Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj :
डी.ए.वी शताब्दी महाविद्यालय, फरीदाबाद में ऐनेट व् लिटरेरी वॉयस के सहयोग से कोरोना महामारी के पश्चात पढ़ने और पढ़ाने की बदलती रूपावली – विषय पर चल रहे दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन के द्वितीय दिवस पर शिक्षा विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किये। संगोष्ठी का आगाज गायत्री मंत्रोच्चारण के साथ हुआ। संगोष्ठी के द्वितीय दिवस पर संगोष्ठी की रूपरेखा व् उद्देश्य की जानकारी अंग्रेजी विभाग में कार्यरत सहायक प्रोफेसर शिवम् झाम्ब ने रखी। सहायक प्रोफेसर मैडम उत्तमा पांडे ने देश-विदेश से शामिल हुए सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। महाविद्यालय प्रधानाचार्या डॉ. सविता भगत ने कहा कि शिक्षा के इस बदलते परिवेश ने हमें टेक्नोलॉजी से अवगत तो करा दिया है पर अभी भी हमें विभिन्न आई. सी. टी. टूल्स से परिचित होना होगा। साथ के साथ हमें इस नए परिवेश में छात्रों की सहभागिता को निश्चित करने व् उनके सतत मूल्यांकन के जरूरी नई पद्धितियों को भी समझना होगा।
दिल्ली विश्वविद्यालय में कार्यरत डॉ. विनोद कुमार कंवरिया आई. सी. टी. टूल्स विशेषज्ञ के रूप में संगोष्ठी में शामिल हुए। उन्होंने विभिन्न आई. सी. टी. टूल्स व् उनके सही तरीके से इस्तेमाल की जानकारी प्रतिभागियों से साझा की। इ. एफ. एल. यू. के मटेरियल डेवलपमेंट विभाग से सेवा निर्वित प्रो. गीता दुरैरंजन ने बताया कि ऑनलाइन माध्यम पर हम छात्रों को नहीं बल्कि इमेज आइकॉन्स को पढ़ा रहे होते हैं जिनके न चहरे होते हैं और न आवाज। उनकी सतत सहभागिता निश्चित करने के लिए हमें उनको विभिन्न कार्यों, परियोजनाओं में शामिल करना होगा।
इ. एफ. एल. यू. के मटेरियल डेवलपमेंट विभाग में कार्यरत प्रो. आनंद महानंद ने बताया की नई शिक्षा नीति 2020 के हिसाब से शिक्षकों को नए मूल्यांकन पद्धतियों से 2022-23 तक अपने आपको परिचित करना जरूरी है। उन्होंने योगात्मक व् रचनात्मक मूल्यांकन पद्धतियों को विस्तार से समझाया। उन्होंने प्रतिभागियों को बताया कि एक छात्र का सही मूल्यांकन उन परिस्थियों को ध्यान में रखकर करना चाहिए जो एक छात्र अपने आने वाले वास्तिविक जीवन में करता है।
आई. आई. टी. मद्रास के हुमानिटीज़ एंड सोशल साइंसेस विभाग में कार्यरत प्रो. एस. पी. धनेवाल ने भारत में मूक्स प्लेटफॉर्म्स एनपीटेल व् स्वयम के ऑनलाइन शिक्षा में योगदान के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि कोरोना के बाद टेक्नोलॉजी को लेकर लोगों के रवैये में नाटकीय बदलाव देखा गया है। कनाडा से मिनिस्ट्री ऑफ़ कनाडा में सलाहकार मैडम सीमा सरोज ने कहा छात्रों सही मूल्यांकन एक अनवरत प्रक्रिया है जो उनके सीखने व् जरूरतों के बारे में सतत जानकारी जुटाना है। यह छात्र के बारे में यह जनना है की वो कितना सीख रहा है, कैसे सीख रहा है और कब उसके पाठ्यक्रम को आगे बढ़ाना है। इस विशेषज्ञ चर्चा में मध्यस्थ की भूमिका गायत्री विद्या परिषद् के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. वेंकट रमन निभाई ।
संगोष्ठी के विदाई में अभिवादन डॉ. प्रिया कपूर ने महाविद्यालय प्रधानाचार्या डॉ. सविता भगत ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ.हरीश अरोरा, निदेशक, महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा, मुख्य वक्ता श्री शशिधर, प्रिंस सत्तम बिन अब्दुल अज़ीज़ यूनिवर्सिटी, सऊदी अरब का स्वागत किय। डॉ. हरीश अरोरा ने इस बात पर जोर दिया कि हमें तकनीक के इस दौर में उन वंचित बच्चों का भी ध्यान रखना है जो बहुत दूर गावों में हैं या उनके पास मोबाइल या लॉपटॉप नहीं है। हमें भारत के विकास को ध्यान रखना तो है पर सभी को साथ लेकर, कहीं कोई इस विकास में पीछे न छूट जाये। उन्होंने हिंदी भाषा के विकास पर भी ध्यान देने के लिए कहा। उन्होंने डी.ए.वी. शताब्दी महाविद्यालय व् महाविद्यालय प्रधानाचार्या डॉ. सविता भगत का बहुत आभार व्यक्त किया जिन्होंने इस जरूरी मुद्दे पर चर्चा के लिए एक ऑनलाइन अंतर्राष्ट्रीय मंच तैयार करके दिया।
एम. डी. यू. के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने संगोष्ठी प्रथम दिवस पर प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए बताया था कि एक शिक्षक एक अभिनेता की तरह सेलिब्रिटी बन सकता है यदि वह अपने शिक्षण में पूरा समर्पित हो व् छात्रों को शिक्षा के साथ-साथ अच्छे संस्कार दे। तकनीक केवल एक माध्यम है और समय के लिहाज से ये परिवर्तन शिक्षण पद्धति में भी होना जरूरी है। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने सी. ई. सी. के साथ जुड़कर नए शिक्षण सामग्री तैयार की थी और आज कोरोना काल में वो कितनी उपयोगी साबित हुई। द्वितीय दिवस की विशेषज्ञ चर्चा में कुलपति जी की कही बातों का गूढ़ अर्थ प्रतिभागियों की समझ में आ गया।
अंत में मैडम सुमन तनेजा व् शिवम् झाम्ब ने सभी वक्ताओं व् प्रतिभागियों को इस संगोष्ठी का हिस्सा बनने पर उनका आभार व्यक्त किया। इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन महाविद्यालय की प्रधानाचार्या एवं संगोष्ठी संरक्षक डॉ. सविता भगत के प्रेरक दिशा निर्देशन में किया जा रहा है। देश- विदेश के दो सौ सत्तर प्रतिभागियों ने ज़ूम प्लेटफॉर्म के माध्यम से इस संगोष्ठी में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।