Faridabad NCR
डाक्टर्स डे पर विशेष : डा. सुरेश अरोड़ा ने गुजरात के भुज में आए भूकंप के दौरान पेश की थी मिसाल
Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : चाहे 2001 में गुजरात के भुज में आया भूकंप हो या फिर 2020 में आया कोरोना। ऐसे संकट भरे मौकों पर डाक्टरों ने अपने जीवन की परवाह किए बिना जिस सेवा और सर्मपण के साथ लोगों का इलाज किया, उसके चलते ही उन्हें आज भगवान का दर्जा दिया जाता है। शहर के एक डाक्टर हैं सुरेश अरोड़ा। जिन्होंने 2001 में जब गुजरात के भुज में भूंकप आया था, तब इन्होंने अपना पूरा हास्पिटल वहां शिफ्ट कर दिया था।
भुज में इतना भयंकर भूंकप आया था कि उसमें करीब 13 हजार लोगों की जान चली गई थी। उस दौरान भूकंप से तबाह हुए लोगों की मदद के लिए पूरा देश खड़ा था। ऐसे में फरीदाबाद स्थित सूर्या आर्थो एंड ट्रामा सेंटर के संचालक डा. सुरेश अरोड़ा (एमएस आर्थो) भी मानवता की मिसाल पेश करते हुए हास्पिटल का पूरा सामान एयर लिफ्ट कर अपनी टीम के साथ भुज पहुंच गए थे। डा. ््अरोड़ा के अनुसार वे मेडिकल का पूरा सामान ट्रक में लोड कर फरीदाबाद से दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे। वहां से फिर एरोप्लेन से भुज के लिए रवाना हुए थे। भूकंप से तबाही का वहां जो मंजर था, वह बहुत ही वीभत्स था। लोगों को मेडिकल की सख्त जरूरत थी। विनाशकारी भूकंप के कारण वहां मेडिकल का सेटअप जमाना आसान नहीं था। लेकिन विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने कोशिश कि जल्द से जल्द लोगों को मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने भुज के एक स्कूल में मेडिकल सेटअप जमाकर पऱ्भावितों का इलाज शुरू किया। उनके साथ यहां से मेडिकल की एक पूरी टीम गई थी। इस टीम में जींद के डा. राणा, डा. नरेंदर घई, डा. संजीव गुप्ता, जींद के ही डा. गोयल सहित अन्य लोग शामिल थे। टीम के भुज पहुंचते ही इसने कुछ ही घंटे में मेडिकल वर्किंग शुरू कर दी थी। रातों-दिन लगातार काम कर पांच दिन में टीम ने करीब 250 आपरेशन किए थे। वहां के जो हालात थे उस समय न किसी को नींद आ रही थी न भूख लग रही थी। जब कोई सदस्य थक जाता था, तो वह थोड़ी देर के लिए रेस्ट कर फिर से आपरेशन और घायलों के इलाज में लग जाता था। यही कारण था कि पांच दिन में टीम ने 250 आपरेशन किए थे। डा. सुरेश अरोड़ा कहते हैं कि भुज में काम कर उन्हें जो मानसिक सुकून मिला था, वह डाक्टरी के पेशे में आज तक नहीं मिला, क्योंकि विपरीत परिस्थियों में वहां हमारी टीम ने काम किया था।
डा. सुरेश अरोड़ा ने 1982 में रोहतक मेडिकल कालेज से एमबीबीएस किया था। इसके बाद 1986 में इन्होंने एमएस किया। इसके बाद ये 1994 तक बीके जिला अस्पताल में डाक्टर रहे। इसके बाद इन्होंने अपनी पैऱ्क्टिस शुरू कर दी। इनकी पत्नी डा. हर्ष नंदिनी भी डाक्टर हैं। वे ईएसआई मेडिकल कालेज में पऱ्ोफेसर हैं। वे मेडीसिन एमडी हैं। जबकि इनके बेटे कर्ण अरोड़ा भी आर्थो एमएस हैं। वे फरीदाबाद के ईएसआई मेडिकल कालेज और अस्पताल में डाक्टर हैं।