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तीसरे नवरात्रे पर महारानी वैष्णोदेवी मंदिर में हुई मां चंद्रघंटा की भव्य पूजा, भक्तों का लगा तांता

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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : तीसरे नवरात्रे पर मां चंद्रघंटा की भव्य पूजा अर्चना की गई। श्रद्धालुओं ने मां के हवन यज्ञ में आहुति डाली और मां के सामने अपनी अरदास की। महारानी वैष्णोदेवी मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया। मंदिर में पहुंचकर भक्तों ने मां चंद्रघंटा की पूजा की तथा अपनी मनोकामना रखी। इस अवसर पर मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने आए हुए सभी श्रद्धालुओं का स्वागत किया तथा उन्हें नवरात्रों की शुभकामनाएं दीं।
इस शुभ अवसर पर उद्योगपति आर के बत्तरा, मंदिर संस्थान के चेयरमैन प्रताप भाटिया, कांशीराम, सुरेंद्र गेरा, फकीरचंद कथूरिया, प्रीतम धमीजा, राहुल, अमिताभ एवं अमित ने मां के समक्ष अपनी हाजिरी लगाई तथा पूजा अर्चना में हिस्सा लिया। संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने इन सभी को माता की चुनरी भेंट की तथा प्रसाद वितरित किया।
इस अवसर पर मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने बताया कि मां दुर्गा का यह स्वरूप शांतिदायक और कल्याणकारी है। माता रानी के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान है, इस वजह से मां का नाम चंद्रघंटा पड़ा। मां चंद्रघंटा की सवारी शेर है। दस हाथों में कमल और कमंडल के अलावा अस्त शस्त्र हैं । माथे पर अर्धचंद्र ही माता की पहचान है। इनके कंठ में श्वेत पुष्प की माला और शीर्ष पर रत्नजडि़त मुकुट विराजमान है। माता चंद्रघँटा युद्ध की मुद्रा में विराजमान रहती हैं।
मान्यता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा करने से मन को शांति प्राप्त होती है। मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप की अराधना करने से परम शक्ति का अनुभव होता है। मान्यता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा में दूध का प्रयोग करना परम कल्याणी कारी है। मां चंद्रघंटा को केसर की खीर और दूध से बनी मिठाई का भोग लगाया जाता है। इसके अलावा पंचामृत, चीनी व मिश्री माता रानी को अर्पित की जाती है।

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