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Faridabad NCR

सातवें नवरात्रों में हुई मां कालरात्रि की भव्य पूजा, विधायक सीमा त्रिखा ने किया गीतकार अनिल कत्याल को सम्मानित

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : नवरात्रों के सातवें दिन श्री महारानी वैष्णोदेवी मंदिर में मां कालरात्रि की भव्य पूजा अर्चना की गई। भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने मंदिर में पहुंचकर मां कालरात्रि की पूजा अर्चना की तथा अपने मन की मुराद मांगी। इस धार्मिक आयोजन में बडख़ल विधानसभा क्षेत्र की भाजपा विधायक सीमा त्रिखा ने मंदिर में पहुंचकर मां के समक्ष अपनी हाजिरी लगाई तथा ज्योत प्रवज्जलित की। मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने विधायक श्रीमति सीमा त्रिखा का जोरदार तरीके से स्वागत किया तथा उन्हें प्रसाद तथा मां की चुनरी भेंट की।
हवन पूजन के अवसर पर श्रीमति त्रिखा ने उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि नवरात्रों के शुभ अवसर पर माता रानी के दरबार से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता। सच्चे मन से मां से अपनी कामना करने वाले लोगों की मनोकामना अवश्य पूण होती है। नवरात्रों के शुभ अवसर पर एक ऐसा साकारात्मक माहौल बनता है, जिससे लोगों को अदभुत शाक्ति मिलती है। वह स्वयं इसकी जीती जागती मिसाल हैं।
नवरात्रों के शुभ दिनों में वह स्वयं मां के व्रत रखती हैं, जिससे उनके भीतर एक ऐसी शाक्ति जागृत होती है, जोकि उन्हें थकने नहीं देती। वह व्रत के दिनों में पहले से भी अधिक काम करती हैं तथा लोगों के बीच रहकर उनकी समस्याओं को सुनती और उनका समाधान करती है। उन्हें यह शक्ति नवरात्रों में माता रानी से मिलती है। श्रीमति सीमा त्रिखा ने सभी भक्तों को नवरात्रों की शुभकामनाएं दीं।
इस इस अवसर पर विधायक सीमा त्रिखा ने मां की भेंट लिखने वाले माता रानी के भक्त अनिल कत्याल को विशेष रूप से सम्मानित भी किया। बता दें कि गीतकार अनिल कत्याल प्रतिदिन वैष्णोदेवी मंदिर में दो भेंटें लिखते हैं, जिन्हें हर रोज मंदिर में पूजा अर्चना के अवसर पर गाया जाता है। अनिल कत्याल के भक्ति भाव को देखते हुए ही विधायक सीमा त्रिखा ने उन्हें विशेष तौर पर सम्मानित किया।
इस धार्मिक आयोजन के उपरांत मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने सभी श्रद्धालुओं को नवरात्रों की शुभकामनाएं देते हुए मां कालरात्रि की महिमा का बखान किया। श्री भाटिया ने कहा कि मां कालरात्रि का एक अन्य नाम शुभकंरी है तथा उनकी सवारी गधा है। मां को पंचमेवा और जायफल का भोग अति प्रिय है तथा उन्हें नीला जामुनी रंग बेहद पसंद है। जब देवी पार्वती ने शुंभ और निशुंभ नाम के राक्षसों का वध लिए तब माता ने अपनी बाहरी सुनहरी त्वचा को हटा कर देवी कालरात्रि का रूप धारण किया। कालरात्रि देवी पार्वती का उग्र और अति-उग्र रूप है। देवी कालरात्रि का रंग गहरा काला है। अपने क्रूर रूप में शुभ या मंगलकारी शक्ति के कारण देवी कालरात्रि को देवी शुभंकरी के रूप में भी जाना जाता है।

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