Faridabad NCR
डी.ए.वी शताब्दी महाविद्यालय “अनुसंधान योजना और वैज्ञानिक लेखन” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : डी.ए.वी शताब्दी महाविद्यालय, फरीदाबाद के विज्ञान विभाग द्वारा दिनाक 25 अप्रैल 2022 को हरियाणा राज्य के विज्ञान, नवाचार (Innovation) और प्रौद्योगिकी परिषद के सहयोग से “अनुसंधान योजना और वैज्ञानिक लेखन “विषय को लेकर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संघोष्ठी के मुख्य अतिथि व् वक्ता जे.सी. बोस यूनिवर्सिटी, फरीदाबाद के कुलपति, प्रोफेसर एस० के० तोमर, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के विधि विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर देवेंद्र सिंह तथा डी.ए.वी. प्रबंधकर्तृ समिति नई दिल्ली के कोषाध्यक्ष डॉ. डी० वी० सेठी जी रहे। इस संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों में शोध के क्षेत्र में साइंटिफिक टेम्परामेंट व् शोध लेखन शैली का विकास करना रहा।
सर्वप्रथम महाविद्यालय की कार्यवाहक प्राचार्या डॉ. सविता भगत ने सभी अतिथियों का महाविद्यालय प्रागण मे आने पर हार्दिक स्वागत किया व् अतिथियों की पृष्ठभूमि से प्रतिभागियों को परिचित करवाया। अपने स्वागत वक्तव्य में उन्होंने कहा कि प्रोफेसर एस.के तोमर ने गणित विषय में उच्च कोटि का शोध कार्य कर राष्ट्रिय व् अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त की है। इन्होने फरवरी माह में यूनिवर्सिटी का कार्यभार संभाला है और तब से उनका सारा ध्यान इस बात पर केंद्रित है कि शोध के क्षेत्र में विश्वविद्यालय नए आयामों को कैसे प्राप्त करे। इस परिप्रेक्ष्य में वो विशेष रूप से छात्रों व् शिक्षकों का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं इसी कड़ी में हमारे महाविद्यालय में शिक्षकों का मार्गदर्शन करने के लिए सादर आमंत्रित किया गया। ये उनका बड़प्पन रहा कि उन्होंने हमारे आमंत्रण को स्वीकार किया। डॉ. भगत ने डॉ. डी.वी सेठी जी का स्वागत करते हुए बताया कि वे बड़े ही प्रबुद्ध व्यक्ति हैं, इस महाविद्यालय के संस्थापक शिक्षकों में से एक रहे हैं तथा वर्तमान में डी.ए.वी प्रबंधकर्तृ समिति नई दिल्ली के कोषाध्यक्ष हैं। उन्होंने इस बात के लिए उनका विशेष धन्यवाद किया कि उनका आशीर्वाद सदा ही इस महाविद्यालय पर रहा। ऑनलाइन माध्यम से संगोष्ठी से जुड़े विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर देवेंद्र सिंह के बारे में बताते हुए डॉ. भगत ने कहा कि छात्रों को अच्छे शिक्षकों की तो जरूरत होती ही है, परन्तु शिक्षकों को भी देवेंद्र सिंह जैसे अच्छे छात्रों की आवश्यकता होती है, जो हमारे पूर्व छात्र रहे हैं और उनकी हर विशिष्ट उपलब्धि पर हम गौरवान्वित महसूस करते हैं।
प्रोफेसर एस के तोमर ने अपने वक्तव्य में शोध से जुड़े विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं पर अपने विचार स्लाइड के माध्यम से सभी प्रतिभागियों के सामने रखे। उन्होंने एक प्रेरक कथा के माध्यम से अपने वक्तव्य की शुरुआत की और शोध विषय से जुड़े अपने विचार रखे। उन्होंने वैदिक मंत्रों के वैज्ञानिक पहलुओं पर भी रोशनी डाली। शोध का उद्देश्य केवल धन अर्जन करना ही नहीं बल्कि मानव समाज कल्याण शोध में सर्वोपरि होता है। एक अच्छा शोध वही है जो मानव समाज की भलाई के लिए किया जाए। तदुपरांत उन्होंने साधारण शब्दों में एक अच्छा शोध कैसे किया जाए उसकी वैज्ञानिक प्रक्रिया को बड़ी ही गहराई से सभी प्रतिभागियों के सामने रखा। शोध की प्रथम कड़ी विचार एवं स्वप्न हैं। आवश्यक नही कि शोध केवल उपाधि के लिए किया जाए वरन शोध हमारी जीवन शैली का अभिन्न अंग होना चाहिए।
प्रोफेसर देवेंद्र सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा कि विद्यार्थियो को अपना शिक्षण इस बात को ध्यान में रखते हुए करना चाहिए कि उन्हें शिक्षण के बाद नोकरी ना ढूढ़नी पड़े, बल्कि वो खुद नोकरी को पैदा करने वाले बनें। लेकिन ये तभी संभव हो पायेगा जब हम अपने पाठ्यक्रम को नए तरीके से तैयार करें व् साथ ही शिक्षण संस्थानों में उस तरह की बुद्धिमत्ता के विकास के लिए माहौल तैयार करें। भारत सरकार ने इसी विषय को ध्यान में रखकर ही 2016 में शुरू की गई, स्टार्टअप इंडिया योजना भारत सरकार द्वारा की गई एक पहल है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य स्टार्टअप को बढ़ावा देना, रोजगार पैदा करना और धन सृजन करना है। इस योजना ने एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण और भारत को बदलने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं। हो सकता है स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा किया गया शोध एवं उससे उभरा हुआ डेटा सही एवं विश्वास परक ना हो लेकिन विद्यार्थियों द्वारा किसी भी पूर्वाग्रह को लिए बिना किया गया शोध अच्छा होगा।नई शिक्षा नीति 2020 इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए तैयार की गयी है।
अपने जोश भरे अंदाज़ से सभी प्रतिभागियों में प्रेरणा की ललक भरते हुए डॉ डी० वी० सेठी जी ने कहा कि जब तक आप में जिज्ञासा जागृत नहीं होगी तब तक आप आगे बढ़ नहीं सकते। अगर हम साहित्य में जाकर देखें तो ऐसे व्यक्ति हुए हैं जिन्होंने कोई शिक्षण प्राप्त नहीं किया परन्तु उनके लिखे दोहों के एक-एक शब्द के अंदर जीवन के गूढ़ रहस्य व् अनुभव भरे पड़े हैं और वर्तमान में भी उन पर शोध हो रहा है।
संगोष्ठी का कुशल संचालन मैडम अंकिता मोहिंद्र ने किया व् धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रिया कपूर ने किया। कार्यक्रम में भाग लेने के लिए विभिन्न महाविद्यालयों के शिक्षक व् छात्र भी उपस्तिथ रहे।