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Faridabad NCR

जलवायु परिवर्तन आने वाली पीढ़ियों के लिए बड़ा संकट : कृष्णपाल गुर्जर

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 23 सितम्बर। भारत सेवा प्रतिष्ठान फरीदाबाद तथा ग्रीन इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद द्वारा वायु, जल और भूमि विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन ‘इको-2022’ आज प्रारंभ हो गया।
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में केन्द्रीय ऊर्जा तथा भारी उद्योग मंत्री श्री कृष्णपाल गुर्जर मुख्य अतिथि रहे। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पर्यावरण गतिविधियों के राष्ट्रीय सहसंयोजक श्री राकेश जैन मुख्य वक्ता तथा “वाटरमैन ऑफ इंडिया” के रूप में लोकप्रिय प्रसिद्ध जल संरक्षणवादी डाॅ. राजेन्द्र सिंह विशिष्ट अतिथि रहे। सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रो. सुशील कुमार तोमर तथा भारत सेवा प्रतिष्ठान फरीदाबाद के चेयरमैन श्री श्रीकृष्ण सिंघल ने की। इस अवसर पर ग्रीन इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष डाॅ. जगदीश चैधरी तथा कुलसचिव डाॅ एस.के. गर्ग भी उपस्थित थे। सम्मेलन के दौरान छह तकनीकी सत्र आयोजित किये जा रहे है, जिसमें 20 से ज्यादा विशेषज्ञ वक्ता वायु, जल एवं भूमि से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर विचार-मंथन करेंगे।
सम्मेलन के विषय की प्रासंगिकता पर बोलते हुए केन्द्रीय मंत्री श्री कृष्णपाल गुर्जर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन आने वाली पीढ़ियों के लिए बड़े संकट का कारण है। संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन (कॉप-21) में भारत द्वारा जलवायु परिवर्तन को लेकर वर्ष 2030 तक रखे गये लक्ष्यों का उल्लेख करते हुए केन्द्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री ने कहा कि काॅप-21 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2030 तक अपनी बिजली क्षमता का 40 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्धता जताई थी, जिसे देश ने नवंबर 2021 में ही हासिल कर लिया है। देश ने 2030 तक अपनी 50 प्रतिशत ऊर्जा की जरूरत अक्षय ऊर्जा से पूरी करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसके लिए ठोस प्रयास किये जा रहे है। यह पर्यावरण मुद्दों के प्रति उनकी गंभीरता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की अमृत सरोवर योजना के अंतर्गत गांवों के पुराने तालाबों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बड़खल झील की बदहाली और पहाड़ों (अरावली) की खुदाई की जिम्मेदार पुरानी सरकारों की नीतियां रही, लेकिन अब बड़खल झील को फिर से पुनरुद्धार किया जा रहा है।
प्राकृतिक संसाधनों को अमूल्य धरोहर बताते हुए श्री गुर्जर ने कहा कि जल एवं ऊर्जा संसाधनों का समुचित उपयोग होना चाहिए, लेकिन यह तभी होगा जब इसके प्रति लोग संवेदनशील बनेंगे। उन्होंने कहा कि आज देशभर में ‘मुफ्त’ का कार्यक्रम चल गया है। अगर बिजली और पानी मुफ्त होगा, तो इसका दुरुपयोग होगा, खपत बढ़ेगी और संकट बढ़ेगा। क्योंकि खपत को पूरा करने के लिए ज्यादा बिजली पैदा करनी होगी और ज्यादा थर्मल प्लांट चलाने होंगे। ऐसे अनेक कारण है, जो पर्यावरण के लिए सही नहीं है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। सरकार नीति बना सकती है और क्रियान्वयन कर सकती है, लेकिन जब तक लोगों को कर्तव्यबोध नहीं होगा, तब तक सुधार नहीं होगा।
इससे पहले अतिथियों का स्वागते करते हुए कुलपति प्रो. सुशील कुमार तोमर ने कहा कि हवा, पानी और मिट्टी हमारे जीवन का मुख्य आधार है जो एक भौतिक पर्यावरण की संरचना के मूल तत्व माने जाते है। विभिन्न मानवीय कारणों से उत्पन्न प्रदूषण ने हवा, पानी और मिट्टी तीनों को नुक्सान पहुंचाया है, जिसका परिणाम आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहद भयावह होगा। उन्होंने कहा कि प्रकृति और पर्यावरण का हमारी संस्कृति और सभ्यता से गहरा नाता जुड़ा हुआ है। भूमि, गगण, वायु, अग्नि और नीर के रूप में पंचतत्वों को हमने ‘भगवान’ मनाना है। प्राकृतिक संसाधनों के समुचित उपयोग तथा पर्यावरण संरक्षण को जन-आन्दोलन बनाने के लिए हमें उसी भावना को जागृत करना होगा, जो भावना हमारी गौरवशाली संस्कृति और परम्पराओं का अंग रही है।
सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय सहसंयोजक श्री राकेश जैन ने जलवायु परिवर्तन के लिए पहाड़ों पर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई तथा निर्माण कार्यों को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि देश में कचरे के ऊंचे पहाड़ बन रहे है, जिनसे निकलने वाली विषैली गैसें पर्यावरण को दूषित कर रही है। ‘पेड़ लगाओ, पानी बचाओ और पोलीथीन हटाओ’ का नारा लगाते हुए उन्होंने कहा कि देश में प्रति व्यक्ति पेड़ों की संख्या 28 है, जोकि प्रति व्यक्ति 400 होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पौधारोपण तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए किये जा रहे प्रयास काफी नहीं है। इसके लिए विशेष प्रयास करने होंगे। वर्षा जल संचयन और मृदा संरक्षण के लिए ठोस कदम उठने होंगे। जल, जंगल, जमीन, जानवर और जन को बचाने के लिए पोलीथीन के उपयोग को नियंत्रित करना होगा।
सम्मेलन को भारत सेवा प्रतिष्ठान फरीदाबाद के चेयरमैन श्री श्रीकृष्ण सिंघल तथा ग्रीन इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष डाॅ. जगदीश चैधरी ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर सम्मेलन की स्मारिका का विमोचन भी किया गया। सम्मेलन के तकनीकी सत्र को डाॅ. राजेन्द्र सिंह ने भी संबोधित किया। विश्वविद्यालय की ओर से सम्मेलन के आयोजन का समन्वयन डाॅ. अरविन्द गुप्ता द्वारा किया जा रहा है।

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