Faridabad NCR
इस्कॉन मंदिर, सेक्टर 37 फरीदाबाद ने जन्माष्टमी महोत्सव को बहुत ही हर्षोल्लास व धूमधाम के साथ मनाया
Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : इस्कॉन मंदिर, सेक्टर 37 फरीदाबाद ने भगवान श्रीकृष्ण के प्रकाट्य दिवस जन्माष्टमी महोत्सव को बहुत ही हर्षोल्लास व धूमधाम के साथ मनाया। कृष्ण नाम का अर्थ है सर्व आकर्षक और वह अपनी सुंदरता, शक्ति, ज्ञान, प्रसिद्धि, त्याग और धन से सभी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। सर्वोच्च व्यक्तित्व भगवान श्रीकृष्ण इस दिन सभी को अपनी ओर आकर्षित करने और उनके साथ अपने लंबे समय से खोए हुए संबंध को फिर से स्थापित करने के लिए प्रकट हुए थे। 5 दिन पहले मंदिर में कृष्ण लीला कथा के साथ कृष्ण का स्वागत शुरू हो गया था। जन्माष्टमी के शुभ दिन की शुरुआत सुबह 4.30 बजे मंगल आरती, 5.30 से 7.30 महामंत्र- हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम राम राम, 7.30 से 8.00 बजे तक दर्शन आरती, 8.00 बजे कृष्ण कथा से हुई। पूरे दिन भक्तों द्वारा भव्य कीर्तन व भगवान का अभिषेक किया गया। बच्चों की विशेष प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। जिसमें सैफरॉन पब्लिक स्कूल के बच्चों ने मंदिर परिसर के अंदर गीता भवन में नृत्य और नाटक प्रस्तुत किया। इन सभी कार्यक्रमों का सीधा प्रसारण Youtube पर भी किया गया।
मंदिर के अध्यक्ष गोपीश्वर दास का यह कहना है कि “कृष्ण वृंदावन में प्रकट हुए लेकिन इस्कॉन संस्था के संस्थापकाचार्य श्रील ए. सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने भगवान श्रीकृष्ण व उनकी शिक्षाओं को पूरे विश्व में प्रसारित किया और दुनिया भर में इस्कॉन के 108 मंदिरों की स्थापना की। आज विश्व के लगभग 500 देशों में कृष्ण उत्सवों का आयोजन विभिन्न मंदिरों में किया जाता है। हमारे यहां फरीदाबाद में इस्कॉन मंदिर का नवनिर्माण हुआ है जिसे देखकर यहां आने वाले भक्त कहते हैं कि उन्हें वृंदावन की अनुभूति होती है। जन्माष्टमी भक्तों के जीवन में एक बहुत ही महत्वपूर्ण और सबसे प्रतीक्षित दिन है। हम सभी उत्सवों को भगवान की प्रसन्नता हेतु बहुत ही हर्षोल्लास से मनाते हैं। जन्माष्टमी के दिन कृष्ण अत्याधिक दयालु होते हैं और इसलिए उत्सव में भाग लेने वाले सभी लोग कृष्ण की कृपा प्राप्त करने और उनके करीब आने के योग्य हो जाते हैं। हम फरीदाबाद और आसपास के सभी लोगों से इस खूबसूरत मंदिर में आने और श्री श्री राधा गोविन्द जी के दर्शन करने का अनुरोध करते हैं।”
अंत में कृष्ण के पृथ्वी पर प्रकट होने के समय, आधी रात को दूध, दही, शुद्ध धी, शहद, शुद्ध रस, नारियल पानी और फूलों से अभिषेक करके उनका स्वागत किया गया। इस तरह इस शुभ भव्य उत्सव को बहुत ही हर्षोल्लास व पवित्रता से मनाया गया और सभी भक्तगण कृष्णभावनामृत के दिव्य आनंद से सराबोर हो गये।