Faridabad NCR
मेवात में शिवभक्तों पर हिंसा, संयोग या ‘प्रयोग’ : डॉ. पवन सिंह
Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : ब्रजमंडल जलाभिषेक यात्रा का महत्व: मेवात की धरती भगवान श्री कृष्ण की भूमि है. यह उनकी क्रीडा स्थली रही है. यह यात्रा नूंह के नल्हड़ महादेव मंदिर से प्रारंभ होकर शृंगार मंदिर पुन्हाना में संपन्न होती है. इन दोनों स्थानों का महत्व श्री कृष्ण के नाम के साथ जुड़ा हुआ है. कहा जाता है कि यहीं श्री कृष्ण विराजमान हुए थे और उन्होंने पवित्र शिवलिंग की स्थापना की थी. इसी स्थान पर उन्होंने कौरवों – पांडवों के मध्य संधि करवाने का प्रयास किया था. शृंगार मंदिर वह स्थान है जहां पर वहां के लोगों ने श्री कृष्ण के बाल्यकाल में उनका शृंगार किया था. इसलिए इसका नाम शृंगार मंदिर पड़ा. पुन्हाना का नाम भी ‘भगवान पुनः आना’ के आधार पर रखा गया है. यहां फिरोजपुर झिरका में स्थित झीर महादेव मंदिर भी वही स्थान है जहां पांडवों ने अज्ञातवास का समय बिताया था. इसलिए मेवात के कण-कण में प्रभु श्री कृष्ण के अहसास को महसूस किया जा सकता है और इसी भाव को ध्यान में रखते हुए पिछले तीन वर्षों से इस ब्रजमंडल जलाभिषेक यात्रा का प्रयोजन किया जाता है. जिसमें यहां के व हरियाणा के अन्य स्थानों से आए हुए शिवभक्त बड़ी संख्या में हिस्सा लेते है, इस यात्रा में राष्ट्रत्व का भाव रखने वाले मेव समाज के बंधु भी भागीदार होते हैं. पांडवकालीन स्थान होने के कारण श्रावण मास में यह यात्रा अनेकों वर्षों से होती आ रही है.
मेवात की पहचान क्या हो: आज मेवात की पहचान हिंदू विरोधी गतिविधियों के लिए होने लगी है. पिछले कुछ वर्षों में यहां से बहुत अधिक संख्या में हिन्दुओं का पलायन हुआ है. जहां हिन्दू हैं भी उनका प्रतिशत बहुत कम है. आये दिन हिंदू विरोधी घटनाएं होती रहती है. तो क्या मेवात की पहचान हिंदू विरोधी बननी चाहिए या फिर भगवान श्री कृष्ण? प्रश्न सीधा है पर उत्तर कठिन। मेवात का सौहार्द बना रहे, यहां सभी मिलजुल कर रहे. ‘हरियाणा एक – हरियाणवी एक’ का भाव चरितार्थ हो. यहां का हिंदू समाज अपने आप को अकेला व असहाय न समझे। हरियाणा का सारा समाज मेवात के साथ खड़ा है, इस बात को ध्यान में रखते हुए हर वर्ष इस यात्रा का आयोजन किया जाता है. जिसमें हजारों की संख्या में हरियाणा भर से लोग इसमें हिस्सा लेते हैं. इस बार शृंगार की कलश यात्रा में एक हजार महिलाओं ने भाग लिया, इस उत्साह व उमंग से भी इस यात्रा के प्रतिवर्ष बढ़ते महत्व को देखा जा सकता है. सुरक्षा में चूक, जिम्मेदारी किसकी: 31 जुलाई दिन सोमवार को सुबह 11 बजे शिव मंदिर से जलाभिषेक किया गया. उसके बाद यात्रा ने शृंगार के लिए प्रस्थान किया तो दोपहर 1 बजे के करीब खेड़ला चौक के पास उग्र भीड़ ने यात्रा पर हमला कर दिया। तीन बजे तक उग्र भीड़ द्वारा नूंह व आसपास के इलाकों में आगजनी तथा तोड़फोड़ होने लगी. इसके बाद प्रशासन व कुछ सामाजिक संगठनों के आह्वान पर दुकानें बंद करवा दी गयी. शाम चार बजे तक इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया गया. उसके पश्चात पास के जिलों से अतिरिक्त पुलिस बल आना शुरु हुआ. छ: बजे के पास मंदिर परिसर में आश्रय लिए शिवभक्तों को पुलिस ने निकालना प्रारंभ किया। इस सारे घटनाक्रम में प्रशासन द्वारा की गयी तैयारियां संदेह के घेरे में आती है या यूं कहें कि प्रशासन ने इस यात्रा को लेकर जिस गंभीरता के साथ तैयारी करनी चाहिए थी, वह नहीं की. वरना क्या कारण है कि पांच हजार लोगों की सुरक्षा में केवल सौ पुलिस कर्मी ही लगाए गए. यात्रा की सुरक्षा में लगे सुरक्षा कर्मियों की संख्या हमलावर तत्त्वों को देखते हुए कम सिद्ध हुई. हमले