Faridabad NCR
जे.सी. बोस विश्वविद्यालय में भारतीय नववर्ष का हर्षोल्लास के साथ स्वागत
Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 13 अप्रैल। जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद द्वारा आज भारतीय नववर्ष (नव-संवत्सर) विक्रम सम्वत 2078 का स्वागत उत्साह एवं हर्षोल्लास के साथ किया गया। इस उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय परिसर में शांति एवं समृद्ध के लिए हवन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर भारतीय नववर्ष के ऐतिहासिक एवं वैज्ञानिक आधार को लेकर विस्तार से चर्चा भी की गई।
शिक्षाविद प्रो. देव प्रसाद भारद्वाज ने भारतीय नववर्ष के ऐतिहासिक एवं वैज्ञानिक आधार को लेकर व्याख्यान प्रस्तुत किया। इस व्याख्यान सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने की। इस अवसर पर कुलसचिव डाॅ. सुनील कुमार गर्ग भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन युवा कल्याण मामलों के निदेशक डाॅ. प्रदीप डिमरी ने किया तथा सत्र का संयोजन विवेकानंद मंच तथा लिबरल आट्र्स एवं मीडिया स्टडीज विभाग के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
सत्र को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने भारतीय नववर्ष की शुभकामनाएं देते हुए हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का पौराणिक, ऐतिहासिक तथा प्राकृतिक महत्व है। भारत में नववर्ष ऋतुराज वसंत की आगमन से होता है जोकि फसल के पकने का समय होता है तथा आर्थिक वर्ष का प्रारंभ भी इसी माह में होता है। इसलिए, प्रत्येक दृष्टि से सही मायने में नववर्ष विक्रम सम्वत अधिक प्रासंगिक है। उन्होंने कामना की कि नया वर्ष प्रत्येक के जीवन में नई उमंग, उत्साह, सुख-समृद्धि और खुशहाली लेकर आये।
भारतीय नववर्ष की ऐतिहासिकता एवं वैज्ञानिकता प्रो. देव प्रसाद भारद्वाज ने कहा कि नव-संवत्सर प्राचीन मनीषियों और भारतीय खगोल-शास्त्रियों के सूक्ष्म चिन्तन-मनन के आधार पर की गई कालगणना के अनुसार पूर्णतः वैज्ञानिक एवं प्रकृति-सम्मत है। यह प्रमाणिक है कि चन्द्रग्रहण एवं सूर्यग्रहण जैसी घटना अचूक रूप से पूर्णिमा एवं अमावस्या को ही होती हैं। भारतीय नववर्ष राष्ट्रीय स्वाभिमान एवं सांस्कृतिक-ऐतिहासिक धरोहर को मान्यता देने का दिन है। उन्होंने कहा कि हमें भारतीय संस्कृति पर गर्व एवं अभिमान करना चाहिए। सत्र को कुलसचिव डाॅ. सुनील कुमार गर्ग ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम राष्ट्रगान के साथ संपन्न हुआ।