Faridabad NCR
राष्ट्रीय शिक्षा नीति शिक्षा प्रणाली के भारतीयकरण की दिशा में ठोस प्रयास : कुलपति प्रो. एस.के तोमर
Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 18 नवंबर। जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, वाईएमसीए, फरीदाबाद ने ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ वाइस चांसलर एंड एकेडेमिशियंस (एआईएवीसीए), नई दिल्ली के सहयोग से ‘गौरवशाली भारतीय शिक्षा नीति 2020’ पर व्याख्यान सत्र का आयोजन किया।
व्याख्यान सत्र का संचालन विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूशन इनोवेशन सेल (आईआईसी) द्वारा किया गया। हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद के उपाध्यक्ष प्रो. के.सी. शर्मा सत्र के मुख्य वक्ता रहे जबकि हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय की प्रो-कुलपति प्रो. सुषमा यादव मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थीं। सत्र की अध्यक्षता जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर के पूर्व कुलपति प्रो. लोकेश शेखावत ने की।
इस मौके पर एआईएवीसीए के महासचिव डॉ. रणदीप सिंह, पूर्व प्राचार्य भगवती राजपूत और डीएवी कॉलेज की प्राचार्या डॉ. सविता भगत भी मौजूद रहीं।
सत्र की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई जिसके बाद माँ सरस्वती की वंदना और विश्वविद्यालय कुलगीत का गायन हुआ।
कुलपति प्रो सुशील कुमार तोमर, जो एआईएवीसीए के उपाध्यक्ष भी हैं, ने अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने संगोष्ठी के बारे में जानकारी दी। इस अवसर पर बोलते हुए प्रो. तोमर ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 देश की संपूर्ण शिक्षा प्रणाली के भारतीयकरण की दिशा में एक ठोस कदम है और विश्वविद्यालय एनईपी-2020 को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए सभी प्रयास कर रहा है।
अपने संबोधन में मुख्य वक्ता प्रो. शर्मा ने कहा कि भारत को अपनी पुरानी संस्कृति और शिक्षा को अपनाना होगा। नई शिक्षा नीति उसी पर आधारित है, हालांकि इसमें और सुधार की गुंजाइश है। उन्होंने शुरूआती और वर्तमान में लागू की गई शिक्षा नीति और खामियों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से भारत ने एक बार 1968 में और फिर 1986 में शिक्षा नीतियां लागू कीं। उपनिवेशवाद की अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली का प्रारंभिक प्रयासों वैदिक धर्म पर आधारित एक सभ्य राज्य को एक गुलाम मानसिकता वाले राज्य, यानी काले अंग्रेजों में बदलना था।
सभी बिंदुओं पर विचार करते हुए शिक्षा मंत्रालय द्वारा 2.5 लाख से अधिक सुझावों को स्वीकार किया गया था। यह नीति उन लोगों की पहचान करने में मदद करेगी जो पूरी पढ़ाई जारी रखने में असमर्थ है। यह समकालीन और पारंपरिक अध्ययन का एक अच्छा सममिश्रण है। ये सभी भारत को विश्वगुरु के स्तर पर ले जाने में योगदान दे रहे हैं।
एआईएवीसीए के अध्यक्ष प्रो. लोकेश शेखावत ने संस्था के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी। उन्होंने मुख्य वक्ताओं के कथनों को आगे बढ़ते हुए कहा कि भारत योद्धाओं का देश है। इसलिए, जब तक हम सब एक साथ लक्ष्य की ओर केंद्रित रहेंगे, तब तक सभी बाधाओं से आसानी से निपटा जा सकता है। मुख्य अतिथि प्रो. कुलपति प्रो. सुषमा यादव ने सत्र का समापन करते हुए कहा कि यह सत्र समकालीन भारत के विज्ञान, आध्यात्मिकता और व्यावहारिकता का सार प्रस्तुत करता है।
सत्र का समन्वय डीन (कॉलेज) प्रो. तिलक राज और निदेशक (आईक्यूएसी) प्रो. आशुतोष दीक्षित ने किया। फरीदाबाद शहर के विभिन्न कॉलेज से प्रातिनिधियोँ ने सत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।