Faridabad NCR
कृषि-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान तथा परीक्षण गतिविधियों को बढ़ावा देगा जे.सी. बोस विश्वविद्यालय
Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 16 मई। कृषि-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान और परीक्षण गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जे.सी. बोस विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद ने कृषि-तकनीक क्षेत्र में काम करने वाली एक स्टार्ट-अप कंपनी गोप्लोह वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड जोकि गोप्लो फार्म के रूप में पहचान रखती है, के साथ समझौता किया है। गोप्लो दिल्ली-एनसीआर में जैविक फलों, सब्जियों तथा अन्य कृषि उपज के उत्पादन, परीक्षण और विपणन का कार्य करती है।
स्मझौते पर विश्वविद्यालय की ओर से कुलसचिव डॉ. सुनील कुमार गर्ग और गोप्लो की ओर से कंपनी के संस्थापक श्री सम्राट सिंह चौहान ने कुलपति प्रो. सुशील कुमार तोमर की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर डीन (इंस्टीट्यूशन) प्रो. संदीप ग्रोवर, निदेशक (आर एंड डी) प्रो. नरेश चौहान, सह-संस्थापक, गोप्लो फार्म श्री संदीप मेहंदीरत्ता, प्रमुख – क्लीन फूड लैब, गोप्लो फार्म, डॉ. अर्चना कुमारी, और रसायन विज्ञान एवं जीव विज्ञान के संकाय सदस्य भी उपस्थित थे। समझौते को व्यवहारिक रूप देने में रसायन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. रवि कुमार ने भूमिका निभाई।
समझौते का उद्देश्य यूवी विज स्पेक्ट्रोफोटोमीटर, रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी, एफटीआईआर, टीएलसी, आदि जैसी प्रासंगिक प्रौद्योगिकियों के माध्यम से जैविक एवं पारंपरिक फलों, सब्जियों और प्रमुख उपज में चुनिंदा रसायनों (एमआरएल) की पहचान के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) विकसित करना है। इसके साथ ही, पारंपरिक भोजन को जैविक एवं रासायनिक मुक्त भोजन से अलग करने के उद्देश्य से खाद्य उत्पादों (फल, सब्जियां, स्टेपल, डेयरी उत्पाद) के परीक्षण के क्षेत्र में अनुसंधान किया जायेगा।
गोप्लो फार्म द्वारा विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों में उद्यमशीलता की मानसिकता और समस्या समाधान विकसित करने के लिए कार्यशालाएं भी आयोजित की जायेगी। इसके अलावा, शार्ट टर्म ट्रेनिंग प्रोग्राम, कार्यशालाएं, व्याख्यान और विद्यार्थियों के साथ संवाद के कार्यक्रम आयोजन किये जायेंगे।
कुलपति प्रो. तोमर ने समझौते पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इस सहयोग से विद्यार्थियों को कृषि-प्रौद्योगिकी अनुसंधान और परीक्षण में व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करने में मदद मिलेगी और उनके लिए रोजगार के बेहतर अवसर पैदा होंगे। इससे पारंपरिक एवं जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने गोप्लो फार्म तथा संबंधित शैक्षणिक विभागों के संकाय सदस्यों को नियमित रूप से शैक्षणिक कार्यक्रम और कार्यशालाएं आयोजित करने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि समझौते का और अधिक व्यवहारिक बनाया जा सके।