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अयोध्या के श्रीराम मंदिर के लिए रामलला की मूर्ति बनाने वाले अरुण योगीराज को प्रतिष्ठित ‘अभिनव अमरशिल्पी’ पुरस्कार से सम्मानित किया डॉ. हिरेमथ फाउंडेशन ने
New Delhi Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : अयोध्या के श्रीराम मंदिर में पिछले दिनों प्रतिष्ठापित मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के बाल स्वरूप की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज को सोमवार को उत्तर कन्नड़ जिले के कारवार के सागर दर्शन सम्मेलन हॉल में प्रतिष्ठित ‘अभिनव अमरशिल्पी’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें पूरे राज्य में अस्पतालों की श्रृंखला चलाने वाले डॉ. हीरेमथ फाउंडेशन की ओर से प्रदान किया गया, जिसका नेतृत्व डांडेली के मैक्सिलोफेशियल सर्जन डॉ. विश्वनाथ हिरेमथ कर रहे हैं। बता दें कि मैसूर स्थित मूर्तिकार की कृष्ण शिला पत्थर से बनी 51 इंच की रामलला की मूर्ति 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अयोध्या में राम मंदिर में स्थापित की गई थी।
पुरस्कार प्राप्त करने पर अरुण योगीराज ने कहा, ‘मैं यह प्रतिष्ठित पुरस्कार पाकर बेहद खुश हूं। मैं यह पुरस्कार अपने सह-कलाकारों, इंजीनियरों और उन सभी लोगों को समर्पित करूंगा, जिन्होंने इस ऐतिहासिक आयोजन के लिए प्रयास किया।’ साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पुरस्कार कई जिम्मेदारियों के साथ आता है। उन्होंने कहा कि वह युवा पीढ़ी के साथ ज्ञान साझा करेंगे।
उन्होंने अयोध्या मंदिर के उद्घाटन के ऐतिहासिक क्षण को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी श्रेय दिया, ‘यह पीएम मोदी के बिना संभव नहीं हो सकता था।’ अरुण योगीराज ने कहा, ‘मैं अभी भी भगवान राम के प्रति लोगों की भक्ति और राम की विचारधारा इस दुनिया के लिए कितनी महत्वपूर्ण है, इस पर आश्चर्यचकित हूं, क्योंकि सिर्फ एक महीने में 65 लाख से अधिक लोगों ने अयोध्या में राम मंदिर के दर्शन किए।’
प्रसिद्ध मूर्तिकार ‘अमरशिल्पी’ जकनचारी और अरुण योगीराज के बीच समानताएं बनाते हुए हिरेमठ फाउंडेशन ने उन्हें ‘रामलला’ की मूर्ति बनाने और इतिहास लिखने के लिए ‘अभिनव अमरशिल्पी’ से सम्मानित किया। फाउंडेशन ने कहा कि अरुण योगीराज को ‘अभिनव अमरशिल्पी’ से सम्मानित करना कृतज्ञता का विस्तार है। इस अवसर पर उत्तर कन्नड़ जिले के 200 से अधिक धार्मिक प्रमुखों ने भी अभिनंदन किया। श्री राम सेना के नेता प्रमोद मुतालिक ने मुख्य भाषण दिया, जिसकी अध्यक्षता डॉ. हिरेमथ फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. विश्वनाथ हिरेमथ ने की।