Faridabad NCR
कुष्ठ रोगी खोज अभियान आगामी 6 अक्टूबर से 19 अक्टूबर 2022 तक चलेगा : उपायुक्त विक्रम
Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 15 सितंबर। उपायुक्त विक्रम ने कहा कि कुष्ठ रोगियों (लेप्रोसी) की कुष्ठ रोगी खोज अभियान आगामी 6 अक्टूबर से 19 अक्टूबर 2022 तक चलेगा। अभियान में आशा वर्कर के साथ एक मेल वर्कर होगा जो कुष्ठ रोग की पहचान घर-घर जाकर करेंगे। जो भी व्यक्ति संदिग्ध निकलते हैं वह स्किन स्पेशलिस्ट तक पहुंच रहे हैं या नहीं इसकी पूरी जानकारी रखी जाए। उपायुक्त ने कहा कि आरबीएसके डॉक्टर की टीम स्कूलों व स्लम एरिया में जाकर टीवी, एचआईवी और लेप्रोसी के बारे में लोगों को बताएं और जागरूक करें। पोलियो अभियान में जिस तरह का माइक्रोप्लान यूज किया जाता है उसी की तर्ज पर इसमें भी काम करें।
डिप्टी सिविल सर्जन डॉ शीला भगत ने कहा कि कुष्ठ रोग की पहचान बहुत ही आसान है त्वचा पर हल्के रंग के दाग धब्बे में सूखापन और सुन्नपन होना, हाथ पैरों में झुनझुनी चलना और शरीर में कमजोरी के कारण वस्तुओं को पकड़ने और उठाने में दिक्कत महसूस होना, कमजोर चेहरा, कान या शरीर के किसी भाग की त्वचा लाल और मोटी हो जाना, छोटी मोटी गांठ हो जाना कुष्ठ रोग की पहचान है। कुष्ठ रोग को पूर्ण रूप से एमडीटी द्वारा ठीक किया जा सकता है। इलाज के दौरान रोगी को बीच में दवाई नहीं छोड़नी चाहिए। मीटिंग में सीईओ जिला परिषद सतेंद्र दुहन, सिविल सर्जन डॉ विनय गुप्ता, पीएमओ डॉक्टर सविता यादव, लेप्रोसी टीवी एचआईवी डिप्टी सिविल सर्जन डॉ शीला भगत, डॉक्टर गजराज, डॉ ज्योति, डॉक्टर मोहित अग्रवाल, डीआईपीआरओ राकेश गौतम, टीवी, एचआईवी कोऑर्डिनेटर सुभाष गहलोत, वीरेंद्र, रविंदर और सभी डिपार्टमेंट से आए हुए अधिकारी मौजूद थे।
टीबी उन्मूलन के लिए भी गंभीरता से करें कार्य
उपायुक्त विक्रम ने कहा कि जिला में टीबी उन्मूलन को लेकर भी गंभीरता से कार्य किए जाएं। उन्होंने बताया कि टीबी हवा के द्वारा फैलने वाली बीमारी है जो की माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया द्वारा फैलाई जाती है। टीबी संक्रमित व्यक्ति खासते, छीकते और बोलते समय दूसरे व्यक्तियों को संक्रमित कर सकता है। टीबी दो प्रकार की होती है फेफड़ों वाली टीबी और बिना फेफड़ों वाली टीबी।
टीबी के लक्षण
दो हफ्तों से ज्यादा खांसी, दो हफ्तों से ज्यादा लंबा बुखार, वजन का घटना, लगातार रात को पसीना आना, टीबी के लक्षण है। टीबी के मरीजों के लिए बलगम की जांच, छाती का एक्सरे किया जाता है। टीबी की दवाइयां 6 महीने 9 महीने और एमडीआर की दवाइयां 9 महीने और 18 से 20 महीने चलाई जाती है। जब तक मरीज दवाई खाता है तब तक उसको पोषण आहार के तहत सरकार द्वारा ₹500 दिए जाते हैं।