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विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर कोविड-19ः मीडिया के सम्मुख चुनौतियां विषय पर वेबिनार का आयोजन

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 3 मई कोरोना वायरस (कोेविड-19) महामारी के कारण मीडिया के समक्ष उत्तरजीविका को लेकर उत्पन्न हुए आर्थिक संकट एवं चुनौतियों से निपटने के लिए मीडिया जगत से जुड़े बुद्विजीवियों को संस्थागत मीडिया के प्रबंधन के व्यवसायिक माॅडल को छोड़कर सामाजिक उत्तरदायित्व पर आधारित गैर-व्यवसायिक माॅडल विकसित करने पर ध्यान देना होगा। इससे मीडिया के प्रबंधन में स्थायित्व आयेगा।
यह सुझाव जन संचार, मीडिया प्रौद्योगिकी शिक्षा तथा अनुसंधान केे क्षेत्र में चार दशकों से कार्य कर रहे प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने आज जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के संचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए दी। कोविड-19ः मीडिया के सम्मुख चुनौतियां विषय को लेकर आयोजित वेबिनार के दौरान परिचर्चा में जगन्नाथ इंटरनेशनल मैनेजमेंट स्कूल, दिल्ली के निदेशक प्रो. रवि के. धर, वरिष्ठ पत्रकार सर्जना शर्मा तथा दैनिक जागरण के वरिष्ठ संवाददाता बिजेन्द्र बंसल ने हिस्सा लिया तथा वेबिनार के मुख्य विषय को लेकर अपने विचार व्यक्त किये। वेबिनार की अध्यक्षता कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने की।
प्रो. बृज किशोर कुठियाला, जोकि हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद् के अध्यक्ष भी है, ने कहा कि व्यवसायिक माॅडल मूलतः उत्पाद एवं मांग के अनुरूप के मूल्य निर्धारण एवं लाभांश पर निर्भर करता है लेकिन इसके विपरीत मीडिया उद्योग में उत्पादन एवं आपूर्ति का यह सिद्धांत लागू नहीं होता। इसलिए, मीडिया को पोषित करने के व्यवसायिक माॅडल को बदलने की आवश्यकता है। यह समाज द्वारा पोषित किया जाना चाहिए, जिससे मीडिया में सामाजिक उत्तरदायित्व एवं विश्वसनीयता को बल मिलेगा। धर्म एवं अध्यात्म पर आधारित पत्र-पत्रिकाओं का उदाहरण देते हुए प्रो. कुठियाला ने कहा कि ऐसी कई पत्रिकाएं 100 वर्षों से अधिक समय से सफलतापूर्वक प्रकाशित हो रही हैं। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के उपरांत मीडिया के स्वरूप को लेकर समीक्षा तथा पुनरुत्थान की आवश्यकता है ताकि मीडिया कर्मियों को आर्थिक संकट से न गुजना पड़े और मीडिया की स्वतंत्रता एवं निष्पक्षता भी बनी रहे।
कोेविड-19 महामारी में शीर्ष नेतृत्व के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने तथा लाकडाउन को सफल बनाने में मीडिया की सकारात्मक भूमिका को मान्यता देते हुए प्रो. कुठियाला ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा से निपटने में भारतीय मीडिया ने परिपक्वता का परिचय दिया है। उन्होंने कहा कि भारत में प्रेस की स्वतंत्रता संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत आती है जोकि एक आदर्श एवं अनुकरणीय व्यवस्था है। ऐसी व्यवस्था देने के लिए हमें भारतीय संविधान निर्माताओं पर गर्व करना चाहिए।
इससे पूर्व, कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने सभी वक्ताओं का स्वागत करते हुए कहा कि विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का आयोजन स्वतंत्र पत्रकारिता के मूल सिद्धांतों की अनुपालना, विश्वभर में प्रेस की स्वतंत्रता के मूल्यांकन तथा पत्रकारिता करते हुए जीवन का बलिदान देने वाले मीडिया कर्मियों के सम्मान में किया जाता है। उन्होंने कहा कि आज पत्रकार वैचारिक लड़ाई लड़ने के साथ-साथ कोविड-19 महामारी में नई चुनौतियों का सामना कर रहे है। उन्होंने कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता किसी भी तरह का हस्तक्षेप या हमला निदंनीय है और एक स्वस्थ समाज में इसके लिए कोई जगह नहीं है।
विश्वविद्यालय द्वारा सामयिक विषय को लेकर आयोजित वेबिनार को सराहनीय पहल बताते हुए प्रो. रवि धर ने कोविड महामारी से उत्पन्न चुनौतियों की विवेचना आर्थिक एवं सामाजिक जिम्मेदारियों के आधार पर की। प्रो. धर ने कहा कि देश में मीडिया को मीडिया मनोरंजन उद्योग के रूप में मान्यता दी गई है। इसलिए, मीडिया के अस्तित्व के लिए आर्थिक स्थिति का अनुकूल होना जरूरी हैं। वर्तमान परिपेक्ष में उन्होंने पत्रकारिता को चुनौतीपूर्ण बताया।
कोविड महामारी से उत्पन्न व्यवहारिक चुनौतियों का उल्लेख करते हुए वरिष्ठ पत्रकार सर्जना शर्मा ने कहा कि महामारी से उत्पन्न स्थिति ने मीडिया उद्योग को धराशायी कर दिया हैं। इसमें प्रिंट मीडिया सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। संक्रमण केे डर से अखबारों के सर्कुलेशन में भारी गिरावट आई है। विज्ञापन कम हो गये हैं, जिससे अखबारों में पेजों की संख्या कम हो गई है। ऐसी स्थिति में प्रमुख समाचार समूह व मीडिया संगठन भी अपने कर्मियों को वेतन देने की स्थिति में नहीं है, जिसके कारण मीडिया कर्मियों की छटनी हो रही है और छोटे समाचार पत्रों की स्थिति तो इससे भी खराब है। इस बीच सकारात्मक पहलु यह है कि सोशल मीडिया माध्यमों पर पाठकों की पहुंच बढ़ी है लेकिन इसका भी सीधा लाभ अखबारों को नहीं मिल पा रहा हैं। इसके बावजूद, मीडिया कर्मी लोगों तक सूचना पहुंचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे है। उन्होंने कहा कि आज मीडिया के अस्तित्व को लेकर संकट है और इस संकट से निपटने केे लिए मीडिया की स्थाई आमदनी के लिए कोई रास्ता निकालने की आवश्यकता है।
दैनिक जागरण के वरिष्ठ संवाददाता बिजेन्द्र बंसल ने कहा कि कोविड-19 महामारी पत्रकारों के लिए युद्ध जैसी स्थिति है, जिसमें किसी को भी नहीं पता कि कितने सुरक्षित है और चुनौती यह है कि सूचनाओं को लोगों तक पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि महामारी के प्रथम चरण में अफवाहों के बीच सही सूचना को लोगों तक पहुंचाने में मीडिया ने अहम भूमिका निभाई तथा लोगों को विश्वास दिलाया कि लाकडाउन ही महामारी से निपटने का सबसे कारगर तरीका है। वेबिनार को प्रो. राज कुमार, विभागाध्यक्ष अध्यक्ष डाॅ. अतुल मिश्रा तथा कुलसचिव डाॅ. एस. के. गर्ग ने भी संबोधित किया। वेबिनार का समन्वयन एवं संचालन डाॅ. सुभाष गोयल द्वारा किया गया।

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