Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : एपिलेप्सी या मिर्गी आज कोई लाइलाज बीमारी नहीं रही। इसका अस्पतालों में पूरा इलाज उपलब्ध है। यह कहना है नीलम चौक स्थित एस्कोर्ट फोर्टिस अस्पताल के न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉ. रोहित गुप्ता का। उन्होंने कहा कि
मिर्गी की बीमारी को लेकर लोगों में कई तरह की भ्रांतियां फैली हुई है। इनको दूर कर लोगों में मिर्गी के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 14 फरवरी को विश्व मिर्गी दिवस मनाया जाता है।
मिर्गी के प्रति लोगों को जागरूक करते हुए डॉ. रोहित गुप्ता ने बताया कि विश्व में हर साल 7 करोड़ लोग मिर्गी से ग्रस्त होते हैं, वहीं देश भर में लगभग डेढ़ करोड़ मिर्गी के रोगी हैं। हर वर्ष देश में 6 से 7 लाख नए रोगी आते हैं। एस्कोर्ट अस्पताल की बात करें तो यहां साल भर में करीब 100 मिर्गी के मरीज आते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों में मिर्गी को लेकर सबसे बड़ी भ्रांति यह है कि एक बार हो जाने पर इसका कभी इलाज नहीं हो सकता, लेकिन ऐसा नहीं होता है। मिर्गी लाइलाज नहीं है। दवाइयों की मदद से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। मिर्गी की दवा का पूरा कोर्स करना चाहिए। यह दवा तीन से पांच साल चलती है। लेकिन अक्सर लोग परेशानी कम होते ही दवा खाना बंद कर देते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए।डॉ. रोहित ने बताया कि दिमाग में चोट लगने, किसी प्रकार के संक्रमण होने, न्यूरोसिस्टिसरकोसिस (दिमाग में कीड़ा) होने, पक्षाघात होने या फिर किसी प्रकार के आनुवंशिक बीमारी की वजह से व्यक्ति को मिर्गी की बीमारी हो सकती है। अगर इसकी शुरुआती दौर में ही सही डॉक्टरी परामर्श लिया जाए तो बीमारी को नियंत्रण में लाया जा सकता है।