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Faridabad NCR

जे.सी. बोस विश्वविद्यालय द्वारा 21 शोधकर्ताओं को ‘अनुसंधान पुरस्कार’ 

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 19 अप्रैल। अनुसंधान को बढ़ावा देने तथा शोध कार्यों की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए जारी प्रयासों के अंतर्गत जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद ने आज 21 शिक्षकों तथा शोधार्थियों को ‘अनुसंधान पुरस्कार’ से सम्मानित किया। विश्वविद्यालय की अनुसंधान नीति में पुरस्कार के अंतर्गत मैरिट प्रमाण पत्र तथा 50 हजार रुपये से लेकर पांच लाख रुपये तक के नकद पुरस्कार का प्रावधान है जो विश्वविद्यालय द्वारा सूचीबद्ध साइंस साइटेशन इंडेक्स (एससीआई) या साइंस साइटेशन इंडेक्स एक्सपेंडेड (एससीआईई) शोध पत्रिकाओं में शोध पत्रों के प्रकाशन के लिए प्रदान किया जाता है।
विश्वविद्यालय द्वारा आनलाइन आयोजित पुरस्कार समारोह में वर्ष 2019-20 के लिए प्रशंसनीय अनुसंधान पुरस्कार के तहत शिक्षकों व शोधार्थियों को उनके द्वारा प्रकाशित 17 शोध पत्रों के लिए पुरस्कृत किया गया।
पुरस्कार समारोह में एचएस उल्म विश्वविद्यालय, जर्मनी से प्रो. क्रिश्चियन ग्लोबग्लर, जो मर्सिडीज बेंज स्टटगार्ट, जर्मनी में शोधकर्ता भी हैं, मुख्य अतिथि तथा पीएफएच विश्वविद्यालय गोएटिंगेन, जर्मनी में अंतर्राष्ट्रीय मामलों के प्रमुख प्रो. जोआचिम अहरेंस विशिष्ट अतिथि रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने की। इस अवसर पर यैस जर्मनी के संस्थापक और सीईओ डॉ. गगन सियाल भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय केे अंतर्राष्ट्रीय मामले प्रकोष्ठ के सहयोग से किया गया।
जर्मनी से आमंत्रित दोनों शिक्षाविदों ने शोध को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय की पहल की सराहना की। प्रो. ग्लोबग्लर ने राष्ट्र की स्थिरता और विकास में अनुसंधान की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने इंडो-जर्मन संयुक्त अनुसंधान सहयोग के बारे में भी बात की, जो 60 वर्षों से अधिक समय तक चला। अहरेंस ने विद्यार्थियों और शोधार्थियों के लिए शोध के महत्व पर बल दिया और जे.सी. बोस विश्वविद्यालय के साथ संयुक्त अनुसंधान सहयोग को लेकर इच्छा जताई।
समारोह को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय में शोध संस्कृति विकसित करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया तथा कहा कि उनका लक्ष्य अनुसंधान पुरस्कार राशि को सालाना एक करोड़ रुपये तक ले जाने का है। कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय में शोध गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान संवर्धन बोर्ड का गठन किया गया है। इसके अलावा, प्रत्येक क्षेत्र में नवाचार तथा उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के साथ-साथ अकादमिक-औद्योगिक संबंधों को मजबूत बनाने पर भी बल दिया जा रहा है। नई शोध प्रयोगशालाएं विकसित तथा पुरानी अपग्रेड की गई है। इसके अलावा, विश्वविद्यालय द्वारा लगभग 8 करोड़ रुपये के शोध उपकरणों की खरीद की गई है। उन्होंने आशा जताई कि अनुसंधान पुरस्कारों के शुरू होने से विश्वविद्यालय में शोध कार्यों की गुणवत्ता में और अधिक सुधार होगा।
इस अवसर पर डीन (अनुसंधान व विकास) प्रो. राजेश कुमार आहूजा ने अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा उठाये गये महत्वपूर्ण कदमों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष 2017 से पूर्णकालीन पीएचडी पाठ्यक्रम शुरू कर दिया गया है और इसके तहत प्रत्येक विभाग से एक शोधार्थी को अनुसंधान छात्रवृत्ति भी प्रदान की जा रही है। उन्होंने बताया कि अनुसंधान को बढ़ावा देने तथा गुणवत्ता सुधारने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा अकादमिक व अनुसंधान संगठनों के साथ कई समझौते भी किये गये है। इसके अलावा, विश्वविद्यालय द्वारा समय-समय पर संकाय सदस्यों से भी अनुसंधान परियोजनाएं आमंत्रित की जाती है, जिसका वित्त पोषण विश्वविद्यालय द्वारा किया जाता हैं।
समारोह के दौरान जिन शिक्षकों को अनुसंधान पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, प्रो. विक्रम सिंह, प्रो. अरविंद गुप्ता, प्रो. प्रदीप डिमरी, प्रो. अंजू गुप्ता, डॉ. मनीषा गर्ग, डॉ. सपना गंभीर, डॉ. शैलेंद्र गुप्ता, डॉ. मणिकांत यादव, डॉ. रश्मि चावला, डॉ. उमेश कुमार, डॉ. प्रवीण गोयल, डॉ. ललित मोहन गोयल, डॉ. कौशल कुमार, संगीता ढल और शिवी गर्ग शामिल हैं। जिन शोधार्थियों को पुरस्कार प्रदान किये गये उनमें राजेन्द्र कुमार तायल, नीलम रानी, सचिन गुप्ता, अंशुल चोपड़ा, रिंकू शर्मा और भूपेन्द्र सिंह शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय द्वारा अनुसंधान पुरस्कार तीन श्रेणियों में प्रदान किये जाते है, जिसमें 50,000 रुपये की राशि का प्रशंसनीय अनुसंधान पुरस्कार, एक लाख रुपये की राशि का प्रीमियर अनुसंधान पुरस्कार तथा पांच लाख रुपये की राशि का उत्कृष्ट अनंसधान पुरस्कार शामिल हैं। इन पुरस्कारों को एससीआई या एससीआईई शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित शोध पत्रों के लिए शोध पत्रिका की प्रकार तथा उसके प्रभाव कारक (इम्पेक्ट फैक्टर) के आधार पर दिया जाता है। पुरस्कार के लिए शोध पत्रिका का इम्पेक्ट फैक्टर एक या इससे अधिक होना अनिवार्य है। पुरस्कार मानदंड के अनुसार, कोई भी नियमित विश्वविद्यालय शिक्षक या विद्यार्थी जोकि विश्वविद्यालय के किसी पाठ्यक्रम में पंजीकृत हो, प्रतिवर्ष प्रकाशित होने वाले अपने शोध पत्रों के साथ पुरस्कार के लिए आवेदन कर सकता है। बशर्तें उसका शोध पत्र विश्वविद्यालय द्वारा सूचीबद्ध विज्ञान प्रशस्तिपत्र सूचकांक (एससीआई) या विज्ञान प्रशस्तिपत्र सूचकांक विस्तारित (एससीआईई) शोध पत्रिका में प्रकाशित हुआ हो।

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