Faridabad NCR
सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला, फल, फूल, हल्दी, चावल तथा कई खाद्य मसालों के रंगों से बनी पेंटिंग लुभा रही है पर्यटकों को

Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 15 फरवरी। कहते हैं कि कुदरत के रंग सबसे न्यारे होते हैं। अगर किसी को इन्हीं कुदरती रंगों को सजाने की कला मिल जाए, तो हर चीज जीवंत हो उठती है। हैंडमेड पेपर पर प्राकृतिक रंगों की कलाकारी देखनी है तो अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में मधुबनी की सुधा देवी के स्टॉल नंबर-556 पर चले आइए।
रद्दी कागज तथा कपड़ों के घोल से बना हैंडमेड पेपर और उसके ऊपर कुदरती रंगों की कलाकारी पर्यटकों को खासी लुभा रही है। यहां पर 200 रुपए से लेकर 40 हजार रुपए तक की हैंडमेड पेपर पर बनी पेंटिंग तैयार हैं। पारंपरिक कथाओं से लेकर आधुनिक युग की कहानियों को इस तरह कैनवास तथा हैंडमेड पेपर पर उकेरा गया है कि पर्यटक अपने आप खींचे चले आ रहे हैं।
सुधा देवी ने बताया कि कागज बनाने से लेकर रंग बनाने तक की प्रक्रिया बहुत मेहनत से पूरी होती है। हैंड मेड कागज बनने के बाद उसके ऊपर गाय के गोबर का लेप किया जाता है, ताकि दशकों तक उस पर कीड़े मकोड़ों का कोई असर न हो। गोबर को पहले कपड़े से छाना जाता है तथा उसके बाद कागज पर लेप लगाया जाता है। इससे रंगों में चमक भी बनी रहती है।
उन्होंने बताया कि रंग बनाने के लिए वह नीम की पत्ती तथा पीपल की छाल को गोंद में उबालकर विभिन्न तरह के स्वरूप देती है। रंग देने के लिए उसमें फल, फूल, हल्दी, चावल तथा अन्य प्रकार के घरेलू खाद्य मसालों का इस्तेमाल किया जाता है। 35 साल से इसी कला को निखारने में लगी सुधा देवी अब अगली पीढ़ी को प्रशिक्षण दे रही है, ताकि इस कला को भविष्य में भी जिंदा रखा जा सके। उन्होंने बताया कि बड़ी पेंटिंग बनाने में उन्हें कई महीने लग जाते हैं। उनके द्वारा बनाई गई पेंटिंग पर लकड़ी के फ्रेम में शीशे चढ़ाकर बड़े-बड़े होटलों के शोरूम की शोभा बढा रहीं हैं।