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Faridabad NCR

कश्मीर अध्ययन कर वापिस लौटे जे.सी. बोस विश्वविद्यालय के मीडिया विद्यार्थी

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 23 मार्च। दिमाग में कश्मीर, दिल में कश्मीरियत, हाथों में तिरंगा है। डल झील में शिकारा पर खानपान से लेकर खरीदारी तक का अद्भुत अनुभव रहा। कहीं कश्मीरी पंडितों के दर्द छलका तो उनकी घर वापसी की उम्मीद भी जगी। ये अनुभव साझा किये कश्मीर के शैक्षणिक दौरे से लौटे जे.सी. बोस विश्वविद्यालय के मीडिया विद्यार्थियों ने जाकि धारा 370 हटने के बाद की स्थिति-परिस्थिति का आकलन किया। जम्मू व कश्मीर में वास्तविक परिस्थिति का अध्ययन कर लौटे विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को कुलपति प्रो. सुशील कुमार तोमर ने बधाई दी और उज्जवल भविष्य की कामना की।
संचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी विभाग के डीन प्रो. अतुल मिश्रा ने कहा कि विभाग को अपने विद्यार्थियों पर गर्व है। जिस उद्देश्य के साथ विद्यार्थी जम्मू व कश्मीर अध्ययन के लिए गये थे, उन्होंने उसे पूरा किया। विभाग के अध्यक्ष डाॅ. पवन सिंह मलिक ने विद्यार्थियों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में जाकर वहां की वास्तविक स्थिति का अध्ययन करना विद्यार्थियों के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य था, लेकिन विद्यार्थियों ने पूरी लगन के साथ अपना अध्ययन पूरा किया जोकि उन्हें आगे शोध कार्य में मदद करेगा।
यात्रा में शामिल विद्यार्थियों ने अपने अनुभव क्रमवार सांझा करते हुए बताया कि कश्मीर में दौरे के दौरान एक सेवानिवृत अधिकारी गुलाम मोहम्मद खान ने बताया कि उन्होंने 1980 से पहले धारा 370 हटाने की मांग रखी और लंबे समय तक आंदोलन चलाया। पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद की प्रवक्ता सुजादा बशीर ने बताया कि उनकी पार्टी का प्रयास है कि आतंकवाद फिर कभी न पनपे और वह रोजगार के अवसर की संभावनाओं के लिए कार्य करेंगी। कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास में हरसंभव प्रयास करेंगी। कश्मीरी विद्यार्थियों ने अपनी समस्या से रूबरू कराते हुए बताया कि धारा 370 हटने के बाद उन्हें अभी केंद्रीय शिक्षा की मुख्यधारा में आने में समय लगेगा।
मोहम्मद शमशाद कहते हैं कि अल्लाह का शुक्र है यहां धारा 370 हटने के बाद आतंकवाद पर रोक लगी है। अधिकतर कश्मीरी लोगों का कहना है कि वह अनजान की मदद करने को हमेशा तैयार रहते हैं। उन्होंने 370 हटाए जाने के फैसले का स्वागत किया। आज उनके दिमाग में कश्मीर, दिल में कश्मीरियत और हाथों में तिरंगा है।
यात्रा टीम के डल झील में शिकारा पर सवार होकर खानपान से लेकर खरीदारी का अनुभव अविस्मरणीय रहे। भारतीय टूरिस्ट आने से टूरिज्म इंडस्ट्री में रौनक लौटने लगी है और अब विदेशियों के आगमन से टूरिज्म व्यवसाय को ज्यादा प्रोत्साहन मिलेगा।
कश्मीर में जलाशय के बीच स्थापित मंदिर भूमिगत जल स्रोत संरक्षण का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है। गंदरबल जिले के तुलमुल में छ हजार वर्ष पुराना प्रसिद्ध एवं प्राचीन खीर भवानी मंदिर हिन्दुओं का प्रमुख तीर्थस्थल है। इसे कश्मीरी पंडितों की कुलदेवी भी कहा जाता है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि किसी भी प्राकृतिक आपदा की पूर्व सूचना का संकेत देते हुए इसके जलकुंड का पानी लाल व काले रंग में बदल जाता है। ग्रीन कश्मीर रेवुलेशन संस्था वहां के विद्यार्थियों के साथ मिलकर अपनी अनूठी मुहिम के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण अभियान में जुटी हुई है।
कश्मीर यात्रा दल ने कश्मीर के जिला अनंतनाग के वेरीनाग, गंधरबल, श्रीनगर डल झील, बादामीबाग, लालचैक, गोगची बाग, हजरतबल दरगाह, मुगल गार्डन निशात, मुगलगार्डन चश्मेशाही, टैगोर हॉल, इबादत ए शहादत संग्राहलय, ओल्ड जीरो ब्रिज, अमर पैलेस, आकट्री बॉर्डर, बलिदान स्तंभ, सुरिनसर मनसर झील, कश्मीरी शरणार्थियों के लिए बसाई गई जगती कॉलोनी का दौरा किया।
टीम में हरियाणा के 16 जिलों से विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के 38 छात्र- छात्राएं शामिल थीं। अध्ययन दल कश्मीर में 9 मार्च से 15 मार्च तक रहा। कश्मीरियों से मिलकर यहां के हालात की जानकारी एकत्रित की। पंचकूला में विगत वर्ष दिसंबर में आयोजित कार्यशाला में हरियाणा के कई विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों से 70 के करीब विद्यार्थी शामिल हुए थे, जिसमें से जे.सी.बोस विश्वविद्यालय के विद्यार्थी हेमंत शर्मा, अरिहंत, कृष्णा कुमार, साहिल कौशिक के साथ प्रोडक्शन सहायक रामरसपाल सिंह का चयन कश्मीर अध्ययन यात्रा के लिए हुआ था।

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