Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 21 फरवरी। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सहयोग से मीडिया विभाग ने 19 फरवरी, 2022 को मातृभाषा दिवस मनाया। यह कार्यक्रम मातृभाषा भाषाओं और सांस्कृतिक परंपराओं के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया गया था। साथ ही, आपसी समझ, सहिष्णुता और चर्चा के आधार पर एकजुटता को बढ़ावा देना इसका उद्देश्य था। 16 भारतीय संस्थानों के कुलपतियों ने इसमें भाग लिया और मातृभाषा को हमारे पाठ्यक्रम में लागू करने पर अपने अनूठे विचार साझा किए। सम्मेलन में भारत के शिक्षाविदों और छात्रों सहित 700 से अधिक लोगों ने भाग लिया।
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी ने इस दिन की व्यवस्था और सम्मान के लिए मानव रचना की सराहना की। उन्होंने भाषा संरक्षण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, और यह भी कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 मातृभाषा को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। उन्होंने शिक्षण संस्थानों से सभी भारतीय भाषाओं का सम्मान करते हुए मातृभाषा को बढ़ावा देने के लिए कहा।
मानव रचना शैक्षणिक संस्थानों के अध्यक्ष डॉ. प्रशांत भल्ला ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में मातृभाषाओं को जोड़ने के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने कहा, “मातृभाषा संज्ञानात्मक विकास, मनोवैज्ञानिक और व्यक्तित्व विकास, शिक्षा और सीखने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मातृभाषा हमें राष्ट्रीयता से जोड़ती है और देशभक्ति की भावना को भी प्रेरित करती है। मातृभाषा मानव चेतना का संग्रह होने के साथ-साथ जन चेतना और मानवता का विकास करती है।”
इंटर-यूनिवर्सिटी एक्सेलेरेटर सेंटर के निदेशक प्रो. अविनाश पांडे ने भाषाओं के विकास और स्वदेशी भाषाएं विलुप्त होने के बारे में बात की। उन्होंने प्रत्येक शिक्षण संस्थान से हमारी भाषाओं के संरक्षण का संकल्प लेने को कहा और कहा कि विकास का यही एकमात्र तरीका है।
इस कार्यक्रम ने सभी को हमारी राष्ट्रीय भाषा के हितधारकों को सुनने का अवसर दिया और यह जानने का मौका दिया कि मातृभाषा को विभिन्न संस्थानों के पाठ्यक्रम में कैसे शामिल किया जा सकता है।