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नवरात्रों के आठवें दिन महारानी वैष्णो देवी मंदिर में हुई माता महागौरी की भव्य पूजा

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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : नवरात्रों के आठवें दिन माता महारानी वैष्णो देवी मंदिर में महागौरी माता की भव्य पूजा अर्चना की गई. मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने पूजा अर्चना का शुभारंभ कराया. इस अवसर पर मंदिर में माता रानी के दर्शन करने वालों की संख्या काफी अधिक थी. श्रद्धालुओं ने मंदिर में पहुंचकर माता रानी के सामने अपनी अरदास लगाई . इस पवित्र मौके पर मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने आए हुए सभी श्रद्धालुओं को अष्टमी की बधाई दी. इस मौके पर श्री भाटिया ने भक्तों को माता महागौरी की महिमा से अवगत करवाया.
श्री भाटिया ने कहा कि नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी देवी की आराधना की जाती है. इनके नाम से ही स्पष्ट है कि इनका स्वरूप पूरी तरह से गौर है. इनकी तुलना शंख, चंद्रमा और कुंद के पुष्प से की गई है.
मां महागौरी की चार भुजाएं हैं. मां का ऊपरी दायां हाथ अभय मुद्रा में स्थित है, जबकि नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है. ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू है और नीचे वाला बायां हाथ वर मुद्रा में है. मां की मुद्रा अत्यंत शांत है. मां भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या कर रही थीं, जिसके परिणामस्वरूप उनका शरीर तपस्या के कारण काला पड़ गया था. इसके बाद, मां ने अपने काले रंग को गौर वर्ण में परिवर्तित करने के लिए पुनः तपस्या की. मां की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनके रंग को कांतिमय बना दिया, जिससे मां का रूप फिर से गौर हो गया. इसी कारण से मां के इस स्वरूप को महागौरी कहा जाता है.पौराणिक मान्यता के अनुसार, मां पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कई हजार वर्षों तक कठोर तप किया. इस तप के दौरान उन्होंने जल और अन्न का सेवन नहीं किया, जिसके कारण उनका शरीर काला हो गया. मां पार्वती की तपस्या से प्रभावित होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया. महादेव ने तपस्या के समय उनके शरीर के काले पड़ने के कारण उन्हें गंगा जल से शुद्ध किया, जिसके परिणामस्वरूप उनका शरीर पुनः चमकदार हो गया. गंगा जल के प्रभाव से उनका रंग सफेद हो गया, जिससे उन्हें महागौरी के नाम से जाना जाने लगा.

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