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सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला मे चमड़े और प्लास्टिक के स्थाई विकल्प हैं कॉर्क के लग्जरी आइटम

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 31 मार्च। किसी भी लग्जरी आइटम की बात आती है तो हमारे मन में उसको बनाने के लिए पर्यावरण को होने वाले नुकसान की शंका हमेशा मन में रहती है लेकिन सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में स्टॉल नंबर 367 पर दिल्ली के सौरभ कादयान के उत्पाद इन सब चिंताओं का निराकरण है। यहां के सभी उत्पाद वातावरण अनुकूल है।
इनके स्टाल पर बटूवा, बेल्ट, प्लेट, टेबल मैट, गमले तथा कंप्यूटर के माउस पैड आदि कई ऐसे उत्पाद है जो दिखते चमड़े के हैं लेकिन वे कॉर्क से बने हुए हैं। कॉर्क एक पेड़ होता है जिसकी छाल उतार कर यह उत्पाद बनाए जाते हैं। इस तरह के लग्जरी आइटम बनाने के लिए अक्सर पशुओं की खाल उतारकर तैयार करना पड़ता है लेकिन सौरभ के ये उत्पाद पशुओं पर होने वाले अत्याचार को रोकने का संदेश दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनके उत्पाद पूरी तरह से शाकाहारी ब्रांड है जो जानवरों के चमड़े और प्लास्टिक के लिए स्थाई विकल्प के तौर पर मौजूद हैं।
उन्होंने बताया कि जब हम चमड़े से बने किसी भी उत्पाद को तैयार करते हैं तो उसे प्रोसेस करते समय हवा, पानी व मिट्टी को भारी नुकसान पहुंचता है जो मानवता के लिए खतरे की घंटी है। चमड़े से कोई भी लग्जरी आइटम बनाते समय बहुत अधिक मात्रा में कार्बन उत्सर्जन होता है। अगर हमने तुरंत प्रभाव से कॉर्क को चमड़े  व प्लास्टिक के विकल्प के तौर पर खड़ा नहीं किया तो हमारे शहर प्लास्टिक के कचरे के ढेर के नीचे दबे होंगे और हमारी मिट्टी, वायु व पानी इतना जहरीला हो चुका होगा जिसमें हम सरवाइव नहीं कर पाएंगे।
सौरभ ने बताया कि कॉर्क से बने उत्पाद फेंकने के बाद मिट्टी हो जाते हैं तथा इसका पर्यावरण पर भी किसी प्रकार का गलत प्रभाव नहीं पड़ता।
कॉर्क के पेड़ पुर्तगाल और स्पेन के आसपास होते हैं। इसके लिए समुद्र के नजदीक कम गर्मी का तापमान होना चाहिए। साथ ही वातावरण में आद्र्रता होनी चाहिए। इसके उत्पाद बनाने के लिए पेड़ को काटने की जरूरत नहीं होती बल्कि उसकी छाल उतारी जाती है और इसकी छाल उतारने के बाद वह पेड़ और अधिक मात्रा में कार्बन ऑक्साइड को अपने अंदर सोखता है।

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200 डिग्री सेल्सियस तक हीट को बर्दाश्त करता है कॉर्क
उन्होंने बताया कि कॉर्क एक बहुत ही महत्वपूर्ण मेटेरियल है। इसे हवाई जहाज तथा स्पेसक्राफ्ट में भी इस्तेमाल किया जाता है। यह वजन में बहुत ही हल्का होता है तथा यह 200 डिग्री सेल्सियस तक हीट को बर्दाश्त कर सकता है। इसमें इंसुलेशन प्रॉपर्टी होती है साथ ही यह वाइब्रेशन और साउंड को भी एबजोर्ब करता है। पहले दवाइयों की शीशी पर भी कॉर्क के ही ढक्कन लगे होते थे। इसके अलावा आज भी महंगी ब्रांड की शराब की बोतल पर किसी प्लास्टिक के अंडे मेटेरियल का ढक्कन नहीं होता केवल कॉर्क का ढक्कन होता है।

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