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Faridabad NCR

गर्मी के मौसम में भी ठंडा रहता है सूरज कुंड

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 27 मार्च। अगर इस ब्रह्मïांड में पृथ्वी के साथ सूर्य नहीं होता तो हम मानव जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। आज से 1200 साल पहले राजा सूरजपाल ने अरावली पर्वतश्रृंखला में सूर्यमंदिर का निर्माण इसीलिए करवाया, क्यों कि वे आदि-अनादि सूर्यदेव की महत्ता को जानते थे।
इसी प्राचीन स्थान पर बना हुआ है सूरजकुंड, जोकि वास्तुकला का एक अद्भूत सौंदर्य चित्र अंकित करता प्रतीत होता है। हालांकि कम पर्यटकों के आने से केंद्रीय पुरातत्व विभाग का यह दर्शनीय स्थल खुद को थोड़ा उपेक्षित महसूस कर रहा है। लेकिन इसमें थोड़ा सा सुधार और आकर्षण बढ़ाया जाए तो यह एक अनुपम कृति फरीदाबाद की धरती पर जीवंत हो सकती है। दसवीं शताब्दी में राजा अनंगपाल ने अनंगपुर बांध और राजा सूरजपाल ने सूरजकुंड का निर्माण करवाया था। विगत 35 वर्षों से निरंतर अंतर्राष्टï्रीय हस्तशिल्प मेले का आयोजन होने से सूरजकुंड नाम विश्व के कई देशों में जाना जाता है।
ब्रिटिश शासनकाल में वर्ष 1920 में गर्वनर जनरल ऑफ इंडिया ने सूरजकुंड को एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित रखने के लिए अध्यादेश जारी किया था। संरक्षण के कारण ही यह स्थान अवैध कब्जों की जद में आने से बचा हुआ है। यहां संरक्षण सहायक के तौर पर नियुक्त आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया के अधिकारी देवव्रत ने बताया कि सूरजकुंड में पानी आना अब बंद हो गया है। एक बार नलकूप से इसको भरने का प्रयास किया था, लेकिन नीचे जमीन सूखने से सारा पानी रसातल में चला गया। यहां के कर्मचारी अजीतङ्क्षसह ने बताया कि यह कुंड वास्तुकला का सबसे सुंदर नमूना है। इस कुंड में पानी भरा हो तो सूर्योदय के समय कुंड को देखकर ऐसा लगता है, जैसे सूर्य आसमान से नहीं अपितु इसी कुंड के अंदर से बाहर आ रहा है। इस स्थान की एक खास बात और है, यहां आकर मनुष्य अपार शांति व छाया का अनुभव करता है। चाहे कितनी भी गर्मी हो, सूरजकुंड में आकर व्यक्ति गर्मी महसूस नहीं करता। इसी कुंड के समीप सिद्घकुंड मंदिर स्थापित है। जो कि आध्यात्मिक उन्नति के लिए अत्यंत महिमामय बताया जाता है। पांच एकड़ भूमि में बने सूरजकुंड का व्यास 130 मीटर का है। इसके एक ओर गऊघाट बना हुआ है, जहां कभी चकरोड से पशु पानी पीने के लिए आते थे। फरीदाबाद शहर का यह स्थल असीम आनंददायक है।

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