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आईआईसी विंटर फेस्टिवल में गिटार वादक सतीश शर्मा ने सप्त गिटार से बांधा समां

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New Delhi Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : नाचूं सारी-सारी रात… जैसे पॉपुलर गानों से लोगों का दिल जीतने वाले प्रख्यात गिटार वादक सतीश शर्मा के साथ अगर तबले पर दिग्गज कलाकार हुसैन खान जुगलबंदी कर रहे हों तो माहौल कैसा होगा, इसका केवल अनुमान लगाया जा सकता है। इस जुगलबंदी का जो भी साक्षी बनेगा, उसके लिए वह शाम न केवल यादगार बन जाएगी, बल्कि लंबे अरसे तक उस सांगीतिक माहौल से उनके लिए निकल पाना भी संभव नहीं हो सकेगा। कुछ ऐसा ही माहौल पिछले दिनों इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, दिल्ली में आयोजित विंटर फेस्टिवल में देखा गया, जब सतीश शर्मा और हुसैन खान ने क्रमश: गिटार और तबले पर ऐसी जुगलबंदी पेश की कि लोग मंत्रमुग्ध हो गए। दरअसल, इन दिग्गज कलाकारों का एकमात्र मकसद अपने स्पेशल हुनर से हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत को हर आम—ओ—खास तक पहुंचाना था।
बॉलीवुड फिल्मों, जुबान और गुटरगू में अपनी रचनाओं के लिए अलग से पहचाने जाने वाले सतीश शर्मा ने कार्यक्रम में सप्त गिटार नामक अपनी नई और अनूठी रचना के साथ प्रदर्शन किया। दरअसल, सप्त गिटार दुनिया का पहला सात तार वाला नायलॉन का फ्रेटलेस गिटार है। सतीश शर्मा ने अपने नए आविष्कार और फ्यूजन के बारे में बताया, ‘बचपन से जब मैंने गिटार सीखा था, मेरी एकमात्र इच्छा थी कि मैं गिटार पर केवल भारतीय राग बजाऊंगा। लेकिन, कुछ साल पहले जब मैं एक गीत पर काम कर रहा था तो मैंने फिर से गिटार के साथ शास्त्रीय संगीत बजाने की कोशिश की। मेरे दिमाग में यह बात इस​लिए भी आई, क्योंकि मुझे यकीन—सा हो गया था कि मैं इस विधा को आगे ले जाने में कामयाब हो सकता हूं। दरअसल, मैं हमेशा अपनी संतुष्टि के लिए काम करता हूं। मुझे इस बात से बहुत ज्यादा मतलब नहीं रहता कि लोगबाग इसे स्वीकार करेंगे या नहीं। मुझे यह बात संतुष्टि देती है कि अगर कोई चीज मुझ जैसे कलाकार को पसंद है तो वह संगीत रसिकों को भी जरूर पसंद आएगी। इस फ्यूजन के साथ भी ऐसा ही हुआ।’
‘सूफी फ्यूजन’ के बारे में सतीश शर्मा ने कहा कि सूफी का मतलब ईमानदारी और सच्चाई है, जबकि फ्यूजन से मतलब कई तरह के पश्चिमी वाद्ययंत्र। हमारा मकसद दोनों के बीच एक अलग तरह का मिश्रण करके उनमें शास्त्रीय संगीत का तड़का लगाकर लोगों तक पहुंचाना है। चूंकि सूफी संगीत कर्णप्रिय होता है, इसलिए उसमें अगर फ्यूजन का मधुर तड़का लग जाए तो फिर सोने पर सुहागा हो जाएगा। पश्चिमी वाद्ययंत्र की मदद से दोनों का मिश्रण कर हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत को पेश करना अपने आप में कुछ नया करने जैसा है। हमारा मकसद भी यही था और हमने यही किया भी।
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