Connect with us

Faridabad NCR

मेला में लगी प्रदर्शनी में हरियाणा के विकास की झलक को को किया गया प्रदर्शित

Published

on

Spread the love

Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 26 मार्च। 35वें सूरजकुंड अंतरराष्टï्रीय शिल्प मेला में सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग द्वारा अभिलेखागार विभाग के सहयोग से आजादी का अमृत महोत्सव की श्रृंखला में लगाई गई डिजिटल प्रदर्शनी में पर्यटक हरियाणा के प्रगति की गाथा तथा स्वतंत्रता संग्राम में हरियाणा के योगदान की झलक पाने के लिए खिचे आ रहे हैं। इस प्रदर्शनी के माध्यम से हरियाणा प्रदेश के गठन 1966 से 2021 तक हरियाणा की विकास यात्रा को भी दर्शाया गया है।
सरकार द्वारा देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। महोत्सव के तहत प्रदेश के सभी जिलों में डिजिटल प्रदर्शनी के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम में हरियाणा के योगदान तथा स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े प्रदेश के स्थलों एवं घटनाओं के अलावा प्रदेश की विकास गाथा को भी जन-जन तक पहुंचाया जा रहा है। डिजिटल प्रदर्शनी में प्रदर्शित हरियाणा की विकास गाथा के अनुसार प्रदेश में 1966-67 में शिक्षण संस्थाओं की संख्या 5892 थी, जो 2020-21 में बढक़र 25 हजार 217 हो गई। इसी प्रकार 1966-67 में 1251 गांवों में बिजली की सुविधा थी तथा अब 2020-21 में 6 हजार 841 गांवों बिजली सुविधा से युक्त हैं।
हरियाणा की विकास यात्रा के अनुसार वर्ष 1966-67 में 797 अस्पताल व स्वास्थ्य केंद्र थे, जिनकी वर्ष 2020-21 में संख्या बढक़र 4 हजार 192 हो गई। वर्ष 1966-67 में पेयजल सुविधा युक्त 170 गांव थे, जो 2020-21 में बढक़र 7 हजार 416 हो गए हैं। इसी प्रकार वर्ष 1966-67 में 1386 गांव पक्की सडक़ों से जुड़े थे, जबकि वर्ष 2020-21 में पक्की सडक़ों से जुड़े गांवों की संख्या 6 हजार 841 हो गई। प्रदेश में वर्ष 1966-67 में एक खेल स्टेडियम था, जो वर्ष 2020-21 में बढक़र 429 खेल स्टेडियम हो गए हैं।
डिजिटल प्रदर्शनी में झज्जर के नवाब अब्दुर्रहमान खाँ के देश के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को दर्शाया गया है। वर्ष 1857 में हरियाणा की सबसे कड़ी रियासत-झज्जर के नवाब अब्दुर्रहमान खाँ ने स्वतंत्रता आंदोलन में बढचढ कर हिस्सा लिया। उन्होंने मेरठ के विद्रोह में स्वंय अंगे्रजों की खिलाफत की। कर्नल लॉरेंस ने 18 अक्तूबर 1857 को उन्हें गिरफ्तार करवा दिया। उनके किले से 21 तोपें और काफी मात्रा में गोला बारूद बरामद किया गया और उन्हें दिल्ली लाल किले भेज दिया गया।
नवाब पर 8 दिसंबर 1857 को दिल्ली के दरबारे आम में मिलिट्री आयोग के सामने मुकदमा चलाया गया। 17 दिसंबर 1857 को झज्जर के नवाब को बागी एवं विद्रोही करार देकर फांसी की सजा सुना दी गई। नवाब अब्दुर्रहमान खाँ को 23 दिसंबर 1857 को लाल किले के सामने फांसी पर लटका दिया गया तथा उनकी तमाम व्यक्तिगत सम्पत्ति को जब्त कर लिया गया।

Continue Reading

Copyright © 2024 | www.hindustanabtak.com