Connect with us

Faridabad NCR

मिर्गी के दौरे के लक्षणों को नहीं पहचानने से बच्चे जीवन भर के लिए विकलांग हो सकते हैं : न्यूरोलॉजिस्ट

Published

on

Spread the love

Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 10 फरवरी। बच्चों में मिर्गी के लक्षण अक्सर अस्पष्ट होते हैं क्योंकि वो मिर्गी के दौरे की प्रचलित अवधारणा से बहुत अलग दिख सकते हैं। इसकी वजह से कई बाल रोगियों का निदान देर से होता है और उस वक़्त तक उनके मस्तिष्क का विकास पहले से ही बुरी तरह से प्रभावित हो चुका होता है। जिससे रोगी को जीवन भर के लिए मानसिक और शारीरिक हानि होती है।
अंतर्राष्ट्रीय मिर्गी दिवस के मौके पर, अमृता अस्पताल, फरीदाबाद के न्यूरोलॉजिस्ट ने लोगों और यहां तक कि डॉक्टरों के बीच बच्चों में मिर्गी के दौरों को जल्दी पहचानने और बिना देरी किए इलाज शुरू करने के बारे में अधिक जागरूकता का आह्वान किया है। उन्होंने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि मिर्गी से पीड़ित किशोरियों को इलाज के लिए डॉक्टर के पास नहीं ले जाया जाता है, क्योंकि माता-पिता को डर होता है कि इससे उनकी बेटी की शादी में अड़चन आएगी।
अमृता अस्पताल, फरीदाबाद के बाल चिकित्सा न्यूरोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. प्रतिभा सिंघी ने कहा, “मिर्गी के बच्चों का देर से निदान चिंता का एक प्रमुख कारण है। बच्चों के मस्तिष्क के विकसित होने के दौरान बार-बार होने वाले दौरे जीवन भर के लिए दुर्बलता का कारण बन सकते हैं। छोटे बच्चों में दौरों का अक्सर पता नहीं चल पाता है क्योंकि वे विशिष्ट दौरों की तरह नहीं दिखते हैं, क्योंकि लोगों का मानना है कि दौरे में अनैच्छिक ऐंठन और बेहोशी होती है। हालांकि, जरूरी नहीं कि यह उन सभी बच्चों पर लागू हो जिन्हें मिर्गी और दौरे पड़ते हैं। बच्चों में दौरे के लक्षण घूरने और तेजी से आंख झपकने से लेकर सांस लेने में कठिनाई, अचानक झटके (जो कि बच्चे को डर लगने के रूप में माना जाता है), सुन्न हो जाना और शब्दों का जवाब नहीं देना, मूत्राशय पर नियंत्रण खो देना, लयबद्ध ढंग से सिर हिलाना, भ्रमित या धुंध में दिखाई देना और बिना किसी कारण के अचानक गिर जाने तक हो सकते हैं। लोग और
यहां तक कि कई डॉक्टर भी इस बात से वाकिफ नहीं हैं कि ये भी बच्चों में मिर्गी के दौरे के संकेत हो सकते हैं।”
डॉक्टर ने आगे कहा, "वयस्कों की तुलना में छोटे बच्चों में दौरे और उनकी अभिव्यक्तियां बहुत भिन्न होती हैं। विकासशील मस्तिष्क के कारण बचपन की मिर्गी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि दौरों पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो वे मिर्गी एन्सेफैलोपैथी का कारण बन सकते हैं, जो बच्चे के विकास को प्रभावित करता है और गंभीर मानसिक और शारीरिक विकलांगता का कारण बनता है। इसलिए, बच्चों में दौरे को जल्दी पहचानना और बिना समय गंवाए इलाज शुरू करना बहुत महत्वपूर्ण है। हालांकि, उपचार शुरू होने के बाद भी पालन एक अन्य मुद्दा बन जाता है।
धिकांश बच्चों में दौरे नियंत्रित होने के बाद माता-पिता यह सोचकर अपने बच्चे की दवा बंद कर देते हैं कि बच्चा ठीक हो गया है। लोगों को यह पता होना चाहिए कि डॉक्टर की सलाह के बिना दौरे की दवा (एएसएम) को कभी भी बंद या कम नहीं करना चाहिए, अन्यथा बच्चे को फिर से खराब दौरे पड़ सकते हैं।
अमृता अस्पताल, फरीदाबाद के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. संजय पांडे ने कहा, “भारत में मिर्गी से जुड़े कई धब्बे हैं। लोग महिलाओं, बच्चों, विशेष रूप से किशोरियों को डॉक्टर के पास ले जाने से बचते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उनकी शादी में कोई रूकावट आ सकती है। माता-पिता अपनी अविवाहित बेटी की मिर्गी के बारे में किसी को नहीं बताना चाहते हैं। यहां तक कि जब लड़की को मिर्गी होती है और मिर्गी-रोधी दवा दी जाती है, तब भी परिवार के
सदस्य दूल्हे के परिवार को इस स्थिति के बारे में सूचित करने में संकोच करते हैं, जिससे लड़की और उसके माता-पिता के लिए सामाजिक और मानसिक तनाव बढ़ जाता है। शादी के बाद, कई लड़कियां अपने पति या ससुराल वालों द्वारा मिर्गी के बारे में पता लगने के डर से अपनी दवा लेना बंद कर देती हैं और उन्हें दौरे पड़ते रहते हैं। इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं, विशेष रूप से गर्भावस्था के दौरान, मां के मिर्गी के दौरे के कारण अजन्मे बच्चे में तंत्रिका
संबंधी विकार विकसित होने का खतरा होता है।
उन्होंने आगे कहा, हमें वास्तव में यह जागरूकता फ़ैलाने की आवश्यकता है कि मिर्गी में शर्म करने की कोई बात नहीं है, और मिर्गी से पीड़ित कई लोग दुनिया में महान ऊंचाइयों को प्राप्त कर चुके हैं। मिर्गी से जुड़े कलंक को अब दूर करने की जरूरत है, ताकि मरीज उचित उपचार लेते रहें और बिना शर्मिंदगी के जीवन जी सकें।”

Continue Reading

Copyright © 2024 | www.hindustanabtak.com