Faridabad NCR
यूनिवर्सल अस्पताल ने लकवा ग्रस्त मरीज को दी नई जान
Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 23 जुलाई। यूनिवर्सल अस्पताल ने लकवा ग्रस्त एक मरीज का सफल इलाज करते हुए उसे नया जीवनदान दिया है।
नसें व हृदय रोग विशेषज्ञ डा. शैलेश जैन ने बताया कि मरीज पुरुषोत्तम जो गांव पल्ला का रहने वाला है। सुबह जब सो कर उठा तो महसूस किया कि उसका अचानक से बाईं तरफ का हाथ-पैर काम नहीं कर रहा है तथा मुंह भी टेढ़ा हो गया है। उसके परिजन उसे तुरंत यूनिवर्सल अस्पताल लेकर आये। यहां अस्पताल में फिजिशियान डॉ. संजीव ने उसका निरीक्षण किया। मरीज किसी तरह का व्यसन जैसे बीड़ी-सिगरेट, तम्बाकू व शराब का सेवन नहीं करता था, न ही उसे ब्लड प्रेशर व शुगर या किसी अन्य तरह कोई बीमारी नहीं थी। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि दिमाग के बाईं साइड के हिस्से में दिक्कत है जिसकी वजह से लफ्ट साइड में पूरा लकवा हो गया है। मरीज का तुरंत एमआरआई कराया गया, एमआरआई में यह पाया गया कि दिमाग के दो हिस्सों में से एक में खून का थक्का जमा हो रखा था, साथ ही जो रक्त वाहिनी दिमाग को खून की आपूर्ति करती है उस रक्त वाहिनी के अंदर 99 प्रतिशत ब्लाकेज था। तुरंत मरीज के परिजनों को स्थिति की गंभीरता के बारे में समझाते हुए नवीनतम तकनीक थ्रोम्बोलिसिस से लकवा को ठीक किया जा सकता है। मरीज के परिजनों की अनुमति उपरांत इस तकनीक से मरीज का इलाज शुरू करते हुए ब्लाकेज को खोला गया। 48 से 72 घंटे के अंदर रक्त वाहिनी पूरी तरह खुल गई और रक्त का पूरी तरह से संचार शुरू हो गया। अब मरीज पूर्णतया स्वस्थ है। यूनिवर्सल अस्पताल में हृदय, दिमाग, मातृ व शिशु से जुड़ी बीमारियों व हड्डी रोग आदि के सफल इलाज हेतु विशेषज्ञ चिकित्सक उपलब्ध हैं।
डॉ. शैलेश जैन ने बताया कि लकवा के इलाज के लिए एक खास तरह का इंजेक्शन आता है। लकवा मारने के तीन घंटे के अंदर इंजेक्शन लगा देने पर वह ठीक हो जाता है। अन्यथा लकवा का इलाज नहीं हो पाता, क्योंकि इलाज की नई तकनीक सभी अस्पतालों में मौजूद नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि तीन घंटे के भीतर इजेक्शन नहीं लग पाए तब भी इंट्रा क्रेनियल थ्रोम्बोलिसिस तकनीक से लकवा को ठीक किया जा सकता है। इस बीमारी में दिमाग की धमनी में ब्लॉकेज के चलते रक्त जमा होने से शरीर का कोई हिस्सा काम करना बंद कर देता है। जिसे इंट्रा क्रेनियल थ्रोम्बोलिसिस तकनीक से दिमाग की धमनी में जमे रक्त को निकाल दिया जाता है। यह देखा गया है कि इस तकनीक से इलाज के बाद लकवा की बीमारी ठीक हो जाती है। लकवा मारने के बाद मरीज जितना जल्दी अस्पताल पहुंचते हैं इस प्रोसिजर का परिणाम बेहतर आने की उम्मीद रहती है।
यूनिवर्सल अस्पताल की मेडिकल डायरेक्टर डॉ. नीति अग्रवाल ने टीम को सफलता के लिए बधाई दी। आपरेशन के अंदर डॉ. शैलेष जैन, कार्डिलोजिस्ट डॉ. रहमान, डॉ. पवन तथा फिजिशियन डॉ. पारितोष मिश्रा शामिल रहे।