Faridabad NCR
इनोवेशन की दिशा में विश्वविद्यालय के प्रयासों को मान्यता है लीलावती पुरस्कारः कुलपति प्रो. एस.के. तोमर
Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 10 मार्च। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् द्वारा महिला सशक्तिकरण पर लीलावती पुरस्कार 2021-22 से सम्मानित जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद की वुमन इनोवेटर्स की टीम ‘सशक्त’ ने आज कुलपति प्रो. सुशील कुमार तोमर से मुलाकात की। विश्वविद्यालय की टीम को यह पुरस्कार वुमन इनोवेटर्स श्रेणी में प्रदान किया गया है। पुरस्कार समारोह का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष में एआईसीटीई ऑडिटोरियम, नई दिल्ली में किया गया था। इस समारोह में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी भी उपस्थिति थी।
टीम को पुरस्कार स्वरूप 75,000 रुपये का नकद पुरस्कार राशि एवं प्रशंसा प्रमाणी पत्र प्रदान किया गया। पुरस्कार के लिए देशभर से 27 संस्थागत टीमों का 8 उप-विषयक श्रेणियों में चयन हुआ, जिसमें जे.सी. बोस विश्वविद्यालय की टीम का चयन पुरस्कार के लिए आवेदन करने वाली देशभर से 500 से अधिक प्रतिभागियों में से किया गया। विश्वविद्यालय की टीम उत्तर भारत से एकमात्र टीम रही जबकि सरकारी संस्थानों में केवल दो विश्वविद्यालयों को पुरस्कार मिला, जिसमें जवाहरलाल नेहरू तकनीकी विश्वविद्यालय एवं जे.सी. बोस विश्वविद्यालय शामिल हैं।
विशिष्ट उपलब्धि पर टीम को बधाई देते हुए कुलपति प्रो. एस.के. तोमर ने कहा कि यह पुरस्कार विश्वविद्यालय द्वारा नवाचार की दिशा में किये जा रहे प्रयासों को मान्यता प्रदान करता है। विश्वविद्यालय में अनुसंधान एवं नवाचार गतिविधियों को प्रोत्साहन देने पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के अभिनव विचारों मंच प्रदान करने की आवश्यकता है, जिसके लिए शैक्षणिक विभागों द्वारा नियमित रूप से सेमिनार आयोजित किये जाये। उन्होंने शोध की गुणवत्ता में सुधार पर बल भी बल दिया। कुलसचिव डॉ. एस.के. गर्ग ने भी टीम को बधाई दी।
उल्लेखनीय है कि पुरस्कार विजेता विश्वविद्यालय की पांच सदस्यीय टीम का नेतृत्व इंस्टीट्यूशन इनोवेशन काउंसिल (आईआईसी) के अध्यक्ष प्रो. लखविंदर सिंह ने किया। टीम की वुमन इनोवेटर्स में कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सपना गंभीर एवं डॉ पारुल तोमर, कंप्यूटर इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. रश्मि चावला और कंप्यूटर इंजीनियरिंग की छात्रा खुशी गुप्ता भी शामिल थे। टीम को विगत दो वर्षों के दौरान नवाचार को बढ़ावा देने के लिए किये गये प्रयासों के आधार पर पुरस्कार के लिए चुना गया।
टीम ‘सशक्त’ ने चुनौतियों को अभिनव समाधान में बदलने के उद्देश्य के साथ काम किया और महामारी के दौरान समाज को सतत विकास के साथ अभिनव समाधान प्रदान किए। टीम द्वारा जिला प्रशासन को सहयोग देते हुए कोविड रोगियों के लिए ऑक्सीजन प्रबंधन प्रणाली की शुरूआत की। इसके अलावा, टीम ने समाज को लाभान्वित करने वाले परियोजनाओं पर भी काम किया, जिसमें औद्योगिक प्रदूषण मापन प्रणाली विकसित करना तथा थैलेसीमिक रोगियों के लिए मोबाइल ऐप ‘बूंद’ विकसित करना शामिल हैं। टीम के अन्य इनोवेटिव प्रोजेक्ट्स में ऑटोमेटेड रिफिलेबल हैंड सैनिटाइजर रिस्ट बैंड और मोबाइल ऐप ‘सुविधा एक हल’ भी शामिल हैं। वर्तमान में टीम आईओटी आधारित वर्टिकल गार्डनिंग परियोजनाओं के माध्यम से एक स्वस्थ वातावरण विकसित करने की दिशा में काम कर रही है। विश्वविद्यालय की टीम की इन अभिनव परियोजनाओं की विभिन्न स्तरों पर सराहना भी की गई। टीम समय-समय पर संगोष्ठियों एवं प्रतियोगिताओं जैसी गतिविधियों के माध्यम से विश्वविद्यालय एवं आसपास के स्कूल के छात्रों को प्रेरित करने का काम भी करती है।
लीलावती पुरस्कार जिसका नाम भारतीय गणितज्ञ भास्कर आचार्य द्वारा लिखित अंकगणित और बीजगणित को समर्पित 12वीं शताब्दी के गणितीय ग्रंथ ‘लीलावती’ के नाम पर रखा गया है, एआईसीटीई का एक अभिनव कदम है जिसका उद्देश्य लड़कियों को उच्च शिक्षा में शामिल होने के लिए प्रेरित करना और जीवन के सभी क्षेत्रों में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना है। इस वर्ष यह पुरस्कार महिलाओं एवं किशोर स्वास्थ्य, आत्मरक्षा, पर्यावरण, साफ-सफाई एवं स्वच्छता, साक्षरता एवं जीवन कौशल, महिला उद्यमिता, कानूनी जागरूकता, महिलाओं के लिए प्रौद्योगिकी और महिला इनोवेटर्स (ग्रामीण / शहरी) सहित आठ उप-विषयों में दिया जा रहा है।