के वीडियो देखने पर ध्यान आता है कि हमले की तैयारियां बहुत दिनों से हो रही थी, फिर क्यों नहीं ख़ुफ़िया विभाग को इसकी कानों कान खबर हुई. जिस प्रकार से उग्र भीड़ की तैयारी व मनसूबे थे उसके कारण हालात और अधिक खराब हो सकते थे. जिस तरीके से तीर्थयात्रियों पर हमला हुआ है, उसमें महीनों की तैयारी का अंदेशा होता है. यह पूरी घटना पूर्व-नियोजित थी | अभी तक की प्राप्त जानकरी अनुसार 70 से अधिक निजी कारों व बसों को तोडा/ जलाया गया हैं. दो होमगार्ड जवान और एक पानीपत के हिन्दू कार्यकर्ता के दुखद बलिदान सहित अनेकों घायल हैं | बड़ी संख्या में पत्थरों का एकत्र होना, अलग अलग पॉइंट पर हमला करना, यह बिना पूर्व योजना के सम्भव नहीं है सीआइडी के पास पूर्व में कुछ ऐसी सोशल मीडिया पोस्ट पहुंची थी, जिसमें इस प्रकार की कोई घटना हो सकती है इसका अंदेशा था. जबकि इस ब्रजमंडल जलाभिषेक यात्रा की सूचना बहुत समय पहले से प्रशासन व स्थानीय पुलिस के पास थी, उसके बावजूद भी इस प्रकार की घटना से सुरक्षा में चूक हुई है इस बात को किसी भी कारण से नकारा नहीं जा सकता।
मेवात के लिए एकजुट होने का समय: मेवात को उसकी पहचान भगवान श्री कृष्ण की धरती के रुप में मिल सके. यहां पर भी शांति व अपनापन का भाव बने. यहां पर रहने वाले लोगों के मनों में डर नहीं भरोसे का विश्वास पनपे। इसके लिए आज पूरे समाज को एक साथ खड़ा होना होगा और यह किसी एक समाज का दायित्व नहीं। सबकी साझी भूमिका है. विहिप के केंद्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार के शब्दों में ‘ हम केवल सरकार का आश्रय नहीं लेंगे। आत्मरक्षा का अधिकार है और इसलिए हिन्दू अपनी आत्मरक्षा के अधिकार का भरपूर प्रयोग करके इस प्रकार के हमलों का सामना करेगा। इसके परिणाम जो होंगे उसकी जिम्मेदारी हम पर नहीं होगी। हम सामना भी करेंगे, भयभीत भी नहीं होंगे और मेवात को हिंदुओं के लिए एक सुरक्षित क्षेत्र बनाना सुनिश्चित करेंगे ‘. प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा है कि ‘देश के संविधान से ऊपर कोई नहीं। उन्होंने कहा है कि संवाद के जरिए सभी विषयों का हल निकाला जा सकता है. प्रदेश के सभी नागरिक हरियाणा एक हरियाणवी एक के सिद्धांत पर चलते हुए समाज और प्रदेश के हित में सहयोग दें। नूंह में जिस प्रकार की स्थिति उत्पन्न हुई है उस स्थिति में हर आम नागरिक की जिम्मेदारी समाज और प्रदेश के प्रति और बढ़ जाती है। ऐसे में हमें कोई भी सन्देश प्रचारित करते हुए और भी अधिक संवेदनशील होना चाहिए’. अब आवश्यकता है कि मेवात की इस घटना से सबक लेते हुए हर जिले में इस प्रकार के संवेदनशील स्थानों को चिह्नित करके वहां अपेक्षाकृत अधिक पुलिस गश्त / निगरानी आदि रखना सुनिश्चित किया जाए , ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके. सोशल मीडिया में तनाव निर्माण करने वालों पर भी सख्त कार्यवाही की जाए. नूंह जिले की संवेदनशीलता को देखते हुए यहाँ पर स्थायी रूप से सैनिक/ अर्धसैनिक बल का कोई केंद्र/ बेस कैंप स्थापित किया जाए. यह मांग पहले भी कई बार रखी जा चुकी है. इस घटना की जितनी निंदा की जाए कम है. अब आवश्यकता इस बात की भी है कि प्रशासन द्वारा इसमें शामिल सभी उपद्रवियों पर सख्त से सख्त कार्यवाही की जाए. उनकी गिरफ्तारी, सम्पत्ति कुर्क करना, उनके ठिकानों को ध्वस्त करना, एनएसए क़ानून लगाना आदि सख्त कदम उठाने चाहिए. मेवात में बढ़ रहे अवैध हथियारों और अवैध वाहनों (डम्फर) की जांच करके उन पर कार्यवाही करना भी बहुत जरुरी है. सरकार द्वारा घटना में मृत और घायल पुलिसकर्मियों और नागरिकों के नुकसान की भरपाई के लिए अविलम्ब मुआवजा और सरकारी नौकरी देना भी सुनिश्चित करना चाहिए।