Faridabad NCR
औपनिवेशिक काल से लेकर अब तक की अंग्रेजी साहित्य की यात्रा ने स्वयं को लगातार प्रसारित किया है : प्रोफेसर डॉक्टर रणदीप राणा
Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 9 जुलाई। जे.सी. विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के अंग्रेजी साहित्य और भाषा विभाग द्वारा ‘भारतीय अंग्रेजी साहित्य: एक अवलोकन’ विषय पर आयोजित विशेषज्ञ व्याख्यान श्रृंखला आज सम्पन्न हो गयी। इस सम्मेलन में शोधकर्ताओं, संकाय सदस्यों और विद्यार्थियों सहित देश के विभिन्न हिस्सों से लगभग 150 प्रतिभागियों ने भाग लिय।
इस सत्र में अंग्रेजी और विदेशी भाषा विभाग, महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक के प्रोफेसर रणदीप राणा मुख्य वक्ता रहे। सत्र में कुलसचिव डॉ एसके गर्ग, विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ अतुल मिश्रा, आयोजन सचिव सुश्री ममता बंसल तथा सह समन्वयक सुश्री ओन्ड्रिला दास उपस्थित रहे। सम्मेलन के समापन दिवस के सत्र के कार्यक्रम का आयोजन एवं संचालन डॉक्टर दिव्य ज्योति सिंह द्वारा वर्चुअल संवाद के माध्यम से किया गया।
इस अवसर पर बोलते हुए मुख्य वक्ता प्रोफेसर डॉ रणदीप राणा ने औपनिवेशिक काल की चर्चा करते हुए कहा कि अब तक हम पर अंग्रेजी सोच-विचार मानसिकता हावी थी। उन्होंने कहा, अंग्रेजी का भारतीय करण करने की बजाय भारतीयों का अंग्रेजी करण किया गया। जिसका खामियाजा हमें उठाना पड़ा। कैनन कानून से निर्दिष्ट होने वाली अतार्किक किताबों पर भी बात की। इसके साथ ही उन्होंने डॉक्टर अंबेडकर द्वारा लिखित जात पांत का विनाश नामक किताब पर भी बात की और उसकी उत्कृष्टता पर अपने विचार रखे।इसके साथ ही अविभाजित पंजाब राज्य के जिला टोबा टेकसिंह से लेकर सलमान रुश्दी तक पर अपने विचार छात्रों से साझा किये। संबोधन के समापन के पश्चात प्रश्नोत्तरी सत्र में विद्यार्थियों के प्रश्नों का उत्तर देकर उनका मार्गदर्शन किया।
प्रो. रणदीप राणा के साथ इस पूरे सत्र के आयोजन का प्रत्येक छात्र पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ा। विशेषज्ञ व्याख्यान श्रृंखला के समापन में सुश्री ममता बंसल ने सभी का आभार व्यक्त किया और सभी को धन्यवाद दिया और प्रश्नोत्तरी सत्र के विजेताओं के नामों की घोषणा की। जैसा कि अपेक्षित था, इस आयोजन ने फिर से उल्लेखनीय रूप से संतोषजनक होने के पदचिन्ह छोड़े।