Faridabad NCR
तलाकशुदा, विधवा या विदुर के लिये ही लागू हो लिव-इन-रिलेशनशिप
Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : राष्ट्रीय महिला जागृति मंच की संस्थापक व राष्ट्रीय अध्यक्ष अम्बिका शर्मा ने बताया कि वे आये दिन महिला उत्पीड़न के मामले सुलझाती रहती हैं और ज्यादातर मामले लिव-इन-रिलेशनशिप के ही आते हैं। अम्बिका शर्मा ने बताया कि आज के समय में लिव-इन-रिलेशनशिप परिवारों क़ो तोड़ने की अहम भूमिका निभा रहा है। यह एक विदेशी संस्कृति है जो भारत देश में लागू कर दी गयी है और जिसके कारण न जाने कितने परिवार टूटते हैं। आये दिन इन अवैध संबंधो के कारण कितनी हत्याएं/ आत्महत्याएं हो रही हैं और कितने बच्चे अनाथ हो रहे हैं। युवा पीढ़ी का जीवन लिव-इन- रिलेशनशिप में रहने से बर्बाद हो रहा है। शादी से पहले लिव-इन में रहने से ज्यादातर लड़के, लड़कियों को कुछ समय बाद छोड़ कर चले जाते हैं और उसके बाद लड़कियां अपना भविष्य बनाने के बजाय थाने/कोर्ट के चक्कर लगाती दिखती हैं। बाद में उनकी शादी में भी दिक्कत आती है, परिवार की बेईज्जती होती है वो अलग। एक तरफ हम रामराज्य की बात करते हैं दूसरी तरफ विदेशी संस्कृति को अपना रहे हैं। जो भी शादीशुदा महिला/पुरुष लिव-इन में रहते हैं, उसका खामियाजा विवाहित पत्नी/पति और बच्चों को भुगतना पड़ता है और जो लिव-इन में रहते हैं उनका क़ानून कुछ भी नही बिगाड़ सकता। फिर शुरू हो जाता हैं कोर्ट मैं झूठे सच्चे मुकदमो का दौर, जिसका फैसला आने में कई वर्ष गुजर जाते हैं। पति/पत्नी और बच्चे अपने हक के लिए क़ानून का दरवाजा खटखटाते हैं लेकिन वहां मिलती हैं तारीख पे तारीख जिसमे पीड़ित या पीड़िता क़ो आर्थिक मानसिक तथा शारिरिक पीड़ा से गुजरना पड़ता है, जिसका असर बच्चोँ पर भी पड़ता है। परिवार दुःख परेशानी से गुजर रहा होता है वहीं दूसरा पक्ष अपनी जिन्दगी अपने लिव-इन पार्टनर के साथ एन्जॉय कर रहा होता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष अम्बिका शर्मा ने मौजूदा सरकार से अनुरोध किया है कि लिव-इन रिलेशनशिप जैसे क़ानून में संशोधन किया जाए। अम्बिका शर्मा ने मांग की है कि सिर्फ तलाकशुदा, विधवा या विदुर ही लिव-इन- रिलेशनशिप में रहने चाहिए। कुवांरे बच्चे ओर शादीशुदा महिला या पुरूष के लिए लिव-इन-रिलेशनशिप अवैध/गैर कानूनी होना चाहिए। कोई भी शादीशुदा जोड़ा बिना तलाक के लिव-इन में ना रहे। जो रहे तो उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए। बच्चोँ की जॉइंट कस्टडी होनी चाहिए 15 दिन माँ के पास व 15 दिन पिता के पास, क्यूंकि बच्चे तो दोनो के हैं। यदि लिव-इन-रिलेशनशिप के कारण किसी एक पक्ष की भी हत्या या आत्महत्या होती है ओर इसके कारण दूसरा जीवित पक्ष जेल चला जाता है तो उन मासूम बच्चोँ की जिम्मेदारी मौजूदा सरकार ले।