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श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम के 16वें ब्रह्मोत्सव को संपन्न कराने पहुंचे दक्षिण भारत के अर्चक

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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : श्री सिद्धदाता आश्रम स्थित श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम में आज से पांच दिवसीय 16वां ब्रह्मोत्सव समारोह हर्ष एवं उल्लास के साथ प्रारंभ हुआ। इस दिन दिव्यधाम में श्री गरुड़ स्तंभ पर श्री रामानुज संप्रदाय की ध्वजा को स्थापित करने के बाद अन्य विधियां प्रारंभ हुईं। यहां 27 अप्रैल तक प्रतिदिन अनेकानेक धार्मिकसांस्कृतिक आयोजन होंगे जिसमें दुनिया भर से आए भक्त भागीदारी करेंगे।

दक्षिण भारत से आए श्री रामानुज संप्रदाय के विद्वानों ने अधिपति जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य के नेतृत्व में पांच दिन तक चलने वाले पूजनहवनभंडारारथयात्राओं के क्रम का आरंभ किया। इस अवसर पर अंकुरारोपणध्वजारोहणभेरी पूजा एवं देवता आवाहन का आयोजन हुआ। विशिष्ट दक्षिण शैली में पुरोहितों का पूजन देखते ही बनता है।

बंचारी के ढोल और दक्षिण के नादस्वरम् :

ब्रह्मोत्सव में दुनिया भर में मशहूर बंचारी की ढोल नगाड़ा पार्टी भक्तों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है और भक्त बंचारी कलाकारों के साथ ठुमके लगाते देखे गए। बंचारी कलाकार यहां पांच दिन धूम मचाएंगे। उनके साथ ही दक्षिण भारत से आए नाद स्वरम् के कलाकार भी दक्षिण भारतीय आभा को दिव्यधाम में प्रसारित कर रहे हैं।

पांच दिन क्या क्या आयोजन होंगे :

देवताओं के आवाहन के बाद यहां अगले चार दिन भगवान का विभिन्न प्रकार से पूजन होगा। इसमें 24 अप्रैल को चतुस्र्थानार्चनम् एवं सुदर्शन यज्ञ, 25 अप्रैल को चतुस्र्थानार्चनम्भगवान श्री लक्ष्मीनारायण का विवाहोत्सववाहन सेवा एवं संप्रदाय के परमाचार्य भाष्यकार रामानुज जयंती पर उनका अभिषेक एवं शोभायात्रा, 26 अप्रैल को चतुस्र्थानार्चनम् और 27 अप्रैल को महापूर्ण आहूतिभगवान श्री लक्ष्मीनारायण एवं अन्य सभी देव विग्रहों का महाभिषेक एवं दिव्य श्रृंगारविशाल शोभायात्रा और उसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमप्रवचन एवं भंडारे का आयोजन किया जाएगा।

इसमें 25 और 27 अप्रैल को विशाल कलश यात्राओं का भी आयोजन होगा जिसमें भागीदारी के लिए अभी से महिला भक्तों में बड़ा उल्लास देखा जा रहा है।

क्या है ब्रह्मोत्सव की परंपरा :

बता दें कि श्री सिद्धदाता आश्रम दक्षिण भारतीय रामानुज मत में इंद्रप्रस्थ एवं हरियाणा की पीठ का गौरव प्राप्त है जिसके अधिपति श्रीमद जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज हैं। आश्रम परिसर में ही श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम स्थापित है जिसका विधिवत शुरुआत वर्ष 2007 में हुई थी। तभी से हर वर्ष यहां ब्रह्मोत्सव मनाया जाता है। जिसमें भगवान एवं अन्य देवी देवताओं के विग्रहों को पुन: शक्ति संपन्न किया जाता है। श्री वैष्णव परंपरा में ब्रह्मोत्सव को एक प्रकार से मंदिर के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। दिव्यधाम में यह आयोजन प्रतिवर्ष अक्षय तृतीया से प्रारंभ होकर पांच दिन चलता है।

क्या कहते हैं आचार्य :

स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य ने बताया कि ब्रह्मोत्सव भक्त और भगवान का सम्मिलित आयोजन है जिसका केंद्र दिव्यधाम है। इस अवसर पर विशिष्ट शक्तियां वातावरण में मौजूद रहती हैं। जिनका साक्षात्कार भक्तजन करते हैँ। इस विशिष्ट आयोजन के लिए हमने तैयारियां भी विशिष्ट की हैं। इसमें सभी सनातनी वैष्णव परंपरा के भक्तों को परिजनों एवं ईष्ट मित्रों सहित भागीदारी करनी चाहिए।

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