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Faridabad NCR

मेले में कढाई से बने परिधानों से महिलाओं को कर रही जागरूक

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 28 मार्च। महाराष्टï्र के जिला औरंगाबाद की विजया एस पवार व उनका समूह न केवल हथकरघा कढाई की कला को जिंदा रखे हुए हैं बल्कि इसके जरिए वह एक हजार से अधिक महिलाओं को कौशल विकास से जोडकर उनका आर्थिक उत्थान भी कर रही हैं। देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी विजया के इस स्वावलंबी अभियान का जिक्र अपने मन की बात कार्यक्रम में कर चुके हैं। खुद विजया ने यह जानकारी दी है।
फरीदाबाद के सूरजकूंड में चल रहे 35 वें अंतराष्टï्रीय शिल्प मेले में कढाई से निर्मित विभिन्न परिधानों का स्टाल लगाकर विजया एस पवार महिलाओं को भी स्वारोजगार के लिए प्रेरित कर रही हैं। उन्होंने बताया कि वह आर्गेनिक काटन का प्रयोग करके कढाई के जरिए ऐसे परिधान तैयार कर रही हैं,जो हर मौसम में पहनने लायक हो। उन्होंने बताया कि गलोबल वार्मिंग के इस दौर में ऐसे उत्पादों की डिमांड बढऩे वाली है। ऐसे में  आर्गेनिक काटन से तैयार होने वाले परिधान बनाने के लिए वह लगातार राष्टï्रीय स्तर पर अभियान चलाए हुए हैं।
उन्होंने बताया कि उनके प्रोडेेक्ट किसी एक क्षेत्र या संस्कृति के पहनावे तक ही सीमित नहीं हैं,बल्कि उनका चलन विश्व स्तर तक है। उनका बंजारा आर्टिफेक्ट प्रोडयूसर समूह हैंड मेड आईटम जैसे कुरती,ब्लाऊज,ज्वैलरी,होम फर्निसिंग आदि तैयार करता है,जिसकी मार्किट में खूब डिमांड है।
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कढाई की कला में निपुण है विजया
स्नातक तक पढ़ाई पूरी कर चुकी विजया एस पवार बताती हैं कि वे पिछले लगभग 20 साल से कढाई की इस कला को जीवंत रखने के लिए प्रयासरत हैं। उनका कहना है कि उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ सुई धागे से किसी प्रकार के गुडा -गुडिय़ा आदि बनाने का बचपन से ही शौक रहा है,जिसे बाद में उन्हें सिलाई व कढाई का प्रशिक्षण लेकर इसे रोजगार का जरिया बनाया।
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एक हजार महिलाओं को दे चुकी प्रशिक्षण
विजया एस पवार ने बताया कि उन्हें एक स्वयं सहायता समूह बनाकर खुद को रोजगार के योगय बनाया। वह स्वयं सहायता समुह के माध्यम से महिलाओं को जोडकऱ उन्हें सिलाई कढाई का प्रशिक्षण दे रही हैं। प्रशिक्षित होने के बाद महिलाओं को कच्चा माल उपलब्ध करवाया जाता है। निश्चित अवधि के बाद महिलाओं का समूह उत्पादों को एक जगह एकत्रित करता है। लिहाजा आज उनके समुह की महिलाएं स्वरोजगार चला रही हैं।

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