान करने में भारतीय षिक्षण मंडल हरियाणा प्रांत के षालेय प्रकल्प में सह-प्रमुख राकेष कुमार ष्योराण और काॅलेज के वाणिज्य विभाग से असिस्टेंट प्रोफेसर बिंदु राॅय की महत्वपूर्ण भूमिका रही। आॅनलाइन प्लेटफाॅर्म पर इस आयोजन के तकनीकी पक्ष में मि. दिनेष कुमार का विषेश सहयोग रहा। कार्यक्रम में संचालक की भूमिका श्री राकेष कुमार ष्योराण, श्रीमती बिंदु राॅय और श्री मती रेखा षर्मा ने निभाई। कार्यक्रम निष्चित रूप से षिक्षकों के मन पर स्वाध्याय की अमिट छाप छोड़ गया।

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