Faridabad NCR
सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला, तारकशी एवं वस्त्र हस्तशिल्प कला में राजकुमार शाक्य की तीन पीढिय़ां हासिल कर चुकीं अवॉर्ड

Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 16 फरवरी। कहते हैं कलाकार को कला के कद्रदान का साथ, संबल और सम्मान मिल जाए तो उसमें और अधिक निखार आता है। उत्तर प्रदेश के मैनपुरी के राज कुमार शाक्य की तीन पीढिय़ां तारकशी एवं वस्त्र हस्तशिल्प कला में लगातार अवॉर्ड हासिल कर चुकी हैं। सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में स्टॉल नंबर-536 पर रखे उनके उत्पादों पर की गई कलाकारी देखने लायक है।
सोना, चांदी, तांबा, सिल्वर व गिल्ट के तार का इस्तेमाल करके यह परिवार खड़ाऊ, कुशन कवर, वॉल हैंगिंग, टेबल व अन्य उत्पादों पर तारों से ऐसी कलाकारी करते हैं कि उनके द्वारा बनाए गए उत्पाद थोड़ा सा प्रकाश पड़ते ही चमक उठते हैं। इसी महारत के चलते उनकी तीन पीढिय़ों को राष्ट्रीय अवॉर्ड मिल चुका है।
राज कुमार शाक्य ने बताया कि हरियाणा की तर्ज पर अब उत्तर प्रदेश सरकार ने भी एक जनपद एक उत्पाद योजना शुरू की है, जिसके माध्यम से मैनपुरी में अब कॉमन फैसिलिटेशन सेंटर बनाया गया है। अब हम जैसे सभी कलाकारों को एक ही छत के नीचे अपने उत्पाद की मार्केटिंग तथा अन्य सुविधाएं मिल सकेंगी।
उन्होंने बताया कि इस कार्य में उनकी तीसरी पीढ़ी लगी हुई है। मैनपुरी के राजा तेज सिंह के दौर से उनके दादा ने यह कार्य शुरू किया था। उसके बाद उन्होंने लाल सिंह मान सिंह आश्रम में लोगों को प्रशिक्षण दिया। पीढ़ी दर पीढ़ी यह कला चलती आ रही है और अब हमारे साथ 250 लोग इस कला से जुड़े हुए हैं। यह परिवार तारकशी के साथ-साथ हाथ से बने कपड़ों पर एंब्रॉयडरी करके अपना रोजगार चला रहे हैं।
उन्होंने बताया कि पुराने दौर में राजा तलवार केस, खड़ाऊ तथा संदूक आदि अपने मेहमानों को भेंट करते थे। उन सभी पर तारकशी होती थी। मैनपुरी के राजा कला के इतने कद्रदान थे कि उन्होंने उस दौर में इस कला के लिए आश्रम में प्रशिक्षण शुरू करवाया था।